Medical News: डेंगू बुखार में इन दवाएं का इस्तेमाल सेहत पर पड़ सकता है भारी, सतर्कता जरूरी

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। Medical News: डेंगू के मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। इसके मद्देनजर दिल्ली का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट जारी कर चुका है। इस बीच डाक्टर बताते हैं कि वैसे तो डेंगू बुखार होने पर ज्यादातर मरीज एक से दो सप्ताह में आसानी से ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ मामलों में यह जानलेवा भी साबित होता है। इसलिए डेंगू से बचाव के लिए सतर्कता जरूरी है। डेंगू बुखार हो तो इबुप्रोफेन व एस्पिरिन जैसी दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल भी सेहत पर भारी पड़ सकता है। इसलिए इन दिनों इबुप्रोफेन व एस्पिरिन जैसी दवाओं का इस्तेमाल डाक्टर की सलाह के बगैर नहीं करनी चाहिए।

डेंगू स्वत: ठीक होने वाली बीमारी

एम्स के मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. नीरज निश्चल ने बताया कि डेंगू का संवाहक एडीज एजिप्टी मच्छर दिन में काटता है। एक मच्छर पांच से छह लोगों को काटता है। इस वजह से यदि कोई एक व्यक्ति बीमार हो तो परिवार व आसपास के कई दूसरे लोग भी बीमार हो जाते हैं। डेंगू से बचाव के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनने चाहिए। सामान्य तौर पर डेंगू स्वत: ठीक होने वाली बीमारी है। डेंगू होने पर तेज बुखार, तेज सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द इत्यादि समस्या होती है। पांच दिन में बुखार ठीक हो जाता है। इसके बाद कई मरीजों को पेट में दर्द, उल्टी, शरीर पर लाल चकत्ते व शरीर के किसी हिस्से से रक्तस्राव के गंभीर लक्षण सामने आते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज के लिए अगले 72 घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। लिहाजा, अस्पताल जाने में देर नहीं करना चाहिए।

पर्याप्त पानी व तरल पदार्थ लेना चाहिए

हेमरेजिक डेंगू बुखार होने पर नसों से कैपिलरी लिकेज का खतरा रहता है। इस वजह से डिहाइड्रेशन व ब्लड प्रेशर भी कम हो जाता है। इससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में खून व आक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित होती है। इससे शरीर के महत्वपूर्ण अंग खराब होने लगते हैं। फेफड़े में एआरडीएस (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) व मस्तिष्क में इंसेफेलाइटिस जैसी स्थिति बनती है। लिहाजा, डेंगू होने पर शरीर का हाइड्रेशन ठीक रखना जरूरी होता है। डेंगू का इलाज लक्षण के आधार पर किया जाता है। प्लेटलेट्स के पीछे नहीं भागना चाहिए। शरीर का हाइड्रेशन ठीक रहने पर प्लेटलेट्स कुछ ही दिनों दोबारा बढ़ने लगते हैं। इसलिए डेंगू होने पर पर्याप्त पानी व तरल पदार्थ लेना चाहिए। बहुत लोग खुद से दुकान से एंटीबायोटिक व दर्द निवारक दवा लेना शुरू कर देते हैं। यह ठीक नहीं है। इन दिनों डेंगू के अलावा चिकगुनिया, मलेरिया, टायफाइड, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस ई सहित कई तरह की बीमारियां देखी जाती हैं। इसलिए जांच जरूरी है।

दूसरी बार डेंगू होना हो सकता है अधिक घातक

सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर डा. जुगल किशोर ने बताया कि डेंगू के चार स्ट्रेन होते हैं। एक बार डेंगू होने पर शरीर में एंटीबाडी बन जाती है। लेकिन कुछ मरीजों को डेंगू के दूसरे स्ट्रेन का भी संक्रमण दोबारा हो जाता है। दोबारा संक्रमण होने पर पहले से मौजूद एंटीबाडी अधिक सक्रिय हो जाती है और शरीर के अपने प्लेटलेट्स को तेजी से नष्ट करने लगती है। इस वजह से डेंगू का दोबारा संक्रमण ज्यादा गंभीर होता है। इसलिए जरूरी है कि घर के आसपास कहीं भी पानी जमा न होने दें। गमलों का पानी भी नियमित से बदलते रहना चाहिए।

 

 

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