New Surrogacy Rules: केंद्र सरकार ने सरोगेसी के नियम बदले, नि:संतान दंपतियों और एकल महिलाओं के हक में किया फैसला

नई दिल्ली, एजेंसी : New Surrogacy Rules: केंद्र ने सरोगेसी नियमों, 2022 में संशोधन किया है, जिसके तहत दंपति में किसी एक साथी के चिकित्सीय रूप से अक्षम होने की स्थिति में दाता (डोनर) के अंडाणु या शुक्राणु का उपयोग करने की अनुमति दी गई है। लेकिन इसके लिए जिला मेडिकल बोर्ड को यह प्रमाणित करना होगा कि पति या पत्नी में से किसी एक की चिकित्सीय स्थिति ऐसी है कि दाता के युग्मक (गैमीट) के उपयोग की आवश्यकता है।

चिकित्सीय आधार पर दी अनुमति

 

बुधवार को जारी अधिसूचना में कहा गया, “अगर जिला मेडिकल बोर्ड प्रमाणित करता है कि इच्छुक जोड़े में से पति या पत्नी की चिकित्सीय स्थिति ऐसी है कि जिसके लिए दाता के युग्मक के उपयोग की आवश्यकता है, तो दाता के युग्मक का उपयोग करके सरोगेसी की अनुमति होगी।” इसमें कहा गया है कि दाता के युग्मक का उपयोग करके सरोगेसी की इस शर्त के साथ अनुमति होगी कि सरोगेसी के माध्यम से पैदा होने वाले बच्चे के पास इच्छुक जोड़े का कम से कम एक युग्मक होना चाहिए।

इसका मतलब यह है कि यदि पति-पत्नी दोनों को चिकित्सीय समस्याएं हैं या वे अपने स्वयं के युग्मक का उपयोग करने में असमर्थ हैं तो वे सरोगेसी का विकल्प नहीं चुन सकते। अधिसूचना में कहा गया है, “सरोगेसी से गुजरने वाली एकल महिलाओं (विधवा या तलाकशुदा) को सरोगेसी प्रक्रिया का लाभ उठाने के लिए स्वयं के अंडाणु और दाता के शुक्राणु का उपयोग करना होगा।”

कई महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थीं याचिकाएं

 

केंद्र सरकार ने मार्च, 2023 में सरोगेसी के इच्छुक जोड़ों के लिए दाता के युग्मकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की थी। इसका मतलब था कि सरोगेसी के लिए दोनों युग्मक इच्छुक जोड़े के होने आवश्यक थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष एक जन्मजात विकार वाली महिला को दाता के अंडाणु का उपयोग करके सरोगेसी का लाभ उठाने की अनुमति प्रदान कर दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में कई महिलाओं ने याचिकाएं दाखिल की थीं।

पिछले वर्ष दिसंबर में शीर्ष अदालत ने दो दर्जन से ज्यादा याचिकाकर्ताओं को सरोगेसी के जरिये मां बनने के लिए दाता के अंडाणु के इस्तेमाल की अनुमति प्रदान कर दी थी। अदालत का कहना था, ‘ऐसे नियमों से सरोगेसी का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।’ जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि इतनी सारी महिलाएं शीर्ष अदालत का रुख कर रही हैं, आखिर वह इस मामले में फैसला क्यों नहीं कर रही है। एडिशनल सालिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी का कहना था कि सरकार सरोगेसी कानून में पिछले वर्ष किए गए संशोधन पर पुनर्विचार कर रही है। इसके बाद ही नियमों में संशोधन की ताजा अधिसूचना जारी की गई है।

 

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