संघर्षों को मात देकर नेशनल बॉक्सर बनी कैथल की निकिता, मां की मेहनत और बेटी के हौसले की अनूठी दास्तान

नरेन्द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले के एक छोटे से गांव पट्टी अफगान की बेटी निकिता ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और अथक परिश्रम के बल पर राष्ट्रीय स्तर पर मुक्केबाजी में अपनी पहचान बनाई है। उनकी इस असाधारण यात्रा में उनकी मां नीलम का त्याग और समर्पण एक मजबूत स्तंभ की तरह रहा है। नीलम, जो घर में पशुपालन के साथ-साथ दिहाड़ी मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करती हैं, ने अपनी बेटी के सपने को साकार करने के लिए हर संभव प्रयास किया। निकिता ने अब तक स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप के साथ-साथ खेलो इंडिया जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों में भी पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
निकिता का सबसे बड़ा सपना एक दिन देश के लिए मुक्केबाजी के खेल में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन करना है। वह पिछले लगभग दस वर्षों से इस खेल में कड़ी मेहनत कर रही हैं और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदक अपने नाम किए हैं। निकिता के पिता भी मजदूरी का कार्य करते हैं, और सीमित संसाधनों के बावजूद, परिवार ने हमेशा निकिता के खेल के प्रति जुनून का समर्थन किया है।
2022 करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़
बॉक्सर निकिता बताती हैं कि वर्ष 2022 उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ जब उन्होंने खेलो इंडिया में राष्ट्रीय स्तर पर खेलते हुए कांस्य पदक जीता। इसी वर्ष उन्होंने हिसार में आयोजित हुई राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इसके अतिरिक्त, निकिता ने कई बार राज्य और जिला स्तर पर भी स्वर्ण और रजत पदक जीतकर अपनी निरंतरता और प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।
मां की कड़ी मेहनत
निकिता अपनी मां नीलम के संघर्षों को याद करते हुए भावुक हो जाती हैं। वह बताती हैं कि उनकी मां न केवल पशुपालन करती हैं बल्कि घर की आजीविका चलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी भी करती हैं। इसके साथ ही वह निकिता के खेलों के सामान, पौष्टिक भोजन और अन्य आवश्यक सुविधाओं को जुटाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। निकिता बताती हैं कि खेल के साथ-साथ उनकी पढ़ाई पर भी काफी खर्च होता है, जिसे उनकी मां अपनी कड़ी मेहनत से पूरा करने का प्रयास करती हैं।
निकिता के परिवार में उनकी दो बहनें और एक भाई हैं। उनकी छोटी बहन गीतू भी राज्य स्तर की एक उभरती हुई बॉक्सर हैं। निकिता का मानना है कि यह उनकी मां की अथक मेहनत और त्याग का ही परिणाम है कि वे दोनों बहनें राष्ट्रीय स्तर पर खेल पा रही हैं। उनकी मां ने कभी भी अपनी बेटियों के सपनों को कम नहीं आंका और हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
निकिता की उल्लेखनीय उपलब्धियां
निकिता ने अपने युवा करियर में कई महत्वपूर्ण पड़ाव पार किए हैं और विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
वर्ष 2017: देहरादून में आयोजित राष्ट्रीय स्कूली खेलों में बॉक्सिंग अंडर-17 वर्ग में कांस्य पदक जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का पहला परिचय दिया।
वर्ष 2019: दिल्ली में आयोजित नेशनल बॉक्सिंग खेलों में उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान और मजबूत हुई।
वर्ष 2022: भोपाल में हुई बॉक्सिंग प्रतियोगिता में उन्होंने अपनी कौशल और तकनीक का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जिससे उन्हें आत्मविश्वास मिला।
वर्ष 2021: बैंगलोर में आयोजित खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों में कांस्य पदक जीतकर उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ी।
वर्ष 2021: खेलो हरियाणा में उन्होंने रजत पदक जीता, जो राज्य स्तर पर उनकी मजबूत पकड़ को दर्शाता है।
वर्ष 2021: हरियाणा गेम्स में भी उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया, जिससे राज्य में उनकी प्रतिष्ठा और बढ़ी।
वर्ष 2022: हिसार में आयोजित राज्य स्तरीय बॉक्सिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने राज्य में सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाजों में अपनी जगह सुनिश्चित की।
वर्ष 2023: राष्ट्रीय विश्वविद्यालय खेलों में उन्होंने एक बार फिर बेहतर प्रदर्शन किया, जो उनकी निरंतर प्रगति का प्रमाण है।
मां का अटूट समर्थन: सफलता का आधार
निकिता की सफलता की कहानी उनकी मां नीलम के अटूट समर्थन के बिना अधूरी है। नीलम ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी बेटी के सपनों को मरने नहीं दिया। उन्होंने न केवल आर्थिक रूप से निकिता का साथ दिया बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी उन्हें हमेशा प्रेरित किया। पशुपालन और दिहाड़ी मजदूरी जैसे कठिन कार्यों के बावजूद, उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि निकिता को अपनी खेल की तैयारी के लिए आवश्यक संसाधन और माहौल मिल सके।
नीलम का मानना है कि बच्चों को अपने सपनों को पूरा करने का अवसर मिलना चाहिए, भले ही परिस्थितियां कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों। उन्होंने अपनी बेटियों को हमेशा आत्मनिर्भर और मजबूत बनने की शिक्षा दी है। निकिता और गीतू की सफलता उनकी मां के त्याग और समर्पण का ही परिणाम है।
परिवार का सहयोग: प्रेरणा का स्रोत
निकिता के खेल के प्रति जुनून में उनके पूरे परिवार का सहयोग रहा है। उनके पिता, जो एक मजदूर हैं, ने भी अपनी क्षमता के अनुसार हमेशा निकिता का समर्थन किया है। उनके भाई और बहनें भी निकिता की उपलब्धियों पर गर्व करते हैं और उन्हें हमेशा प्रोत्साहित करते हैं। परिवार का यह एकजुट समर्थन निकिता के लिए एक बड़ी प्रेरणा का स्रोत रहा है।
निकिता के भविष्य का लक्ष्य
निकिता का लक्ष्य अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करना और देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। वह जानती हैं कि यह राह आसान नहीं है और इसके लिए उन्हें और भी कड़ी मेहनत करनी होगी। लेकिन अपनी मां के संघर्षों और अपने परिवार के समर्थन से, निकिता अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। वह युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा हैं, जो यह साबित करती हैं कि यदि आपके अंदर प्रतिभा और दृढ़ इच्छाशक्ति है, तो गरीबी और सीमित संसाधन भी आपकी सफलता के रास्ते में बाधा नहीं बन सकते हैं।
समाज के लिए एक प्रेरणा
निकिता की कहानी न केवल उनके गांव या राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। यह कहानी हमें सिखाती है कि कैसे एक मां अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए हर मुश्किल का सामना कर सकती है। यह हमें यह भी सिखाती है कि प्रतिभा और मेहनत के बल पर कोई भी व्यक्ति अपनी परिस्थितियों को बदल सकता है और सफलता की नई ऊंचाइयों को छू सकता है।
निकिता की उपलब्धि उन सभी युवाओं के लिए एक संदेश है जो सीमित संसाधनों के कारण अपने सपनों को छोड़ने की सोचते हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि यदि आपके अंदर जुनून है और आपको सही मार्गदर्शन और समर्थन मिले, तो आप किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
सरकार और खेल संगठनों से अपेक्षाएं
निकिता जैसी प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार और खेल संगठनों को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्हें बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएं, वित्तीय सहायता और उचित अवसर प्रदान किए जाने चाहिए ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर सकें। जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं की पहचान करने और उन्हें पोषित करने के लिए प्रभावी कार्यक्रम चलाए जाने की आवश्यकता है।
निकिता की कहानी यह भी दर्शाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। आवश्यकता है तो बस उन्हें पहचानने और सही मंच प्रदान करने की। यदि निकिता जैसी प्रतिभाओं को सही समय पर सही सहायता मिले, तो वे देश के लिए कई और पदक जीत सकती हैं।
एक असाधारण संघर्ष
कैथल की बेटी निकिता की कहानी एक असाधारण संघर्ष और अटूट हौसले की कहानी है। अपनी मां के त्याग, परिवार के समर्थन और अपनी कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर मुक्केबाजी में अपनी पहचान बनाई है। उनका सपना देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है, और उनकी अब तक की उपलब्धियां इस बात का प्रमाण हैं कि वह इस लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता रखती हैं। निकिता न केवल एक उत्कृष्ट खिलाड़ी हैं बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा भी हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने का जज्बा रखते हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत, समर्पण और परिवार के समर्थन से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है और सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है।