नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सीनियर नेताओं में एक, जानें क्यों संयोजक बनने को नहीं हुए तैयार

पटना, BNM News: India Alliance: पद को लेकर मेरे मन में न कोई ख्वाहिश है और न च्वाइश। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह भावना शनिवार को INDIA गठबंधन के घटक दलों के साथ हुई वर्चुअल बैठक में भी जाहिर हुई। नीतीश जिस समय राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करने की शुरुआत कर रहे थे, अपने लिए किसी पद के बारे में यही कहा था कि उन्हें किसी पद की आकांक्षा नहीं है। छह महीने बाद जब उन्हें INDIA का संयोजक बनने का प्रस्ताव शनिवार को मिला तो उन्होंने उसे विनम्रता से अस्वीकार कर दिया। राजनीतिक गलियारे में उनकी अस्वीकृति को गठबंधन और खासकर कांग्रेस की बेहद सुस्त गति से जोड़कर देखा जा रहा है। सूचना एवं जन संपर्क मंत्री संजय झा कहते हैं कि संयोजक पद के प्रस्ताव पर पार्टी में विचार किया जाएगा। हां, मुख्यमंत्री ने यह इच्छा प्रकट की कि कांग्रेस के नेता ही गठबंधन के चेयरपर्सन बनें।

विरोधी विचारधारा के दलों को एक मंच पर लाने में मिली सफलता

 

इसमें कोई दो राय नहीं कि भाजपा विरोधी दलों को एक मंच पर लाने का विचार नीतीश कुमार के ही मन में ही आया। वह पिछले साल मई से ही इस मुहिम में लगे। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं को एक मंच पर बिठाने का श्रेय उन्हीं को दिया गया। इनके अलावा भी कई परस्पर विरोधी विचारधारा के दलों को एक मंच पर लाने में भी उन्हें सफलता मिली। जून महीने में पहली बैठक नीतीश कुमार के आवास पर ही हुई। लेकिन, बेंगलुरू की बैठक में उन्हें यह अहसास हो गया कि गठबंधन से उन्होंने जिस तरह की एकता की पहल की थी, वैसा है नहीं।

कांग्रेस नेतृत्व की सुस्ती को लेकर अप्रसन्नता जताई

 

गठबंधन और खासकर कांग्रेस नेतृत्व की सुस्ती को लेकर उनकी अप्रसन्नता कई बार प्रकट हुई। तीन राज्यों-एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की व्यस्तता के नाम पर कांग्रेस ने गठबंधन की बैठक में रुचि नहीं दिखाई। उसने दूसरे दलों को औपचारिकतावश भी पूछा नहीं। इन चुनावों में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच कटुता काफी बढ़ गई। वह आज तक समाप्त नहीं हुई। नीतीश ने भाजपा के एक के मुकाबले विपक्ष का एक उम्मीदवार देने का सूत्र दिया था। गठबंधन के सभी दल इससे सहमत तो हुए, मगर इसे जमीन पर उतारने में कांग्रेस ने रुचि नहीं दिखाई। गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं में अपने दम पर सरकार चलाने का सबसे बड़ा अनुभव नीतीश कुमार के पास है।

 

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