One Nation One Election: ‘एक देश-एक चुनाव’ बिल सोमवार को लोकसभा में होगा पेश, चर्चा के लिए JPC में भेजा जाएगा

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः केंद्र सरकार सोमवार को बहुप्रतीक्षित ‘एक देश-एक चुनाव’ बिल 2024 लोकसभा में पेश करने जा रही है। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस विधेयक को सदन में प्रस्तुत करेंगे। चर्चा के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा जाएगा, ताकि इस पर विस्तृत विचार-विमर्श हो सके।

मोदी कैबिनेट ने दी थी विधेयक को मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार को एक देश, एक चुनाव विधेयक को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव को लेकर बात रखी थी। उन्होंने इस दरैान कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए। 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर विचार रखा था।

एक देश एक चुनाव के विधेयक को JPC के पास भेजने का प्लान

माना जा रहा है कि लोकसभा में इस विधेयक को पेश करने के बाद इसे संसदीय समिति के पास भेजा जाएगा। इसके पीछे सभी राजनीतिक दलों की राय लेने के साथ ही सहमति से फैसला लेने का है। इससे पहले वक्फ संशोधन विधेयक को भी मोदी सरकार ने आम सहमति बनाने के लिए जेपीसी के पास भेजा था।

क्या है एक देश एक चुनाव का मकसद?

गौरतलब है कि फिलहाल लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग होते हैं, या तो पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद या जब सरकार किसी कारण से भंग हो जाती है। इसकी व्यवस्था भारतीय संविधान में की गई है। अलग-अलग राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा होता है, उसी के हिसाब से उस राज्य में विधानसभा चुनाव होते हैं।

‘एक देश-एक चुनाव’ बिल का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है। वर्तमान में, विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इससे प्रशासनिक और आर्थिक बोझ बढ़ता है।

इस बिल के अंतर्गत दो प्रमुख संशोधन विधेयक पेश किए जाएंगे। पहला संशोधन पूरे देश में लोकसभा चुनाव और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित होगा। दूसरा विधेयक दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनाव के साथ जोड़ने का प्रस्ताव रखेगा।

कैबिनेट और कोविंद समिति की भूमिका

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के इस प्रयास को सितंबर में कोविंद समिति की रिपोर्ट के बाद तेजी मिली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस रिपोर्ट को मंजूरी देते हुए इस विधेयक को संसद में लाने का निर्णय लिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पहली बार ‘एक देश-एक चुनाव’ का विचार देश के सामने लेकर आए थे। उन्होंने इसे प्रशासनिक सुधार और देश के संसाधनों के बेहतर उपयोग का माध्यम बताया था। प्रधानमंत्री ने 2024 में स्वतंत्रता दिवस पर भी इस मुद्दे पर बल देते हुए कहा था कि यह देश की एकता और विकास के लिए आवश्यक है।

राज्यों में चुनाव की स्थिति

वर्तमान में कुछ राज्यों, जैसे अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही होते हैं। वहीं, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम जैसे राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव के आसपास होते हैं। लेकिन हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव लोकसभा के छह महीने के भीतर संपन्न होते हैं।

अलग-अलग समय पर चुनाव होने के कारण देश में अक्सर आचार संहिता लागू हो जाती है, जिससे नीतिगत फैसले और विकास कार्यों पर असर पड़ता है। ‘एक देश-एक चुनाव’ प्रस्ताव इस समस्या को समाप्त कर सकता है।

कोविंद समिति की सिफारिशें क्या हैं?

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एक साथ चुनाव की सिफारिशें को दो चरणों में कार्यान्वित किया जाएगा। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएंगे। दूसरे चरण में आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगर पालिका) किए जाएंगे। इसके तहत सभी चुनावों के लिए समान मतदाता सूची तैयार की जाएगी। इसके लिए पूरे देश में विस्तृत चर्चा शुरू की जाएगी। वहीं एक कार्यान्वयन समूह का भी गठन किया जाएगा।

कोविंद समिति ने यह भी कहा

  1. 1951 से 1967 के बीच एक साथ चुनाव हुए हैं।
  2. 1999 में विधि आयोग की 170वीं रिपोर्ट में पांच वर्षों में एक लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए चुनाव का सुझाव।
  3. 2015 में संसदीय समिति की 79वीं रिपोर्ट में दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने के तरीके सुझाए गए।
  4. राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों सहित विभिन्न हितधारकों से व्यापक परामर्श किया।
  5. रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध है: https://onoe.gov.in
  6. व्यापक फीडबैक से पता चला है कि देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए व्यापक समर्थन है।

कैसे लागू होगा एक देश एक चुनाव?

इससे पहले अधिकारियों ने पीटीआई को बताया था कि एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान में कम से कम पांच संशोधन करने होंगे। इनमें संसद के सदनों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83, राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को भंग करने से संबंधित अनुच्छेद 85, राज्य विधानमंडलों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 172, राज्य विधानमंडलों के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 174 और राज्यों में राष्ट्रपति शासन को लागू करने से संबंधित अनुच्छेद 356 शामिल हैं। इसके साथ ही संविधान की संघीय विशेषता को ध्यान में सभी दलों की सहमति जरूरी होगी। वहीं यह भी अनिवार्य है कि सभी राज्य सरकारों की सहमति प्राप्त की जाए।

सरकार और विपक्ष का क्या कहना है?

एक देश एक चुनाव भाजपा के चुनावी एजेंडे में शामिल रहा है। भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए केंद्र में अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान इस विधेयक को पेश करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन पूरे होने से ठीक बाद कोविंद कमेटी की रिपोर्ट आई थी। इस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने सभी से एक साथ चुनाव कराने के कानून के लिए एकजुट होने का अनुरोध किया था। इससे पहले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि संसद परिपक्व है और चर्चा होगी, घबराने की जरूरत नहीं है। भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है, विकास हुआ है।

वहीं, विपक्षी कांग्रेस ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि लोकतंत्र में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ काम नहीं कर सकता और कांग्रेस इसके साथ नहीं है। खरगे का तर्क है कि अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र जीवित रहे तो हमें जब भी आवश्यकता हो चुनाव कराने की जरूरत है।

आगे की राह

बिल को लेकर संसद में गर्मागर्म बहस होने की उम्मीद है। जेपीसी में भेजे जाने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं। अगर यह विधेयक पास होता है, तो यह भारतीय चुनाव प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव होगा।

‘एक देश-एक चुनाव’ का प्रस्ताव देश में प्रशासनिक कुशलता और संसाधनों के उचित उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। हालांकि, इसे लागू करने से पहले संवैधानिक, राजनीतिक और तकनीकी चुनौतियों का समाधान करना अनिवार्य होगा।

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