One Nation One Election: ‘एक देश-एक चुनाव’ को कैबिनेट की मंजूरी; शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है विधेयक
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। One Nation One Election: ‘एक देश, एक चुनाव’ के संदर्भ में उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत की गई और इसे मंजूरी भी मिल गई है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी इस समिति ने मार्च में लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले अपनी रिपोर्ट पेश की थी। कैबिनेट में रिपोर्ट का पेश होना विधि मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा था।
संसाधनों की बचत होगी
समिति ने पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की है, साथ ही स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन भी इसी अवधि में करने की बात कही गई है। समिति ने इसके क्रियान्वयन के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ का गठन करने का भी प्रस्ताव रखा। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी, विकास को बढ़ावा मिलेगा और लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत किया जा सकेगा।
समिति ने चुनाव आयोग की तरफ से एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सिफारिश की है। वर्तमान में, भारत का चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों का संचालन करता है, जबकि स्थानीय निकाय चुनाव राज्य चुनाव आयोगों द्वारा कराए जाते हैं।
18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश
रिपोर्ट में 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की गई है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के समर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, कुछ संशोधनों के लिए संविधान संशोधन विधेयकों को संसद से पारित कराना होगा।
कम से कम आधे राज्यों का समर्थन आवश्यक
एकल मतदाता सूची और पहचान पत्र के प्रस्तावित परिवर्तनों के लिए कम से कम आधे राज्यों का समर्थन आवश्यक होगा। इसके अलावा, विधि आयोग भी जल्द ही इस विषय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पहल के लिए अपना समर्थन स्पष्ट किया है। सूत्रों के अनुसार, विधि आयोग 2029 से सभी स्तरों पर एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है, जिसमें त्रिशंकु सदन जैसी परिस्थितियों में एकता सरकार के प्रावधान की भी बात की जा सकती है।
पैनल के 5 सुझाव…
- सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए। हंग असेंबली (किसी को बहुमत नहीं), नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं
- पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे फेज में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं।
- चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार करेगा।
- कोविंद पैनल ने साथ चुनाव कराने के लिए जनशक्ति, उपकरणों और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है।
- कोविंद कमेटी ने 7 देशों की चुनावी प्रक्रिया पर रिसर्च करके रिपोर्ट तैयार की
कमेटी में 8 सदस्य, सितंबर 2023 में बनी थी
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुआई में 8 मेंबर की कमेटी पिछले साल 2 सितंबर को बनी थी। 23 सितंबर 2023 को दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक हुई थी। इसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 8 मेंबर हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए हैं।
अभी ऐसी है वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावना
इसके लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। साथ ही इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे।
पहला चरणः 6 राज्य, वोटिंगः नवंबर 2025 में
बिहारः मौजूदा कार्यकाल पूरा होगा। बाद का साढ़े तीन साल ही रहेगा।
असम, केरल, तमिलनाडु, प. बंगाल और पुडुचेरी मौजूदा कार्यकाल 3 साल 7 महीने घटेगा। उसके बाद का कार्यकाल भी साढ़े 3 साल होगा।
दूसरा चरणः 11 राज्य, वोटिंगः दिसंबर 2026 में
उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब व उत्तराखंडः मौजूदा कार्यकाल 3 से 5 महीने घटेगा। उसके बाद सवा दो साल रहेगा।
गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुराः मौजूदा कार्यकाल 13 से 17 माह घटेगा। बाद का सवा दो साल रहेगा।
इन दो चरणों के बाद देश की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त होगा। सूत्रों के अनुसार, कोविंद कमेटी विधि आयोग से एक और प्रस्ताव मांगेगी, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनावों को भी शामिल करने की बात कही जाएगी।
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन
देश में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।
आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
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