Petrol Diesel Price: लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ले सकती है बड़ा फैसला, सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल
नई दिल्ली, BNM News। लोकसभा चुनाव करीब हैं, इसलिए केंद्र सरकार लोगों को राहत देने की हरसंभव कोशिश करेगी। इसके लिए वह वित्त मंत्रालय का खजाना भी खोल सकती है। सरकार चुनावों से पहले देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कमी कर सकती है। यह कटौती 5 से 10 रुपये तक हो सकती है। 219 के लोकसभा चुनाव में भी सरकार ने पेट्रोल-डीजल में कटौती की थी। इसका उसे लाभ भी मिला था। दाम में कटौती की वजह यह भी है कि दिसंबर, 2023 में भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से औसतन 77.14 डालर प्रति बैरल की दर से कच्चे तेल खरीदा है। भारत की तरफ से आयातित यह पिछले छह महीने की सबसे कम कीमत है। इस पूरे वित्त वर्ष के दौरान कच्चे तेल की कीमत सिर्फ दो महीने (सितंबर में 93.54 डालर और अक्टूबर में 90.08) ही कच्चे तेल की कीमत 90 डालर प्रति बैरल से ज्यादा रही है, जबकि शेष सात महीनों में न्यूनतम 74.93 डालर प्रति बैरल और अधिकतम 83.76 डालर प्रति बैरल रही है।
इस बारे में पिछले दिनों पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने सरकारी क्षेत्र की तीनों प्रमुख पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों के साथ बैठक भी की है।
पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों को घटाने को लेकर हलचल
पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में 22 मई, 2022 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है। तब केंद्र सरकार ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। नियमों के आधार पर अभी भी तेल कंपनियों को रोजाना इन उत्पादों की कीमतें तय करने का अधिकार है, लेकिन इन्होंने इस अधिकार का इस्तेमाल छह अप्रैल, 2022 के बाद नहीं किया है। इस दौरान भारत ने कच्चे तेल की खरीद अधिकतम 116 डालर (जून, 2022 की औसत कीमत) तक गई और न्यूनतम 74.93 (जून, 2023 की औसत आयात मूल्य) पर की, लेकिन खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया। अब जब आम चुनाव सिर पर है तो सरकार के भीतर खुदरा कीमतों को घटाने को लेकर हलचल शुरू हुई है।
सरकारी तेल कंपनियों की माली हालत है मजबूत
खुदरा कीमत के घटने के पीछे एक प्रमुख वजह यह भी है कि सरकारी तेल कपनियों की माली हालत काफी मजबूत है। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन आयल और भारत पेट्रोलियम को संयुक्त तौर पर 58,198 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है। जबकि पिछले वित्त वर्ष (2022-23) की पहली छमाही में इन तीनों कंपनियों को 3,805.73 करोड़ रुपये का संयुक्त तौर पर घाटा हुआ था। पिछले वर्ष इन कंपनियों को घाटे की भरपाई के लिए केंद्र को बजट आवंटन करना पड़ा था। तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर, 2023) में भी इन कंपनियों को जबरदस्त मुनाफे की संभावना है। ऐसे में सरकार पर इन कंपनियों की माली हालत को लेकर कोई दबाव नहीं है। बहरहाल, इस बारे में फैसला उच्च स्तर पर ही लिया जाएगा।