मिलने वाला था ‘बहादुरी’ का इनाम, तभी खुल गई हरियाणा के पुलिस अधिकारियों की फाइल!

नरेन्द्र सहारण, अंबाला : Police Medal For Gallantry 2024: हरियाणा-पंजाब सीमा पर शंभू बार्डर पर बेहतरीन कार्य के चलते हरियाणा पुलिस के तीन आइपीएस और दो एचसीएस अधिकारियों को गैलेंट्री मेडल के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के गृह विभाग को चिट्ठी लिख पूछा है कि ज्वाइंट आपरेशन में पैरामिलिट्री फोर्स के अधिकारी भी कार्यरत हैं, लेकिन उनका जिक्र इस प्रस्ताव में नहीं दिया गया। हरियाणा पुलिस के साथ रैपिड एक्शन फोर्स (RAF ), सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF ), बार्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF ), इंडो तिब्बत बार्डर पुलिस (ITBP ), सशस्त्र सीमा बल (SSB ) पिछले 5 माह से तैनात हैं। दरअसल ,स्वतंत्रता दिवस को लेकर गृह मंत्रालय ने अलग-अलग राज्य के अधिकारियों को सम्मानित करने को लेकर बैठकें चल रहीं हैं। इन बैठकों में से जब हरियाणा का नंबर आएगा तो इसी प्रस्ताव पर ही चर्चा होनी है। यही कारण है कि गृह मंत्रालय ने गृह विभाग को पत्र लिखकर पैरामिलिट्री फोर्स के अलावा अन्य बिंदुओं पर जवाब मांगा है।

गृह मंत्रालय ने जवाब मांगा

अधिकारियों के अलावा आंदोलनकारियों पर कितने केस दर्ज हुए, इनका स्टेटस क्या है, इस पर भी जवाब मांगा है। अब गृह विभाग अपना जवाब गृह मंत्रालय को भेजेगा, जिसके बाद गैलेंट्री अवार्ड पर फैसला लिया जा सकेगा। बता दें कि दिल्ली कूच के ऐलान के बाद हरियाणा पुलिस अलर्ट हो गई थी। किसान दिल्ली की ओर आगे न बढ़ जाएं और सुरक्षा की दृष्टि से 8 लेयर की सुरक्षा दीवार बना दी गई थी। यहां पर हरियाणा पुलिस के अलावा पैरामिलिट्री फोर्स भी पिछले 5 माह से तैनात है। हरियाणा की तरफ फोर्स खड़ी है और पंजाब की तरफ किसान बैठे हैं जो दिल्ली जाने को लेकर बार्डर खुलने का इंतजार कर रहे हैं। अब तक के इंतजामों को बेहतरीन बताते हुए गृह विभाग ने अंबाला रेंज के आइजी सिबाश कबिराज, कुरुक्षेत्र के मौजूदा एवं अंबाला के तत्कालीन एसपी जशनदीप सिंह रंधावा, जींद एसपी सुमित कुमार, डीएसपी रामकुमार और डीएसपी भाटिया को गैलेंट्री अवार्ड देने के लिए गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था।

अलग-अलग प्रस्ताव पर भी मांगा जवाब

गृह विभाग की ओर से जो प्रस्ताव भेजा गया था, उसमें पुलिस अधिकारियों का अलग-अलग प्रस्ताव भेजा गया था। पुलिस अफसरों को गैलेंट्री मेडल के लिए भेजे गए प्रस्ताव पर पूछा गया है कि 13 और 14 फरवरी 2024 को की गई कार्रवाई का प्रस्ताव एक ही भेजा जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक ही कार्रवाई में दो या अधिक अधिकारियों के शामिल होने पर एक ही प्रस्ताव भेजा जाना चाहिए। इसी तरह प्रस्ताव में इसका उल्लेख भी होना चाहिए की फायरिंग किस तरह और कैसे हालातों में हुई। कितने मामले दर्ज हुए और कितने निपटारा कर दिए गया, कितने पेंडिंग हैं, जिसका जिक्र भी प्रस्ताव में करने को कहा गया है।

इस तरह से रोके गए किसान

13 व 14 फरवरी 2024 को शंभू बार्डर पर किसान जुट चुके थे जो दिल्ली कूच के लिए तैयार थे। किसानों के जुटने से पहले ही हरियाणा सीमा में पुलिस ने कंकरीट की दीवारें बनाईं, रास्ते पर मोटी कीलें गाड़ दी, कंटीली तारों का जाल बिछाया, जेसीबी मौके पर खड़ी की गई थी। मामला 13 व 14 फरवरी को तूल पकड़ गया। शंभू बार्डर पर हरियाणा पुलिस के जवान और पैरामिलिट्री फोर्स के जवान तैनात थे। किसानों ने आगे बढ़ने की कोशिश की जिस पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। यही नहीं रबड़ की गोलियां चलाई, जबकि ड्रोन के माध्यम से पंजाब साइड में किसानों की मौजूदगी का जायजा भी लिया गय। कई दिनों तक इसी तरह की स्थिति रही, जबकि किसानों को शंभू बार्डर पर ही रोके रखा।

 

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