‘भाषा’ में बड़ा क्षेत्र है जो कई विषयों पर साधे हुए है चुप्पी: प्रो. सुधा सिंह

नई दिल्ली, BNM News: हिन्दी विभाग, श्यामलाल कॉलेज और वाणी प्रकाशन, दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में ‘भाषा और प्रातिनिधिकता का प्रश्न’ विषय पर एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया। इस मौके पर मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय की सीनियर प्रो. सुधा सिंह ने कहा कि ‘भाषा हमारे मानवीय अनुभवों को नामित करने की प्रक्रिया है। यह व्यक्ति और समाज के अनुभवों का प्रतिनिधित्व करती है। भाषा के माध्यम से जो अर्थ हम ग्रहण करते हैं वह हमारी संस्कृति के साथ जुड़ी होती है। अर्थ निर्माण की प्रक्रिया एक सांस्कृतिक प्रक्रिया है।

अर्थ को समग्रता में प्रस्तुत करती है भाषा

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सेमिनार में उन्होंने आगे कहा कि भाषा की एक संरचना होती है जो अर्थ को समग्रता में प्रस्तुत करती है। इस क्रम में वह प्रतिनिधित्व भी करती है। भाषा तीन अर्थों में प्रतिनिधित्व करती है – प्रतिबिम्बन, उद्देश्य और भाषा की संरचना। भाषा जब यथार्थवादी अर्थ प्रकट करती है तो वह प्रतिबिम्बन करती है। उसके निहितार्थ में उद्देश्य शामिल होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि भाषा अर्थ प्रकट करने में असमर्थ होती है। भाषाई अस्मिता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ‘भाषा’ में एक बड़ा क्षेत्र है जो चुप्पी साधे हुए है। उदाहरण स्वरूप स्त्रियों के साथ बलात्कार, घरेलू हिंसा, निचले तबके का शोषण आदि पर। आज भी इन वर्गों को अपनी बात कहने के लिए इनके पास अपनी भाषा, अपने शब्द नहीं हैं। या कहें कि आज भी भाषा उस रूप में विकसित नहीं हो पाई है, जिसके अंतर्गत ये लोग अपनी आप बीती को अभिव्यक्ति प्रदान कर सकें।

छात्रों को किया गया पुरस्कृत

सेमिनार पूर्व भाषा विमर्श से संबंधित एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों ने प्रतिभागिता दर्ज की। 50 से अधिक छात्रों ने लिखित और मौखिक प्रश्नोत्तरी में भाग लिया। प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार विजेता क्रमश: शिंतु, मोहम्मद कादिर और अभिषेक पांडेय को वाणी प्रकाशन की तरफ से 1500, 1200 और 1000 मूल्य के पुस्तकों का सेट दिया गया। निकिता के ओवरऑल प्रदर्शन पर उन्हें भी पुरस्कृत किया गया।

मातृभाषा केंद्रित भित्ति पत्रिका का उद्घाटन

कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. रबी नारायण कर ने मातृभाषा केंद्रित भित्ति पत्रिका का उद्घाटन किया। पत्रिका में मातृभाषा से संबंधित कविताओं को स्थान दिया गया है। अंत में कार्यक्रम के संयोजक और विभाग प्रभारी डॉ. राजकुमार प्रसाद ने सफल कार्यक्रम के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।

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