एचटेट परिणाम रद करने पर हाई कोर्ट ने हरियाणा शिक्षा बोर्ड पर लगाया एक लाख रुपये का जुर्माना, जानें क्या है मामला
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा शिक्षा बोर्ड पर एक पीजीटी अभ्यर्थी का परिणाम रद करने के असंवेदनशील दृष्टिकोण के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसकी बायोमीट्रिक पहचान एलर्जी के कारण दर्ज नहीं की जा सकी, जिसके परिणामस्वरूप उसके करियर के पांच साल बर्बाद हो गए। हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (एचटीईटी) में पीजीटी परीक्षा देने वाला अभ्यर्थी अपनी अंगुली पर फंगल संक्रमण के कारण बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट नहीं दे सका।
अभ्यर्थी की पहचान सत्यापित नहीं की जा सकी
परीक्षा केंद्र पर मौजूद अधिकारियों ने मैन्युअल रूप से छाप लेने पर सहमति जताई और उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति दी। हालांकि, बाद में बोर्ड ने यह कहते हुए परिणाम रद कर दिया कि बायोमीट्रिक डेटा की अनुपस्थिति के कारण अभ्यर्थी की पहचान सत्यापित नहीं की जा सकी। जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने कहा कि याचिकाकर्ता के परिणाम को रद करने का कारण बायोमीट्रिक में विफलता था, जबकि प्रतिवादी-बोर्ड का यह स्वीकार किया हुआ मामला है कि याचिकाकर्ता के हाथों में उपरोक्त एलर्जी/फंगल संक्रमण था और इसका कोई खंडन नहीं है।
बोर्ड का दृष्टिकोण बिल्कुल असंवेदनशील
याचिकाकर्ता ने 16 नवंबर 2019 को परीक्षा दी थी और उसका परिणाम रद कर दिया गया है और उसके परिणाम रद होने के कारण उसका करियर बुरी तरह प्रभावित हुआ है, क्योंकि उपरोक्त परीक्षा शिक्षक के पद के लिए आवेदन करने के लिए पूर्व-आवश्यक है, जिसके लिए वह उपरोक्त कारणों से आवेदन नहीं कर सका। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी-बोर्ड का दृष्टिकोण बिल्कुल असंवेदनशील है और अत्यधिक निंदनीय है।
बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट नहीं लिए जा सके
कोर्ट ने यह टिप्पणियां फतेहाबाद निवासी हरजीत सिंह नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। हरजीत सिंह 2019 में आयोजित एचटीईटी की परीक्षा में याचिकाकर्ता की पहचान और उपस्थिति सत्यापित करने के लिए राज्य अधिकारियों को निर्देश देने की मांग कर रहे थे ताकि उसका परिणाम घोषित किया जा सके। हरजीत सिंह का मानना था कि चूंकि उनकी उंगलियों में एलर्जी/फंगल संक्रमण है, इसलिए परीक्षा के दिन उनके बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट नहीं लिए जा सके।
चार-पांच व्यक्तियों की एक कमेटी गठित कर दी
यह दलील दी गई कि उन्होंने केंद्र प्रभारी से विशेष रूप से यह कहते हुए परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का अनुरोध किया था कि हाथों में एलर्जी के कारण उनके बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट नहीं लिए जा सकते हैं और निर्विवाद रूप से उन्हें उसी तिथि पर परीक्षा देने की अनुमति दी गई थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि एलर्जी के कारण उनके बायोमेट्रिक सत्यापित नहीं किए जा सके, लेकिन उसके अनुरोध पर याचिकाकर्ता द्वारा उनके सभी पहचान प्रमाण और दस्तावेज दिखाने और फंगल/एलर्जी संक्रमण के बारे में बताने के बाद, प्रतिवादी-बोर्ड के अधिकारियों ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया और मौके पर ही चार-पांच व्यक्तियों की एक कमेटी गठित कर दी।
करियर बुरी तरह प्रभावित
कोर्ट ने कहा कि उक्त कमेटी ने याचिकाकर्ता से लिखित अनुरोध लिया था और अनुरोध के मद्देनजर उसके मैन्युअल फिंगर प्रिंट भी लिए थे। यह नहीं कहा जा सकता कि केवल केंद्र प्रभारी की गलती के कारण याचिकाकर्ता को परीक्षा देने की अनुमति दी गई, बल्कि यह वहां मौजूद चार-पांच अधिकारियों का सचेत निर्णय था, जिन्होंने याचिकाकर्ता को परीक्षा देने की अनुमति दी। उपरोक्त के आलोक में कोर्ट ने पाया कि उसके परिणाम रद होने के कारण उसका करियर बुरी तरह प्रभावित हुआ है, याचिका को स्वीकार करते हुए, कोर्ट ने बोर्ड को याचिकाकर्ता का परिणाम तत्काल घोषित करने का निर्देश भी दिया।
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