Punjab Election 2024: परनीत कौर पांचवीं तो हरसिमरत कौर बादल चौथी जीत के लिए मैदान में, जानें कौन मारेगा बाजी

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : Punjab Election 2024: पंजाब में लोकसभा चुनाव के मैदान में अभी तक छह महिला प्रत्याशी उतर चुकी हैं, लेकिन सबकी दृष्टि दो बड़े घरानों की महिलाओं पर टिकी हुई है। शाही परिवार से कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर पटियाला से भाजपा प्रत्याशी हैं तो शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल बठिंडा से चुनाव लड़ रही हैं। परनीत कौर पांचवीं तो हरसिमरत कौर चौथी जीत के लिए मैदान में हैं। इस बार दोनों ही प्रत्याशियों की जीत की राह सरल नहीं दिख रही है।

जीत का परचम लहराने का बहुत अधिक दबाव

 

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन, सुखबीर और पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल हार गए थे। ऐसे में दोनों ही परिवार की साख दांव पर है। उन पर जीत का परचम लहराने का बहुत अधिक दबाव है।
79 वर्षीय परनीत कौर का यह अंतिम चुनाव है। वह कांग्रेस के बजाय पहली बार भाजपा से चुनाव लड़ रही हैं। वह पटियाला से चार बार की सांसद हैं और मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री थीं। उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी डा. धर्मवीर गांधी से है, जिन्होंने उनको 2014 के चुनाव में हराया था। मैदान में शिअद के प्रत्याशी एनके शर्मा और आप के मंत्री डा. बलबीर सिंह भी हैं। एनके शर्मा डेरा बस्सी से विधायक रह चुके हैं और हिंदू नेता हैं। दोनों प्रत्याशियों का अच्छा आधार है। ऐसे में परनीत कौर के लिए मुकाबला बहुत कड़ा है।

हरसिमरत कौर की शास भी दांव पर

 

वहीं, बादल परिवार से हरसिमरत कौर एकमात्र उम्मीदवार हैं। सुखबीर इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। हरसिमरत कौर दो बार केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं। वह बठिंडा से तीन बार जीत चुकी हैं। वर्ष 2015 में हुई बेअदबी की घटना के बाद शिअद लगातार हाशिये पर चल रहा है। हरसिमरत कौर की जीत से बादल परिवार का पार्टी में दबदबा बना रह सकता है। उनका मुकाबला शिअद के वरिष्ठ नेता सिकंदर सिंह मलूका की बहू पूर्व आइएएस अधिकारी परमपाल कौर से है। शिअद से ही कांग्रेस में गए जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू और आप के कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह खुडिया भी मैदान में हैं।

बादल परिवार पहले आया राजनीति में

बादल परिवार पहले राजनीति में आया है। प्रकाश सिंह बादल ने 1947 में ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था। वह 1957 में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। इसके दस वर्ष बाद 1967 में पटियाला के शाही खानदान ने राजनीति में कदम रखा। कैप्टन की मां राजमाता मोहिंदर कौर 1967 में पहली बार सांसद चुनी गई थीं। पटियाला सीट पर कैप्टन परिवार दस लोकसभा चुनाव लड़ चुका है। इसमें से छह बार उसे जीत और चार बार हार मिली।

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