QS University Rankings: JNU को विश्व के शीर्ष 20 विश्वविद्यालयों में मिली जगह, भारत के किन संस्थानों को मिली जगह

नई दिल्ली, प्रेट्र : QS University Rankings: उच्च शिक्षा विश्लेषण संबंधी कंपनी क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS), लंदन ने बुधवार को 2024 के लिए विश्व के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग जारी कर दी। इसमें जेएनयू को भारत में सबसे अधिक रैंक वाली यूनिवर्सिटी बताया गया है। इतना ही नहीं विकास अध्ययन श्रेणी में यह विश्वविद्यालय दुनिया में 20वें स्थान पर है।

आइआइएम अहमदाबाद विश्व के शीर्ष 25 प्रबंधन संस्थानों में

 

क्यूएस रैंकिंग के मुताबिक, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम अहमदाबाद) व्यवसाय एवं प्रबंधन अध्ययन के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष 25 संस्थानों में से एक है। वहीं आइआइएम-बेंगलुरु और आइआइएम-कलकत्ता शीर्ष 50 संस्थानों में शामिल हैं। इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आइआइटी बंबई को 45वां स्थान मिला है। 69 भारतीय विश्वविद्यालयों ने विषय के आधार पर क्यूएस रैंकिंग में अपनी जगह बनाने में सफलता हासिल की है। पिछले साल 66 भारतीय विश्वविद्यालयों ने इस सूची में जगह बनाई थी।

उच्च शिक्षा क्षेत्र को आगे बढ़ाने में निजी क्षेत्र की सकारात्मक भूमिका

 

क्यूएस की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO ) जेसिका टर्नर ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस बात को स्वीकार किया गया है। शिक्षा की स्थिति में सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 2035 तक सकल नामांकन अनुपात 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि क्यूएस ने यह गौर किया है कि भारत के निजी क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थानों के कई कार्यक्रमों ने इस साल प्रगति की है। भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र को आगे बढ़ाने में निजी क्षेत्र की सकारात्मक भूमिका को प्रदर्शित करता है। हालांकि अब भी बहुत काम किया जाना बाकी है।

शोध करने वाला दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है भारत

 

भारत दुनिया के सबसे तेजी से विस्तार करने वाले शोध केंद्रों में एक है। स्कोपस/एल्सेवियर (क्यूएस की ग्रंथसूची और अनुसंधान डाटा) के आधार पर बताया गया है कि 2017 से 2022 तक भारत में होने वाले शोध में 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि न केवल वैश्विक औसत के दोगुने से अधिक है, बल्कि पश्चिमी समकक्षों के शोध से भी काफी अधिक है। क्यूएस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बेन साटर ने कहा कि आकार के लिहाज से भारत शोध करने वाला दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है। इस अवधि में भारत में 13 लाख अकादमिक पेपर तैयार किए गए। इस दौरान चीन में 45 लाख, अमेरिका में 44 लाख और ब्रिटेन में 14 लाख अकादमिक पत्र तैयार किए गए। साटर ने कहा कि वर्तमान रफ्तार को देखते हुए भारत शोध के क्षेत्र में ब्रिटेन से आगे निकलने की कगार पर है। जहां तक शोध के प्रभाव की बात है, तो 2017-2022 दौरान भारत दुनिया में नौवें स्थान पर रहा। यह एक प्रभावशाली स्थिति है।

अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क संकेतक में 16 प्रतिशत की वृद्धि

 

विषय के आधार पर इस वर्ष की क्यूएस विश्वविद्यालय रैंकिंग में भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क संकेतक में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो मात्रा और विविधता या अनुसंधान साझेदारी का आकलन करता है। हालांकि, एच इंडेक्स में पांच प्रतिशत की कमी आई है, जो अनुसंधान उत्पादकता और उसके प्रभाव के बीच संतुलन का आकलन करता है।

 

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