राहुल गांधी वायनाड की सीट छोड़ रायबरेली से बने रहेंगे सांसद, प्रियंका गांधी लड़ेंगी चुनाव

नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से इस्तीफा देंगे और रायबरेली से सांसद बने रहेंगे। वायनाड से प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ेंगी। सोमवार को कांग्रेस की 2 घंटे की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसका ऐलान किया। राहुल गांधी ने भी मतगणना के दिन (चार जून) पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका संकेत दिया था। उन्होंने यूपी को स्पेशल थैंक्यू बोला था। मगर, 12 जून को जब राहुल वायनाड में मतदाताओं का आभार जताने पहुंचे, तब उन्होंने कहा था कि मैं दुविधा में हूं, मैं कौन-सी सीट रखूं और कौन-सी छोड़ दूं। मुझे उम्मीद है, जो भी फैसला लूंगा, उससे सभी खुश होंगे।

 

जानें क्यों रायबरेली सीट चुनी राहुल गांधी ने

 

  1. रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार का गढ़ है।
  2.  पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की भी सलाह है कि राहुल गांधी रायबरेली सीट अपने पास रखें।
  3.  सोनिया गांधी ने सीट छोड़ते समय रायबरेली की जनता से कहा था, मैं अपना बेटा आपको सौंप रही हूं।
  4. रायबरेली की जीत इस लिहाज से भी बड़ी है कि परिवार ने अमेठी की खोई सीट भी हासिल कर ली।
  5.  परिवार के लोग भी चाह रहे हैं कि राहुल गांधी रायबरेली का प्रतिनिधित्व करें।
  6.  गांधी परिवार के प्रमुख ने हमेशा यूपी से ही राजनीति की। राहुल के पिता राजीव गांधी अमेठी और परदादा जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से चुनाव लड़ते रहे हैं। रायबरेली सीट से मां सोनिया, दादी इंदिरा और दादा फिरोज गांधी सांसद रहे।
  7. सोनिया गांधी ने भी राहुल गांधी को समझाया था कि यूपी कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए उन्हें रायबरेली अपने पास रखना चाहिए।
  8. कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव संचालन समिति के एक सदस्य ने बताया कि सीईसी की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राहुल रायबरेली लोकसभा सीट पर बने रहें।

अमेठी से सांसद बोले, राहुल गांधी को रायबरेली सीट रखनी चाहिए

 

अमेठी से कांग्रेस सांसद केएल शर्मा ने कहा कि मेरी राय है कि उन्हें (राहुल गांधी) रायबरेली की सीट अपने पास रखनी चाहिए। पिता और मां दोनों ने यहां से चुनाव लड़ा था। राहुल गांधी तो पूरे हिंदुस्तान से चुनाव लड़ सकते थे, लेकिन लोकतंत्र में व्यक्ति के पास एक ही सीट रह सकती है।

जानें क्या है नियम?

संविधान के तहत कोई व्यक्ति एक साथ संसद के दोनों सदनों या संसद और राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता। न ही एक सदन में एक से ज्यादा सीटों का प्रतिनिधित्व कर सकता है। संविधान के अनुच्छेद 101 (1) में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 68 (1) के तहत अगर कोई जनप्रतिनिधि दो सीटों से चुनाव जीतता है, तो उसे रिजल्ट घोषित होने के 14 दिनों में एक सीट छोड़नी होती है। अगर एक सीट नहीं छोड़ता है, तो उसकी दोनों सीटें रिक्त हो जाती हैं।

 

 

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