रक्षाबंधन 2024: 19 अगस्त को देशभर में मनाया जाएगा रक्षाबंधन, सुबह में लग रही भद्रा, जानें- राखी बांधने का मुहूर्त, शुभ योग, महत्व
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज: Raksha Bandhan Special: सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर हर साल रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व में अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा तिथि का होना आवश्यक होता है, और भद्रा का वर्जन किया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा सूर्य की पुत्री और शनि की बहन मानी जाती है, और इसकी उपस्थिति में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। रक्षाबंधन के दिन प्रातः स्नान कर देवताओं, पितरों, और ऋषियों का स्मरण किया जाता है। इसके बाद रक्षा सूत्र (राखी) को गाय के गोबर से शुद्ध किए गए स्थान पर रखकर विधिपूर्वक पूजा की जाती है, और फिर इसे दाहिने हाथ में बांधा जाता है। रक्षा सूत्र बांधते समय निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
रक्षाबंधन का मुहूर्त
विक्रम संवत 2081 के अनुसार, इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व सावन शुक्ल पूर्णिमा, जो 19 अगस्त 2024 को है, को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्योदय से पूर्व 03:05 बजे से रात्रि 11:55 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। चंद्रमा के मकर राशि में होने के कारण भद्रा पाताल लोक में निवास करेगी, जिससे भद्रा दोष नहीं लगेगा। सोमवार, 19 अगस्त 2024 को सुबह 9 बजे श्रवण पूजन के बाद शाम 5 बजे तक रक्षाबंधन का पर्व शुभ और कल्याणकारी रहेगा।
रक्षाबंधन की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों के बीच बारह वर्षों तक युद्ध हुआ, जिसमें देवताओं की हार हुई और असुरों ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। निराश होकर इंद्र अपने गुरु बृहस्पति के पास गए और अपनी चिंता व्यक्त की। इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने यह सब सुनकर कहा कि श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन मैं रक्षासूत्र तैयार करूंगी, जिसे ब्राह्मणों से बंधवाकर आप युद्ध के लिए जाएं। अगले दिन, इंद्र ने रक्षासूत्र बांधकर युद्ध किया, जिसमें असुरों को हार का सामना करना पड़ा और इंद्र की विजय हुई। तब से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा।
रक्षाबंधन 2024 भद्रा का समय
इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया रहेगा। रक्षाबंधन पर भद्रा के प्रारंभ का समय सुबह में 5 बजकर 53 मिनट पर है, उसके बाद वह दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस भद्रा का वास पाताल लोक में है. हालांकि कई विद्वानों का मत है कि यदि भद्रा का वास स्थान पाताल या फिर स्वर्ग लोक में है तो वह पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए अशुभ नहीं होती है। उसे शुभ ही माना जाता है, लेकिन कई शुभ कार्यों में पाताल की भद्रा को नजरअंदाज नहीं करते हैं।
रक्षाबंधन के शाम पंचक भी
रक्षाबंधन वाले दिन शाम के समय में पंचक भी लग रहा है. पंचक शाम 7 बजे से शुरू होगा और अगले दिन सुबह 5 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। पंचक सोमवार को लग रहा है, जो राज पंचक होगा, इसके अशुभ नहीं माना जाता है. यह शुभ होता है।
3 शुभ योग में है रक्षाबंधन
इस साल रक्षाबंधन पर 3 शुभ योग बन रहे हैं। उस दिन शोभन योग पूरे दिन रहेगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 05:53 एएम से 08:10 एएम तक है, वहीं रवि योग 05:53 एएम से 08:10 एएम तक है।
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधकर अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। बदले में भाई अपनी प्यारी बहना को दक्षिणा और उपहार देते हैं।
श्रवण पूजन
श्रवण शुक्ल पूर्णिमा का दिन श्रवण कुमार की पितृभक्ति को भी समर्पित है। कथा के अनुसार, श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता के लिए जल लेने गए थे, जहां राजा दशरथ ने उन्हें गलती से शिकार समझकर शब्द भेदी बाण से मार डाला। श्रवण की मृत्यु के बाद उनके माता-पिता के विलाप ने दशरथ को अपने अपराध का अहसास कराया और उन्होंने श्रावणी के दिन श्रवण पूजा का प्रचार किया। तभी से इस दिन श्रवण पूजा की परंपरा शुरू हुई।
श्रावणी उपाकर्म
सावन मास की शुक्ल पूर्णिमा को श्रावणी उपाकर्म का भी महत्व है। यह ब्राह्मणों का प्रमुख पर्व है, जिसमें वेद पारायण की शुरुआत होती है। इस दिन यज्ञोपवीत (जनेऊ) का पूजन किया जाता है और पुराने यज्ञोपवीत को उतारकर नया धारण किया जाता है। यह प्राचीन भारत की समृद्ध परंपरा का हिस्सा है, जिसमें गुरु और शिष्य मिलकर इस अनुष्ठान को संपन्न करते हैं।
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