Ayodhya Ram Mandir: गर्मी आते ही बदले गए रामलला के भोग और पोशाक, सोने के कटोरे में ग्रहण करते हैं मधुपर्क
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अयोध्या, बीएनएम न्यूज : पांच सदी की प्रतीक्षा के बाद जब रामलला नव्य व भव्य मंदिर में विराजित हुए हैं तो उनका पूजन-अर्चन, राग भोग भी निरंतर पुष्ट होता जा रहा है। रामलला की सेवा भलीभांति हो रही है। ग्रीष्म ऋतु के दृष्टिगत अब उनके भोग में भी परिवर्तन किया गया है। गर्मी के कारण उनके भोग में दही भी शामिल किया गया है। साथ ही यहां पहली बार भगवान को मधुपर्क (मधु, दही, घी और जल का मिश्रण) का अर्पण किया जाने लगा है।
आराध्य के सम्मुख नित्य पांच बार सोने के कटोरे में इस विशेष पेय पदार्थ को निवेदित किया जाता है। इसकी शुरुआत भोर में चार बजे से होती है। मंगला आरती से पूर्व इसका अर्पण होता है। दिन में जब भी आरती होती है या आराध्य को बालभोग (जलपान) अर्पित किया जाता है तो पहले मधुपर्क प्रस्तुत किया जाता है। अर्चकों के प्रशिक्षण की भावभूमि तैयार करने वाले युवा शास्त्रज्ञ आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण कहते हैं कि मधुपर्क मांगल्य व माधुर्य का प्रतीक है। इसीलिए इसे प्रभु को सतत निवेदित करने का विधान है।
भोर में 4 बजे प्रार्थना पूर्वक जगाया जाता है प्रभु राम को
अर्चक बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के संयोजन में रामलला की पूजा पद्धति व राग भोग विधि पूर्वक संपादित हो रहा है। वह मानते हैं कि जब भगवान टेंट में थे या वैकल्पिक गर्भगृह में भी विराजित थे, तो पूजा पाठ, राग भोग का संक्षिप्त विधान था, जो अब वृहत्तर है। भगवान का जागरण भोर में चार बजे प्रार्थना पूर्वक कराया जाता है। समस्त पूजा विधान के साथ ही उन्हें मधुपर्क, फल और मिष्ठान अर्पित होता है। फिर पहली आरती होती है। पूजन आदि का क्रम पूर्ण होने के बाद आराध्य का शृंगार होता है।
आरती से पहले मधुपर्क, रबड़ी व मिष्ठान का भोग
शृंगार आरती के पहले मधुपर्क, रबड़ी व मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। मौसमी फल संतरा, सेब आदि अर्पित होता है। मेवा निवेदित करने की परंपरा है। इसी के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन का क्रम प्रारंभ होता है। तत्पश्चात प्रात: नौ बजे उन्हें बाल भोग में मधुपर्क के साथ ही दलिया, हलवा, खीर आदि व्यंजन अर्पित होते हैं। मध्याह्न 12 बजे की आरती के पहले मधुपर्क के बाद दाल, रोटी, चावल, दही, दो प्रकार की सब्जी व तस्मई प्रस्तुत की जाती है। सायं सात बजे संध्या आरती में मधुपर्क, लड्डू, फल, मेवे तथा शयन आरती के पहले भी मधुपर्क अर्पित कर उन्हें पूड़ी, सब्जी, तस्मई का भोग लगता है। विशिष्ट अवसरों पर छप्पन व्यंजनों का भोग भी लगता है। मंदिर के अर्चकों के अनुसार दही व फल को गर्मी के दृष्टि से भोग में शामिल किया गया है।
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