यूपी में शिक्षकों को ऑनलाइन अटेंडेंस में राहत, अब किसी भी समय टैबलेट से लगा सकेंगे हाजिरी
लखनऊ, बीएनएम न्यूज: उत्तर प्रदेश के 6.90 लाख शिक्षकों को अब ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली से राहत मिल गई है। शिक्षकों के विरोध के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने सुबह 8.30 बजे अटेंडेंस लगाने के अनिवार्य समय में छूट दी है। अब शिक्षक तकनीकी समस्याओं के कारण किसी भी समय टैबलेट से हाजिरी लगा सकेंगे।
डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली का विरोध
प्रदेश के बेसिक, कंपोजिट और कस्तूरबा स्कूलों में 8 जुलाई से डिजिटल अटेंडेंस व्यवस्था लागू की गई थी। लेकिन इस नई व्यवस्था का शिक्षकों ने कड़ा विरोध किया। शिक्षकों ने बांह पर काली पट्टी बांधकर बच्चों को पढ़ाया, इस प्रकार अपना विरोध दर्ज कराया।
पहले दी गई थी 30 मिनट की राहत
बेसिक शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन अटेंडेंस के लिए सुबह 7.45 से 8 बजे तक का समय निर्धारित किया था। विरोध को देखते हुए, महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने थोड़ी राहत देते हुए 30 मिनट का अतिरिक्त समय दिया। इसके तहत शिक्षक सुबह 8.30 बजे तक (कारण सहित बताते हुए) अटेंडेंस लगा सकते थे। हालांकि, शिक्षक इससे संतुष्ट नहीं थे और अधिक छूट की मांग कर रहे थे।
फेस रिकग्निशन के जरिए डिजिटल अटेंडेंस
परिषदीय विद्यालयों में पिछले साल से शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों की अटेंडेंस को डिजिटल करने की तैयारी चल रही थी। हालांकि तब विरोध के चलते यह योजना सफल नहीं हो पाई थी। इस सत्र की शुरुआत के साथ ही छात्रों की उपस्थिति को डिजिटल कर दिया गया।
शिक्षकों और कर्मचारियों को भी 15 जुलाई से फेस रिकग्निशन के जरिए डिजिटल अटेंडेंस लगाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन, अचानक 8 जुलाई से ही उनकी उपस्थिति भी डिजिटल करने के आदेश जारी कर दिए गए। इस नई व्यवस्था के चलते शिक्षकों को बारिश के कारण खराब रास्ते और स्कूलों में जलभराव जैसी व्यवहारिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने इन समस्याओं का हवाला देते हुए रियायत देने की मांग की थी।
शिक्षकों को मिली राहत
शिक्षकों के विरोध और समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने उन्हें ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली में छूट देने का निर्णय लिया। अब शिक्षक दिन में किसी भी समय टैबलेट से अपनी हाजिरी लगा सकेंगे। इस कदम से शिक्षकों को कुछ राहत मिली है और उम्मीद है कि इससे वे अपने शिक्षण कार्य पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।
यह निर्णय शिक्षकों के हित में लिया गया है ताकि वे तकनीकी समस्याओं के बावजूद समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकें और शिक्षण कार्य में किसी भी प्रकार की रुकावट न आए। इस प्रकार, यह कदम शिक्षकों और प्रशासन दोनों के लिए एक सकारात्मक पहल साबित हो सकती है।
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