कैथल में “ऑपरेशन सिंदूर” के शौर्य को नमन: तिरंगा यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, देशभक्ति और राष्ट्रीय स्वाभिमान का अभूतपूर्व प्रदर्शन

तिरंगा यात्रा में भाग लेते सांसद जिंदल व अन्य

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News : भारत अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक विविधता और अटूट शौर्य परंपराओं के लिए विश्वविख्यात है। इस राष्ट्र की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने में भारतीय सशस्त्र सेनाओं का योगदान अतुलनीय रहा है। समय-समय पर जब भी राष्ट्र की संप्रभुता पर कोई आंच आई या मानवता संकट में पड़ी, भारतीय सेना के वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भी राष्ट्र के गौरव की रक्षा की है। इसी गौरवशाली परंपरा की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में “ऑपरेशन सिंदूर” को देखा जा रहा है, एक ऐसा सैन्य अभियान जिसने न केवल दुश्मनों के मंसूबों को नेस्तनाबूद किया बल्कि राष्ट्र के स्वाभिमान को भी नई ऊंचाइयां प्रदान कीं। इसी ऐतिहासिक सफलता और भारतीय सेना के अदम्य साहस को सलाम करने तथा आम जनमानस में देशभक्ति एवं राष्ट्रवाद की भावना को और अधिक प्रगाढ़ करने के उद्देश्य से हरियाणा की पावन धरा कैथल में एक भव्य तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा केवल एक औपचारिक जुलूस नहीं बल्कि राष्ट्र के प्रति समर्पण और भारतीय सेना के प्रति कृतज्ञता का एक जीवंत प्रतीक बन गई।

तिरंगा यात्रा: देशभक्ति के रंग में रंगा कैथल

 

कैथल की सड़कें उस दिन देशभक्ति के एक अलग ही रंग में रंगी हुई थीं। मौका था “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता के उपलक्ष्य में और भारतीय सेना के पराक्रम को सम्मानित करने के लिए आयोजित विशाल तिरंगा यात्रा का। इस यात्रा में समाज के हर वर्ग की भागीदारी देखने को मिली। विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि, युवा, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे, सभी हाथों में तिरंगा लिए, गर्व और उत्साह के साथ इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने के लिए एकत्रित हुए थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो पूरा कैथल शहर ही तिरंगे के तीन रंगों – केसरिया, श्वेत और हरे   में सराबोर हो गया हो।

यात्रा का शुभारंभ कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र के माननीय सांसद नवीन जिंदल द्वारा किया गया। श्री जिंदल जो स्वयं उद्योग जगत में अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ राष्ट्र ध्वज के प्रति सम्मान और उसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए जाने जाते हैं की उपस्थिति ने कार्यक्रम में एक नई ऊर्जा का संचार किया। यात्रा का आरंभ स्थल ऐतिहासिक गीता भवन मंदिर था, जहां से यह कारवां देशभक्ति के नारों और गीतों के साथ आगे बढ़ा।

यात्रा का मार्ग शहर के प्रमुख स्थानों से होकर गुजरा, जिसमें कमेटी चौक, पिहोवा चौक और सबसे महत्वपूर्ण शहीद स्मारक शामिल थे। शहीद स्मारक पर पहुंचकर यात्रा में शामिल सभी लोगों ने भारत माता के उन वीर सपूतों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। यह क्षण अत्यंत भावुक और प्रेरणादायक था, जब मौन श्रद्धांजलि के साथ-साथ भारत माता की जय और वीर शहीद अमर रहें के नारे गूंज रहे थे।

उत्साह, सम्मान और संकल्प का संगम

 

तिरंगा यात्रा के दौरान मार्ग के दोनों ओर खड़े नागरिकों ने पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। “हिंदुस्तान जिंदाबाद,” “भारतीय सेना जिंदाबाद,” “वन्दे मातरम्” और “भारत माता की जय” जैसे गगनभेदी नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। देशभक्ति के गीतों की धुनें जोश और राष्ट्रीय गौरव की भावना को और तीव्र कर रही थीं। इस यात्रा की एक विशेष बात यह भी रही कि सांसद श्री नवीन जिंदल ने स्वयं घोड़े पर सवार होकर यात्रा का नेतृत्व किया। घोड़े पर सवार, हाथ में तिरंगा थामे सांसद की यह छवि, नेतृत्व, शौर्य और परंपरा का एक अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रही थी, जिसने उपस्थित जनसमूह में विशेष उत्साह भर दिया।

अपने संबोधन में सांसद नवीन जिंदल ने कहा, “यह तिरंगा यात्रा भारतीय सेना के उस अदम्य साहस, उस अद्वितीय निष्ठा और उस अनुकरणीय अनुशासन के सम्मान में निकाली जा रही है, जिसका परिचय हमारे वीर सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए दिया। कैथल की यह पावन धरा आज इस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बन रही है। यह केवल एक यात्रा नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र धर्म के पथ पर अडिग रहने का एक सामूहिक संकल्प है, और हम सभी इस संकल्प को अपने जीवन में उतारने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा,”जिन कायर आतंकियों ने हमारी बहन-बेटियों के माथे के सिंदूर को उजाड़ने का घृणित प्रयास किया था, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने उन बहन-बेटियों को न्याय दिलाया है। यह ऑपरेशन आतंकवाद के विरुद्ध भारत की निर्णायक लड़ाई में एक मील का पत्थर है और भारत की एक ऐतिहासिक सफलता है, जिसने विश्व को भारत के नए संकल्प और शक्ति का परिचय दिया है।”

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“ऑपरेशन सिंदूर”: शौर्य और न्याय की गाथा

 

यद्यपि “ऑपरेशन सिंदूर” के सामरिक विवरणों को रणनीतिक कारणों से सार्वजनिक नहीं किया गया है, तथापि विभिन्न वक्ताओं के उद्गारों और जनमानस की प्रतिक्रियाओं से यह स्पष्ट है कि यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सफल सैन्य अभियान था। इस ऑपरेशन का नाम “सिंदूर” अपने आप में गहरा प्रतीकात्मक अर्थ रखता है। भारतीय संस्कृति में सिंदूर सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक है। इस नामकरण से यह संकेत मिलता है कि यह ऑपरेशन उन असामाजिक और राष्ट्रविरोधी ताकतों के विरुद्ध था जिन्होंने निर्दोष नागरिकों, विशेषकर महिलाओं को निशाना बनाया और उनके परिवारों को उजाड़ने का कुकृत्य किया।

“ऑपरेशन सिंदूर” को भारतीय सेना की सटीक योजना, समन्वय, साहस और उच्च स्तरीय व्यावसायिकता का प्रमाण माना जा रहा है। यह ऑपरेशन संभवतः अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में, सीमित समय में और न्यूनतम क्षति के साथ पूरा किया गया होगा, जैसा कि भारतीय सेना की कार्यशैली रही है। इस ऑपरेशन ने न केवल देश की सीमाओं को सुरक्षित किया बल्कि देश के दुश्मनों को एक कड़ा संदेश भी दिया कि भारत अपनी एकता, अखंडता और अपने नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।

यात्रा में मौजूद लोग

अन्य गणमान्य व्यक्तियों के विचार

 

तिरंगा यात्रा में उपस्थित भारतीय जनता पार्टी की जिलाध्यक्ष ज्योति सैनी ने  कहा, “‘ऑपरेशन सिंदूर’ की अभूतपूर्व सफलता ने भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और सामरिक क्षमता का डंका पूरे विश्व पटल पर बजाया है। यह ऑपरेशन दर्शाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत अब किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है। आम लोगों में देशभक्ति एवं राष्ट्रवाद की भावना को और अधिक मजबूत करने तथा अपनी सेना के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए पूरे प्रदेश में इस प्रकार की तिरंगा यात्राएं आयोजित की जा रही हैं।”

इस अवसर पर पूर्व विधायक लीला राम ने भी अपने संबोधन में भारतीय सेना के पराक्रम की सराहना की। उन्होंने कहा, “देश की वीर सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जो पराक्रम और शौर्य का प्रदर्शन किया है, उसे न केवल भारत ने बल्कि पूरी दुनिया ने देखा है। हमें अपनी सेना पर गर्व है, जो दिन-रात हमारी सीमाओं की रक्षा करती है और हमें सुरक्षित रखती है।”

भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक गुर्जर ने इस संदर्भ में कहा, “सेना का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना के शौर्य, देश के स्वाभिमान और नए भारत के उस संकल्प का प्रतीक है, जो किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है। इस ऑपरेशन ने प्रत्येक भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। यह नए भारत की उस नीति का परिचायक है जो कहती है कि हम छेड़ते नहीं, पर कोई छेड़े तो उसे छोड़ते नहीं।”

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तिरंगा यात्रा का महत्व और संदेश

 

कैथल में आयोजित यह तिरंगा यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण थी:

सेना का मनोबल बढ़ाना: जब आम नागरिक अपनी सेना के समर्थन में सड़कों पर उतरते हैं, तो यह सीमा पर तैनात जवानों का मनोबल कई गुना बढ़ा देता है। उन्हें यह अहसास होता है कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है।
राष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन: इस यात्रा में विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों की भागीदारी ने भारत की “विविधता में एकता” की भावना को और मजबूत किया। यह दिखाया कि राष्ट्रहित के मुद्दों पर सभी भारतीय एकजुट हैं।
युवा पीढ़ी में देशभक्ति का संचार: ऐसी यात्राएं युवा पीढ़ी को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों, सेना के बलिदानों और राष्ट्रीय गौरव के महत्व से परिचित कराती हैं। यह उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करती हैं।
शहीदों को स्मरण: शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करना यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्र अपने वीर सपूतों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा और उनकी कुर्बानियां आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेंगी।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार: ऐसे सामूहिक आयोजन समाज में एक सकारात्मक ऊर्जा और आशावाद का संचार करते हैं, जो राष्ट्र निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है।

निष्कर्ष: एक संकल्प, एक प्रण

 

कैथल में संपन्न हुई तिरंगा यात्रा केवल एक दिन का आयोजन भर नहीं थी, बल्कि यह भारतीय सेना के प्रति अगाध श्रद्धा, “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी सफलताओं पर गर्व और राष्ट्र के प्रति अटूट निष्ठा का उद्घोष थी। यह यात्रा उस संकल्प को दोहराती है कि भारत का प्रत्येक नागरिक “राष्ट्र प्रथम” की भावना से ओतप्रोत है और देश की एकता, अखंडता तथा संप्रभुता की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेगा। सांसद नवीन जिंदल के नेतृत्व में और हजारों नागरिकों की भागीदारी के साथ, यह तिरंगा यात्रा कैथल के इतिहास में देशभक्ति और राष्ट्रीय स्वाभिमान के एक ज्वलंत अध्याय के रूप में अंकित हो गई है। यह उन अनगिनत बलिदानों को याद करने का अवसर था जिन्होंने हमें स्वतंत्रता और सुरक्षा प्रदान की है, और यह भविष्य के भारत के निर्माण के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता का भी क्षण था, एक ऐसा भारत जो मजबूत हो, सुरक्षित हो, और विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर हो। “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता और उसके उपलक्ष्य में आयोजित यह तिरंगा यात्रा इसी नए भारत के आत्मविश्वास और संकल्प का प्रतिबिंब है।

 

 

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