संजय सिंह ने कहा, WFI के निलंबन को अदालत में चुनौती देंगे, उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई
नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह ने गुरुवार को कहा कि खेल मंत्रालय ने कुश्ती की राष्ट्रीय संस्था को निलंबित करते समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और वह इस निर्णय को अदालत में चुनौती देंगे। खेल मंत्रालय ने रविवार को WFI को चुनाव के तीन दिन बाद निलंबित कर दिया था क्योंकि उसने अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप की घोषणा सहित कुछ निर्णयों में अपने संविधान का उल्लघंन किया था। संजय ने कहा कि WFI का पक्ष सुने बिना उनकी स्वायत्त और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई संस्था को निलंबित नहीं किया जा सकता।
संस्था को पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया
संजय ने कहा कि हमने लोकतांत्रिक तरीके से WFI का चुनाव जीता। जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश निर्वाचन अधिकारी थे, इसमें भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) और यूनाईटेड विश्व कुश्ती (UWW) के भी पर्यवेक्षक थे। चुनावों में 22 राज्य इकाईयों ने हिस्सा लिया था, 47 वोट मिले थे जिसमें से मुझे 40 मिले थे। इसके बावजूद अगर हमें निलंबित कर दिया जाता है तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई संस्था को पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया, जो न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है जबकि भारतीय संविधान के अंतर्गत हर कोई इसका हकदार होता है।
WFI के लिए अगला कदम क्या होगा
उन्होंने कहा, ‘कुश्ती महासंघ एक स्वायत्त संस्था है और सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। हम सरकार से बात करेंगे और अगर सरकार निलंबन वापस नहीं लेती है तो हम कानूनी राय लेंगे और अदालत का रुख करेंगे। हम निलंबन का विरोध कर रहे हैं, इसलिए IOA द्वारा गठित तीन सदस्यीय तदर्थ समिति को स्वीकार नहीं करते। बुधवार को आइओए ने डब्ल्यूएफआइ का कामकाज देखने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। प्रदर्शनकारी पहलवानों से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के झज्जर पहुंचकर बजरंग से मुलाकात करने से ही यह स्पष्ट हो गया कि बजरंग, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक की तिकड़ी इस मामले में राजनीति कर रही है। उन्हें कांग्रेस और वामदलों का समर्थन प्राप्त है।
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