Shri Ram Pran Parthishtha: प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला का होगा नामकरण , जानें क्या है यह प्रक्रिया

अयोध्या, BNM News: अयोध्या में शास्त्रीय विधान के अनुरूप रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है। इसके लिए वाराणसी से वैदिक आचार्य आए हैं। प्राण प्रतिष्ठा संस्कार पूर्ण होने के पहले ही रामलला का विधिवत नामकरण (प्राणाधान) संस्कार किया जाएगा। इसके बाद ही दीक्षा संस्कार संपन्न होगा। इन दोनों संस्कारों को संपादित करने वालों के नामों पर चर्चा चल रही है। नामकरण की प्रक्रिया सूक्तों के पारायण के बीच होगी, जिसमें प्राय: यजमान अपने हृदय व विग्रह के हृदय पर हाथ रखकर इसे संपादित करता है। यह असाधारण वैदिक प्रक्रिया है, जिसमें यजमान विग्रह में अपनी धड़कन का अनुभव करता है। इस पद्धति से विग्रह को नाम दिया जाता है। आचार्य संजय वैदिक कहते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा में प्राणाधान और दीक्षा संस्कार अहम हिस्सा है। इसे सुपात्र के हाथों व शास्त्रों के विधान के अनुकूल ही किया जाना चाहिए।

रामनगरी में हैं अपने-अपने राम

 

यहां के हजारों मंदिरों में सीताराम युगल सरकार के रूप में विराजते हैं, जिनके नाम भी अलग-अलग हैं। जैसे नगरी के प्रतिष्ठित मंदिर लक्ष्मणकिला में भगवान राम का नाम रसिकेंद्र बिहारी, हनुमत सदन में चंद्रकोदंडपाणि, कनक भवन में कनक बिहारी, बड़ा स्थान में धनुषधारी व मणिरामदास छावनी में राम जी का नाम जानकी रमण है। इसी तरह राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली प्रतिमा का नामकरण होगा।

शुरू से होगा जप

 

प्राण प्रतिष्ठा प्रकिया में संकल्प, प्रायश्चित, गोदान, अधिवास, नगर भ्रमण, महास्नान व प्रतिष्ठा प्रक्रिया के पहले ही संबंधित देवता के मंत्र का जाप किया किया जाता है। जैसे श्रीराम, हनुमान, वास्तु देवता के नाम का जाप होगा। प्रत्येक दिन जप के साथ संहिताओं का पारायण भी प्राण प्रतिष्ठा का हिस्सा होगा। संस्कार संपन्न आचार्य इसे संपादित कराएंगे।

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