Sonipat News: पथरी का इलाज कराने गईं, डॉक्टर ने दोनों किडनियां निकाल दी; घोर लापरवाही से महिला की जिंदगी खतरे में
नरेन्द्र सहारण, सोनीपत: Sonipat News: किडनी में पथरी का इलाज करा रही एक महिला की जिंदगी ट्यूलिप अस्पताल के डॉक्टर की लापरवाही के कारण खतरे में पड़ गई है। करीब पांच माह पहले अस्पताल में आपरेशन के दौरान महिला की दोनों किडनियां निकाल ली गईं। इसके बाद से उन्हें हर दूसरे दिन डायलिसिस करानी पड़ रही है। मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट में डाक्टर की लापरवाही पाए जाने पर सेक्टर-27 थाने की पुलिस ने बुधवार को आरोपी डाॅ. गौरव सिंह रंधावा के विरुद्ध लापरवाही से किसी की जान जोखिम में डालने के आरोप में आइपीसी की धारा 338 के तहत केस दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपित डाक्टर को गिरफ्तार किया जाएगा।
किडनी में पथरी होने की वजह से थीं परेशान
राजेंद्र नगर के आनंद ने बताया कि उनकी पत्नी वीना रानी बाईं किडनी में पथरी होने की वजह से परेशान रहती थी। पत्नी का इलाज ट्यूलिप अस्पताल में डाॅ. गौरव सिंह रंधावा के पास चल रहा था। 27 अप्रैल को डा. रंधावा ने उसे बताया कि पथरी की वजह से उनकी किडनी पूरी तरह से खराब हो चुकी है। इसे तुरंत आपरेशन करके बाहर निकालना पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो जान भी जा सकती है। इस पर उन्होंने वीना रानी को 29 अप्रैल को ट्यूलिप अस्पताल में दाखिल करवा दिया। इसके बाद एक मई की सुबह वीना को आपरेशन थियेटर में ले जाया गया। लगभग दो बजे डाॅ. रंधावा ने आपरेशन सफल होने की सूचना दी।
गलती से दोनों किडनी निकाल दी
आनंद का कहना है कि जब वह पत्नी से मिलने गए तो देखा कि वह बेसुध थीं। वह शिकायत लेकर तुरंत डॉ. रंधावा के पास गए तो उन्होंने सभी रिपोर्ट दोबारा देखी। रिपोर्ट देखने के बाद डा. रंधावा ने दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहा कि उससे बहुत बड़ी गलती हो गई है। उसने गलती से दोनों किडनी निकाल दी हैं। इस पर आनंद ने स्वजन व दोस्तों को घटना की जानकारी दी। सभी अस्पताल पहुंचे। आनंद ने पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया कि डॉ. रंधावा, आपरेशन थियेटर के स्टाफ और अस्पताल प्रबंधन ने जालसाजी व छल-कपट करके उनकी पत्नी की दोनों किडनियां निकालकर जान से मारने की कोशिश की है।
डॉक्टर और परिवार के बीच समझौता
हालांकि इसके बाद पीड़ित के स्वजन और डॉ. रंधावा में मौखिक रूप से समझौता हुआ कि स्वजन किडनी डोनर का प्रबंध करेंगे और डॉ. रंधावा ट्रांसप्लांट का खर्च वहन करेंगे। इसके बाद से उनकी डायलिसिस शुरू हो गई। आनंद किडनी देने को तैयार हुए तो 25 मई को आरोपी डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट के लिए वीना को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में दाखिल करवाया। लेकिन आनंद की किडनी में भी पथरी मिली। तब उनकी बहन अपनी भाभी को किडनी देने के लिए आगे आईं, लेकिन दस्तावेजों की अड़चन में उसकी किडनी देने में बाधा आ गई। इस पूरी प्रक्रिया में दो महीने का समय बीत गया। तब तक अपोलो अस्पताल का बिल करीब 22 लाख रुपये हो चुका था, जिसे डॉ.. गौरव रंधावा ने चुकाया।
इलाज का खर्च उठाने से मना कर दिया
इसके बाद डॉ. रंधावा ने महिला के इलाज का खर्च उठाने से मना कर दिया और 25 जुलाई को महिला को अपोलो अस्पताल से डिस्चार्ज करवा दिया। अब महिला के स्वजन हर दूसरे दिन अपोलो में उनकी डायलिसिस करवा रहे हैं। हर डायलिसिस पर चार हजार रुपये का खर्च आ रहा है। महिला के पति ने बताया हर महीने 60 हजार रुपये डायलिसिस पर खर्च हो रहे हैं। डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट का खर्च करीब 12 लाख रुपये बताया है और मरीज को जीवनभर दवाएं खानी पड़ेंगी। आनंद ने बताया कि उनपर भारी भरकम कर्ज हो गया है।
थाना प्रभारी सवित ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से नागरिक अस्पताल के चिकित्सकों का मेडिकल बोर्ड बनाया गया था। मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट में महिला की किडनी निकालने के मामले में चिकित्सक की लापरवाही सामने आई है। रिपोर्ट मिलने के बाद आरोपी डॉक्टर पर केस दर्ज किया है।
हर दूसरे दिन करानी होती है डायलिसिस
एम्स, दिल्ली के नेफ्रोलाजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. एसके अग्रवाल ने बताया कि यदि किसी की दोनों किडनी निकाल ली जाए तो चार से छह दिन में जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी। यदि डायलिसिस नहीं की गई तो मरीज बच नहीं पाएगा। नियमित डायलिसिस से मरीज लंबे समय तक जीवित रह सकता है। ऐसे मरीजों को सप्ताह में तीन बार डायलिसिस करानी होती है। डायलिसिस की प्रक्रिया करीब साढ़े चार घंटे तक चलती है। हरियाणा स्वास्थ्य सेवाएं के पूर्व महानिदेशक डॉ. जेएस पूनिया का भी कहना है कि दोनों किडनियां नहीं होने पर मरीज को नियमित रूप से डायलिसिस पर ही रखना पड़ता है।
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