Rampal Majra Update: रामपाल माजरा के दूसरी पार्टी में जाने की अटकलों पर लगा विराम, कहा- स्वतंत्र होकर उतारूंगा चुनाव के रण में

नरेन्द्र सहारण, कैथल: Rampal Majra Update News: चौटाला परिवार के खासमखास रहे रामपाल माजरा को इनेलो छोड़ने के बाद दूसरी कोई कोई पार्टी रास नहीं आई। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से वह कालायत से टिकटार्थी थे लेकिन पार्टी ने उनके बजाय कमलेश दांडा को चुना। माजरा के लिए यह बड़ा झटका था। इसके बाद अपने मित्र अशोक अरोड़ा की तरह उनके कांग्रेस में जाने की भी अटकले लगती रहीं। अब 44 वर्ष के अधिक के सियासी सफर में उतार-चढ़ाव के अनेकों पतझड़ और खुशियों के सावन देख चुके। प्रदेश के पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने अब दलों की राजनीति से बाहर निकल आजाद राजनीति की राह पर चलने का बड़ा फैसला लिया है। कलायत में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप सामुदायिक केंद्र परिसर में आयोजित मित्र मिलन समारोह में उन्होंने भविष्य की राजनीति को लेकर पत्ते खोले।

जिला कैथल की कलायत और पाई विधान सभा में चार दशक से अधिक समय से चुनावी राजनीति में सक्रिय रामपाल माजरा के जीवन में यह एक बहुत बड़ा मोड है। ऐसा पहली बार है कि उन्होंने चुनाव में कलायत विधानसभा से आजाद उम्मीदवार के तौर पर रण में उतरने की बात कही है। इससे पहले वे हमेशा इनेलो पार्टी को टिकट पर चुनावी मैदान में उतरते रहे हैं। कलायत के मित्र मिलन कार्यक्रम में साथी कार्यकर्ताओं से रूबरू पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल मजरा। वरण कहिय।

ताऊ देवीलाल की पाठशाला के छात्र रहे हैं माजरा

जिला बार एसोसिएशन के सदस्य रहे रामपाल माजरा पहली बार 1978 में गांव माजरा के सरपंच बने। 1996 के चुनाव में उन्हें पहली बार विधान सभा में जाने का अवसर मिला। उस समय वे जिले की पाई विधानसभा से समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे। उन्होंने 24291 वोट हासिल किए और प्रतिद्वंदी हरियाणा विकास पार्टी के उम्मीदवार नर सिंह ढांडा को 2275 वोटों के अंतर से हराया। साल 2000 में माजरा ने इनेलो की टिकट पर काग्रेस के तेजेंद्र पाल मान को 6596 पोटी से हराया। 2005 में तेजेंद्र पाल मान ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और इनेलो उम्मीदवार रामपाल माजरा को 65:02 वाटी के अंतर से शिकस्त दी।

परिसीमन ने चुनावी रण बदलने को किया मजबूर

वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा में हुए इसके परिसीमन में पाई विधानसभा को तोड़ कर पूडरी में शामिल कर दिया गया। कलायत विधानसभा ओपन हुआ। रामपाल माजरा का गांव भी इसी विस का संभाग बना। ऐसे में माजरा ने कलायत में अपनी गतिविधि तेज की और 2009 में इसी विधानसभा से इनेलो टिकट पर चुनाव लड़ा। चुनाव में प्रतिद्वंद्री कांग्रेस के तेजेंद्रयाल मान को 9400 वोटों के अंतर से हराकर तीसरी बार विधायक बने।

पहली बार बिना चुनावी राजनीति के काटा वनवास

2014 के चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री निर्दलीय उम्मीदवार जय प्रकाश ने रामपाल माजरा को 8390 वोटों के अंतर से हराया। जबकि 2019 के चुनाव में माजरा विभिन्न कारणों के चलते चुनावी रण में नहीं उत्तर पाए। करीब पांच वर्ष तक उन्होंने वगैर चुनावी राजनीति का वनवास काटा।

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