75 साल का हुआ सुप्रीम कोर्ट, पीएम मोदी ने कानून को सरल भाषा में लिखे जाने पर दिया जोर, CJI चंद्रचूड़ ने भविष्य का प्लान किया साझा
नई दिल्ली, BNM News : Supreme Court Diamond Jubilee Celebration: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि सरकार वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए कानूनों का आधुनिकीकरण करने का काम कर रही है। आज बनाए जा रहे कानून, कल के भारत को और मजबूत करेंगे। उन्होंने 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी के मिलकर प्रयास करने की बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि सशक्त न्याय व्यवस्था विकसित भारत का प्रमुख आधार है। सरकार भी लगातार एक विश्वस्त व्यवस्था बनाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने भारत की प्राथमिकताएं गिनाते हुए कहा कि इसमें ईज आफ लिविंग, ईज आफ डूइंग बिजनेस, ईज आफ ट्रैवल, ईज आफ कम्युनिकेशन और ईज आफ जस्टिस भी शामिल है। भारत के नागरिक ईज आफ जस्टिस के हकदार हैं और सुप्रीम कोर्ट इसका प्रमुख माध्यम है। उन्होंने आम जनता की आसानी के लिए अदालत के फैसलों को आसान भाषा में लिखे जाने पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री रविवार को सुप्रीम कोर्ट के हीरक जयंती समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
आज की आर्थिक नीतियां कल के उज्ज्वल भारत का आधार बनेंगी
सुप्रीम कोर्ट की पीठ पहली बार 28 जनवरी 1950 को बैठी थी। पीएम ने कहा कि हर संस्था, हर संगठन चाहें वह कार्यपालिका हो या विधायिका, विकसित भारत के लक्ष्य को सामने रख कर काम कर रहा है। इसी सोच के साथ देश में बड़े-बड़े रिफार्म हो रहे हैं। आज की आर्थिक नीतियां कल के उज्ज्वल भारत का आधार बनेंगी। आज बनाए जा रहे कानून कल के भारत को मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा कि बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में आज पूरी दुनिया की नजर भारत पर है, दुनिया का भरोसा भारत पर बढ़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि हम हर अवसर का लाभ उठाएं। मोदी ने कहा कि देश की पूरी न्याय व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के मार्ग दर्शन पर निर्भर होती है। हमारा कर्तव्य है कि इस कोर्ट की पहुंच भारत के अंतिम छोर तक हो। इसी सोच के साथ सरकार ने ई-कोर्ट मिशन प्रोजेक्ट के तीसरे चरण को स्वीकृति दी है और इसके लिए दूसरे चरण से चार गुना ज्यादा राशि मंजूर की है।
सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग विस्तार के लिए सरकार ने 800 करोड़ की राशि स्वीकृत की
प्रधानमंत्री ने ईज आफ जस्टिस के लिए सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ के प्रयासों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने अदालतों में ढांचागत संसाधन सुधारने की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि 2014 के बाद से अभी तक इसके लिए 7,000 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग विस्तार के लिए पिछले सप्ताह सरकार ने 800 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। हालांकि प्रधानमंत्री ने चुटकी लेते हुए यह भी कहा कि बस अब आप लोगों के पास कोई संसद भवन की तरह पिटीशन लेकर न आ जाए कि फिजूलखर्ची हो रही है। उन्होंने अदालतों में बढ़ती तकनीक और एआइ के प्रयोग का जिक्र करते हुए कहा कि तकनीक के प्रयोग से नागरिकों का जीवन आसान बनाया जा सकता है।
फैसले हिंदी और अन्य भाषाओं में उपलब्ध होने पर जताया संतोष
कानून को सरल भाषा में लिखे जाने की अपनी पुरानी बात याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अदालत के फैसलों को आसान भाषा में लिखे जाने से आम लोगों को और मदद मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले हिंदी और अन्य भाषाओं में उपलब्ध होने पर संतोष जताते हुए उन्होंने अन्य अदालतों में भी ऐसी व्यवस्था होने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि सरकार औपनिवेशिक काल के क्रिमनल ला को समाप्त कर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू कर रही है। इन बदलावों से लीगल पुलिसिंग और इन्वेस्टीगेशन सिस्टम में नए दौर की शुरुआत होगी। नए कानूनों तक पहुंचने का परिवर्तन सहज हो, इसके लिए सरकारी कर्मचारियों की ट्रेनिंग का काम शुरू हो गया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह भी सभी स्टेकहोल्डर्स की कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए आगे आए।
सुप्रीम कोर्ट की यात्रा और लैंडमार्क फैसलों का जिक्र
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 75 वर्षों में सुप्रीम कोर्ट की यात्रा और लैंडमार्क फैसलों का जिक्र किया। इसमें उन्होंने केशवानंद भारती से लेकर अयोध्या राम जन्मभूमि तक के फैसलों का हवाला दिया। उन्होंने ईज आफ जस्टिस के लिए किए जा रहे कामों का भी उल्लेख किया और इसके लिए चल रही केंद्रीय योजनाएं बताईं। समारोह में देशभर के वर्तमान और पूर्व न्यायाधीशों और कानूनविदों के अलावा बांग्लादेश, भूटान, मारीशस, नेपाल और श्रीलंका के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के जजों ने भी भाग लिया। अटार्नी जनरल आर वेंकटरममणी, बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाला ने भी भारतीय न्याय व्यवस्था में सुप्रीम कोर्ट के महती योगदान को याद किया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की सैरेमोनियल पीठ भी बैठी जिसमें 75 वर्ष की यात्रा को याद किया गया।
सीजेआइ ने लंबी छुट्टियां व स्थगन मांगने की संस्कृति पर विचार करने को कहा
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शीर्ष कोर्ट की हीरक जयंती पर भारत की न्याय यात्रा के साथ हुई प्रगति व अदालतों के डिजिटलीकरण का ब्योरा दिया। इसके साथ ही उन्होंने लक्ष्य और चुनौतियां गिनाते हुए लंबी छुट्टियां और स्थगन मांगने की संस्कृति पर विचार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्थगन संस्कृति से पेशेवर संस्कृति की ओर बढ़ने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने हाशिए पर मौजूद वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने और पहली पीढ़ी के वकीलों को समान अवसर प्रदान करने पर भी जोर दिया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने भारत में हो रहे जनसांख्यिकीय परिवर्तनों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि कानूनी पेशे में पारंपरिक रूप से महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम रहता था, लेकिन अब जिला न्यायपालिका के कार्यबल में उनकी हिस्सेदारी 36.3 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि 2024 की शुरुआत से पहले सुप्रीम कोर्ट के पिछले 74 साल के इतिहास में केवल 12 महिलाओं को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। लेकिन पिछले हफ्ते ही शीर्ष कोर्ट ने देश के विभिन्न हिस्सों से 11 महिलाओं को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया। सीजेआइ ने समाज के विभिन्न वर्गों को कानूनी पेशे में शामिल करने का आह्वान किया। उन्होंने रेखांकित किया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व बार और पीठ दोनों में काफी कम है।