सेक्सटार्शन के जाल में फंस गए गए हैं, तो तुरंत करें सरकार के इन दो प्लेटफार्म पर शिकायत

नई दिल्ली, BNM News: अगर आप सेक्सटार्शन के जाल में फंस गए हैं या फिर आपको इंटरनेट मीडिया पर लाइक कर पैसा कमाने का कोई झांसा दे रहा है या वाट्सएप के जरिए इस प्रकार का मैसेज कर रहा है तो तुरंत संचार मंत्रालय के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म (DIP ) या चक्षु प्लेटफार्म पर रिपोर्ट करें। संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को संचार साथी पोर्टल पर इन दोनों ही प्लेटफार्म को लांच किया। अगर आपके साथ कोई साइबर अपराध या फ्राड हो गया है तो उसे डीआइपी पर रिपोर्ट करें और अगर कोई ऐसा फोन आ रहा है, जिससे आपको साइबर फ्राड या अपराध होने की आशंका है तो चक्षु प्लेटफार्म पर उसकी रिपोर्ट करें। यूजर्स के रिपोर्ट करते ही पुलिस, बैंक जैसी एजेंसियां सक्रिय हो जाएंगी और कुछ घंटों में कार्रवाई की जा सकती है। चक्षु पोर्टल पर किसी नंबर से फ्राड होने की आशंका की जानकारी देने पर उसकी पूरी पड़ताल के बाद ही उस नंबर को ब्लाक किया जाएगा।

पिछले नौ महीनों में 59 लाख फ्राड कनेक्शन को काटा गया

 

शिकायतकर्ता की कोई जानकारी किसी से भी साझा नहीं की जाएगी। साइबर अपराध व जालसाजी रोकने के लिए नौ माह पहले संचार साथी पोर्टल लांच किया गया था। इस पोर्टल पर की गई शिकायत की मदद से 59 लाख कनेक्शन अब तक काटे जा चुके हैं। बैंक व आइआरसीटीसी जैसी एजेंसी की तरफ से धोखाधड़ी की आशंका को लेकर जाहिर किए गए चार लाख कनेक्शन काटे गए हैं। 10 लाख से अधिक बैंक खाते व पेमेंट वैलेट को फ्रिज किया गया है। इन कार्रवाई की मदद से नागरिकों के 1000 करोड़ रुपए जालसाजी में डूबने से बचाए गए हैं। फ्राड की आशंका में प्रतिदिन 2500 कनेक्शन काटे जा रहे हैं।

ग्राहकों को रकम लौटाने की व्यवस्था

 

वैष्णव ने बताया कि आरबीआइ व अन्य बैंकों के साथ मिलकर फ्रिज की गई रकम को ग्राहकों को लौटाने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि यूजर्स के साथ डीआइपी और चक्षु प्लेटफार्म पर बैंक, पेमेंट वैलेट व अन्य नियामक एजेंसियां भी किसी धोखाधड़ी या उसकी आशंका की रिपोर्टिंग कर सकती है। उसके बाद टेलीकाम सेवा प्रदाता कंपनियां उन नंबर की जांच करेंगी और उसके बाद उन नंबर को काटा जाएगा। काटे गए नंबर को एक मास्टर सूची में डाल दिया जाता है।

इंटरनेट मीडिया अपने एआइ माडल को जांच-परख कर ही लांच करें

 

वैष्णव ने सोमवार को यह भी कहा कि इंटरनेट मीडिया को सरकार ने यह सलाह दी है कि वह अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) माडल को जांच-परख कर ही लांच करे। इंटरनेट मीडिया की पहुंच काफी अधिक होती है और यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि एआइ माडल की जांच के बाद ही उसे बाजार में लाए। सरकार की तरफ से इसे अनिवार्य नहीं किया गया है, लेकिन इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म खुद ही एआइ की जांच को जरूरी मान रहे हैं। एआइ की मदद से किसी व्यक्ति की गलत छवि पेश करने की आशंका रहती है।

 

 

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