UP Bypoll 2024: यूपी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज, जानें- क्या है एक्सपर्ट की राय

लखनऊ, बीएनएम न्यूज: लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में फिर हलचल शुरू हो गई है। इस बार उपचुनाव में सियासत तेज होने वाली है। लोकसभा चुनाव में जीत से उत्साहित समाजवादी पार्टी एक बार फिर पीडीए फार्मूला पर चुनाव लड़ सकती है। इस बार मायावती और चंद्रशेखर ने भी उपचुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। इससे स्पष्ट है कि इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।

वहीं 80 में 80 सीटों का नारा देकर चुनाव में उतरी भाजपा को समाजवादी पार्टी ने ऐसा झटका दिया कि लखनऊ से दिल्ली तक पार्टी में मंथन शुरू हो गया है। पार्टी सूत्रों की माने तो इस बार भाजपा नई रणनीति के तहत मैदान में उतरेगी। लोकसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय नेतृत्व रणनीति बनाने में जुट गई है।

उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के रुझान का असर उपचुनाव पर भी पड़ सकता है। यह उपचुनाव एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए परीक्षा की घड़ी हैं। अखिलेश यादव केंद्र की सियासत के साथ यूपी में भी पूरा फोकस किए हुए हैं। इंडिया गठबंधन के जरिए वह सभी सीटों पर चुनाव जीतने की कोशिश में हैं और इस बार भी पीडीए उनका ट्रंप कार्ड होगा।

चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि बसपा और चंद्रशेखर के मैदान में आने से सपा और भाजपा दोनों को नुकसान हो सकता है। इस बार चुनाव लोकसभा से अलग हो सकता है। विधानसभा में योगी माडल पर राज्य की जनता को भरोसा है। मुकाबला इस बार त्रिकोणीय रहने का आसार है।

योगी और अखिलेश के सामने बड़ी चुनौती

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सामने भी बड़ी चुनौती है। अखिलेश यादव को यह साबित करने का मौका है कि राज्य की राजनीति में बदलाव आया है, जबकि योगी आदित्यनाथ को यह साबित करना है कि यूपी का योगी मॉडल अभी भी लोकप्रिय है।

सपा-कांग्रेस के गठबंधन में फंस सकता है पेंच

अगर कांग्रेस और सपा मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो देखना होगा कि सपा कांग्रेस को दो सीटें देने के लिए तैयार होती है या नहीं। यदि गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर विवाद होता है, तो 2027 के चुनाव में इसका प्रभाव दिखाई दे सकता है।

लोकसभा चुनाव में सपा को 37 और कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं। अब देखना यह है कि क्या ये दोनों पार्टियां उपचुनाव में भी ऐसा ही प्रदर्शन दोहरा पाएंगी। फिलहाल, गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है।

 इन सीटों पर होना है उपचुनाव

करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, फूलपुर, मझवां और सीसामऊ-इन दस सीटों पर चुनाव होना है। विधानसभा इन सीटों को रिक्त घोषित कर चुकी है। वर्ष 2022 के विधासभा चुनाव के हिसाब से देखें तो सपा करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी व सीसामऊ जीती थी जबकि भाजपा ने गाजियाबाद, खैर, फूलपुर सीट पर कब्जा किया था। मझवां सीट निषाद पार्टी ने तो मीरापुर सीट रालोद ने जीती थी यानी इन सीटों पर 2022 में एनडीए व इंडिया गठबंधन दोनों पांच-पांच सीटें जीते थे।

सपा इन्हें दे सकती है टिकट

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी मिल्कीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को मैदान में उतार सकती है। कटेहरी सीट से लालजी वर्मा की बेटी छाया वर्मा पर भी पार्टी दांव लगा सकती है। लालजी वर्मा इस सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं और अब अम्बेडकरनगर से सांसद हो गए हैं। सपा अमर नाथ मौर्य को फूलपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बना सकती है। मौर्य ने हाल में फूलपुर लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी के तौर पर मजबूती से चुनाव लड़ा और काफी कम वोटों के अंतर से भाजपा के प्रवीण पटेल से हारे थे।
अखिलेश यादव ने जिस करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया है। वहां तेज प्रताप यादव को मौका मिल सकता है। तेज प्रताप मुलायम सिंह यादव के पौत्र हैं और मैनपुरी से सांसद रह चुके हैं। करहल सीट मैनपुरी लोकसभा में आती है। कानपुर की सीसामऊ से इरफान सोलंकी की विधायकी चली गई है। यहां सपा के कई नेता दावेदार हैं।

सभी सीटों पर मायावती व चंद्रशेखर उतारेंगे प्रत्याशी

नगीना सुरक्षित सीट पर बड़ा उलटफेर करते हुए जीत दर्ज करने वाले आजाद समाज पार्टी (आसपा) के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने सभी सीटों पर उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर राजनीतिक दलों की चुनौती बढ़ा दी है। उधर, बसपा ने भी सभी सीटों पर चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है।

चंद्रशेखर ने मुजफ्फरनगर की मीरापुर, अलीगढ़ की खैर, भदोही की मंझवा, मुरादाबाद की कुंदरकी एवं गाजियाबाद सदर पर चुनावी तैयारी के लिए प्रभारी तय कर दिए हैं। पार्टी इन सीटों के अतिरिक्त अंबेडकर नगर की कटेहरी, अयोध्या की मिल्कीपुर, कानपुर की सीसामऊ और मैनपुरी की करहल में भी बैठक कर प्रत्याशियों का नाम तय करेगी।

विश्लेषकों का कहना है कि चंद्रशेखर प्रदेश की दलित राजनीति में नए विकल्प बनकर उभर रहे हैं, इसीलिए पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को फिर से बसपा का राष्ट्रीय संयोजक बनाकर चुनावी धार तेज कर दी है। उधर, उपचुनाव की राजनीति से दूरी बनाकर रहने वाली बसपा ने पिछले दिनों से इस बार उपचुनाव में उतरने का एलान कर दिया था।

सपा ने एमएलसी उपचुनाव में हार देख छोड़ा मैदान

वहीं, विधान परिषद में स्वामी प्रसाद मौर्य के त्याग-पत्र देने से रिक्त हुई सीट के उपचुनाव में सपा अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। विधायकों के संख्याबल को देखते हुए पार्टी ने अंदरखाने यह निर्णय ले लिया है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव करेंगे। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी कहते हैं इस बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात कर एक-दो दिनों में निर्णय ले लिया जाएगा।

उपचुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि दो जुलाई है। भाजपा कोर कमेटी की शुक्रवार को हुई बैठक में करीब एक दर्जन नामों पर चर्चा जरूर की गई। इनमें से कुछ नामों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व के पास भेज दिया गया है। गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा के साथ ही इस वर्ष 20 फरवरी को विधान परिषद की सदस्यता से भी त्याग-पत्र दे दिया था। उनका कार्यकाल छह जुलाई, 2028 तक था।

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