UPSC 2025: यूपीएससी की परीक्षा में तीसरी बार में दूसरी टापर बनीं हरियाणा की हर्षिता गोयल, नारी सशक्तीकरण की हैं जुनूनी

नरेन्‍द्र सहारण, हिसार : UPSC 2025:  हर्षिता गोयल का जन्म 2000 में हरियाणा के हिसार में हुआ था। हालांकि, उनका परिवार मूलतः राजस्थान के राजगढ़ से ताल्लुक रखता है। 25 साल पहले हर्षिता के पिता गोविंद गोयल और परिवार ने गुजरात के बड़ोदरा शहर में स्थायी निवास बना लिया था, जहां उन्होंने अपना जीवन यापन शुरू किया। गोविंद गोयल एक केमिकल फैक्ट्री में महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं और उनकी पत्नी माया देवी का स्वास्थ्य संबंधी इलाज हिसार में होता था। हर्षिता के जन्म के कारण परिवार को हिसार आना पड़ा और यहीं से हर्षिता का जीवन शुरू हुआ।

शिक्षा का सफर

हर्षिता की पढ़ाई हमेशा से उत्कृष्ट रही है। गोविंद ने बताया कि उनकी बेटी ने हमेशा अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया। हर्षिता की दिनचर्या में समाचार पत्र पढ़ना एक महत्वपूर्ण गतिविधि रहा है। यह न केवल उसके ज्ञान में वृद्धि करता था, बल्कि उसे वर्तमान घटनाओं से भी अवगत कराता था। उसके लिए पढ़ाई कभी भी बोझ नहीं रही और अगर वो पढ़ने का मूड नहीं बनाती, तो वो आराम करती थी। उसकी यह स्वाभाविक और संतुलित अध्ययन शैली उसे यूपीएससी की कठिन परीक्षा के लिए तैयार करने में मददगार साबित हुई।

नारी सशक्तीकरण का जुनून

हर्षिता का नारी सशक्तीकरण की ओर झुकाव उसके अंदर की संवेदनशीलता से उपजा। गरीब बच्चों और महिलाओं की कठिनाइयों को देखकर उसने महसूस किया कि समाज को महिलाओं के उत्थान के लिए कुछ करना चाहिए। वह हमेशा सोचती थी कि किसी ने इस दिशा में क्यों नहीं कदम बढ़ाया है। इसी प्रेरणा ने उसे अपनी पढ़ाई और करियर के लक्ष्य को बदलने के लिए प्रेरित किया। हर्षिता ने ठान लिया कि वह महिलाओं की आवाज़ बनकर उनके हक के लिए लड़ाई लड़ेगी।

आईएएस बनने का निर्णय

पिता की प्रेरणा से हर्षिता ने सीए (चार्टेड एकाउंटेंट) बनने के बाद यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की परीक्षा में भाग लेने का निर्णय लिया। गोविंद ने हमेशा हर्षिता को प्रोत्साहित किया कि उसे बड़ी सोच के साथ अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने उसे कहा कि IAS बनने के बाद वह समाज में बदलाव लाने के लिए एक सशक्त प्लेटफार्म प्राप्त कर सकेगी।

पहले दो प्रयासों में विफलता

हर्षिता ने अपनी तैयारी शुरू की, लेकिन पहले दो प्रयासों में उसे सफलता नहीं मिली। यह समय उसके लिए काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि उसने बहुत मेहनत की थी और उसके मन में कई सवाल उठ रहे थे। लेकिन उसकी मेहनत और जुनून ने उसे हार नहीं मानने दिया। हर्षिता ने खुद से वादा किया कि वह तीसरी बार कोशिश करेगी और इस बार बेहतर तैयारी कर अपनी कमियों को दूर करेगी।

तीसरे प्रयास में सफलता

उसकी मेहनत रंग लाई और उसने तीसरे प्रयास में न केवल परीक्षा उत्तीर्ण की, बल्कि पूरे देश में दूसरे स्थान पर भी रैंक प्राप्त की। यह उपलब्धि किसी भी अन्य युवा की तरह उसे गर्वित करती है, लेकिन अब उसका लक्ष्य कहीं अधिक उच्च था। उसने यह निर्णय लिया कि वह अब अपने अनुभव का उपयोग समाज में बदलाव लाने के लिए करेगी।

लक्ष्य: महिलाओं के उत्थान के लिए आवाज उठाना

हर्षिता का लक्ष्य स्पष्ट है: वह महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ेगी और उन्हें उनकी पहचान दिलाने के लिए पूरी क्षमता से काम करेगी। वह जानती है कि नारी सशक्तीकरण एक संघर्ष है, लेकिन उसके दिल में उत्साह और प्रेरणा की कोई कमी नहीं। उसकी सफलता केवल उसके लिए नहीं, बल्कि सभी उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए लड़ रही हैं।

समाज के लिए दृष्टि

 

हर्षिता की कहानी न केवल व्यक्तिगत संघर्ष और सफलता की है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक मुद्दे का प्रतिनिधित्व भी करती है। उसके अनुसार, नारी सशक्तीकरण के लिए सिर्फ शिक्षा पर्याप्त नहीं है, बल्कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। और इसी दिशा में वह काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

लक्ष्यों को पहचानें

 

हर्षिता गोयल की कहानी न केवल एक प्रेरणा है, बल्कि यह एक कॉल टू एक्शन भी है। हर एक युवा को चाहिए कि वे अपने लक्ष्यों को पहचानें और उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहें। नारी सशक्तीकरण का जो जज्बा हर्षिता में है, उसे हर एक महिला की पहचान बनना चाहिए। इसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कदम उठाने होंगे।

हर्षिता की यात्रा यह साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों और समर्पण हो, तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। वह अब यूं ही अपने जीवन को संवारने में लगी हुई नहीं है, बल्कि समाज में महिलाओं के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने की दिशा में भी आगे बढ़ रही है।

You may have missed