पहाड़ में बर्फ का दीदार न होने से पर्यटक मायूस, जानें क्या है कारण

देहरादून, BNM News : पौष विदाई की पायदान पर है, लेकिन पहाड़ में दूर-दूर तक बर्फबारी के आसार नजर नहीं आ रहे। बीच के दो-एक दिन छोड़ दें तो बाकी पूरी सर्दी बिन वर्षा व बर्फबारी के गुजर रही है। इसका असर पहाड़ में शीतकालीन पर्यटन पर भी पड़ा और प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल लगभग वीरान नजर आ रहे हैं। जो पर्यटक यहां आ भी रहे हैं, उनके भी मायूसी ही हाथ लग रही है। मौसम विभाग का कहना है कि इस बार मानसून सीजन के बाद से ही पश्चिमी विक्षोभ कमजोर रहा और हिमालयी क्षेत्र में वर्षा वाले बादल विकसित नहीं हो सके। इससे मौसम सामान्य से अधिक शुष्क बना हुआ है।

शीतकालीन पर्यटन पर पड़ा वर्षा-बर्फबारी न होने का असर

सामान्य रूप से वर्षा एवं बर्फबारी होने पर शीतकाल के दौरान औली, गौरसों, वेदिनी बुग्याल, आली बुग्याल, चोपता, मध्यमेश्वर, दुगलबिट्टा, देवरियाताल, हर्षिल, दयारा बुग्याल, डोडीताल, पंवालीकांठा, धनोल्टी, नागटिब्बा, कद्दूखाल, काणाताल, नई टिहरी, हरकीदून, चकराता, लैंसडौन, पहाड़ों की रानी मसूरी, नैनीताल, मुक्तेश्वर, धारचूला, मुनस्यारी, चंपावत आदि स्थान पर्यटकों से गुलजार रहते हैं। मगर इस बार मानसून की विदाई के बाद वर्षा व बर्फबारी न के बराबर हुई। जबकि, बीते वर्षों में दिसंबर शुरू होते ही पूरा उच्च हिमालयी क्षेत्र बर्फ की धवल चादर ओढ़ लेता था और कई जगह चार से पांच फीट तक बर्फ जम जाती थी। इस बार इन पर्यटन स्थलों पर दूर-दूर तक बर्फ नजर नहीं आ रही। तुंगनाथ क्षेत्र में ग्रामीणों ने बताया कि बीते वर्षों तक इन दिनों पर्यटन स्थल चोपता के चारों ओर बर्फ की मोटी चादर बिछी होने के कारण ऊखीमठ-चोपता-मंडल मोटर मार्ग कई-कई दिन बंद रहता था। इस बार नाममात्र को ही बर्फ पड़ी है।

सूखी ठंड पड़ने से लगातार गिर रहा तापमान

बर्फबारी के बिना भी उच्च हिमालयी क्षेत्र में सूखी ठंड पड़ने से तापमान में दिनोंदिन गिरावट दर्ज की जा रही है। उत्तरकाशी जिले में तो अधिकांश स्थानों पर झरने और नाले जम गए हैं। गंगोत्री क्षेत्र में भागीरथी नदी के जिस हिस्से में पानी का बहाव कम है, वहां दोनों किनारों पर पानी बर्फ में तब्दील हो गया है। धराली के निकट सात क्षेत्र का ताल भी लगभग जम चुका है। इसके चलते उत्तरकाशी में दिसंबर अंतिम सप्ताह से ठंड पड़ रही है।

वर्षा वाले बादल विकसित नहीं हुए

राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह का कहना है कि शीतकाल में अब तक बेहद कम वर्षा-बर्फबारी हुई। इस बार मानसून सीजन के बाद से ही पश्चिमी विक्षोभ कमजोर रहा और हिमालयी क्षेत्रों में वर्षा वाले बादल विकसित नहीं हो सके। इससे तापमान में भी लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। मौसम सामान्य से अधिक शुष्क बना हुआ है। इसका फसल से लेकर स्वास्थ्य तक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

 

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