मिट्टी के खनन को लेकर योगी सरकार का नया निर्देश, किसानों और आम लोगों को होगा लाभ

लखनऊ, बीएनएम न्यूजः  जन सामान्य और अन्नदाता किसानों के द्वारा साधारण मिट्टी का खनन किए जाने के संबंध में योगी सरकार की ओर से महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत ऑनलाइन व्यवस्था का उपयोग करते हुए 100 घन मीटर तक की मिट्टी की मात्रा स्वयं के खेतों से खनन व परिवहन के लिए उपयोग में लाई जा सकती है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि किसी भी दशा में दूसरे प्रदेश में इस प्रदेश से मिट्टी की खुदाई कर परिवहन की अनुमति नहीं दी जाएगी। योगी सरकार की ओर से तहसील व थाने के कर्मियों से इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने को निर्देशित किया गया है।

अपने खेतों से मिट्टी की खुदाई पर भी पुलिस मांग रही थी परमिट

मालूम हो कि शासन के संज्ञान में लगातार इस तरह की शिकायतें आ रही थीं कि जन-सामान्य द्वारा अपने निजी कार्य अथवा सामुदायिक कार्य के लिए अपने खेत से मिट्टी खुदाई कर ले जाने पर पुलिस व प्रशासन के द्वारा परमिट की मांग करते हुए रोका जा रहा है। इसी संबंध में शासन की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं।

100 घन मीटर से अधिक के खनन पर लेना होगा परमिट

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से सभी जिलाधिकारियों और पुलिस कमिश्नर व एसएसपी और एसपी को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं और कहा गया है कि शासन के आदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। निर्देश में कहा गया है कि भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के द्वारा 100 घनमीटर तक खनन के परिवहन के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है।

मिट्टी खुदाई के लिए ऐसे ले परमिशन

इस कार्य के लिए संबंधित व्यक्ति को upminemitra.in पर अपनी आवश्यक सूचना भरते हुए रजिस्टर करना है और रजिस्ट्रेशन की प्रति के साथ वह स्वयं की भूमि पर मिट्टी खनन व परिवहन कर सकता है। 100 घनमीटर मिट्टी से अधिक खनन व परिवहन के लिए अनुज्ञा/परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता है, जिसमें उन्हें upminemitra.in पर ऑनलाइन आवेदन करना है और यह संबंधित जिलाधिकारी द्वारा ऑनलाइन अनुमोदन के उपरांत निर्गत किया जाता है।

सामान्यतः 1 ट्रैक्टर ट्राली से 3:00 घनमीटर साधारण मिट्टी का परिवहन किया जाता है, जिसके आधार पर 100 घनमीटर साधारण मिट्टी के परिवहन के लिए लगभग 33 ट्रैक्टर ट्रालियों का प्रयोग किया जा सकता है।

इन मामलों में मिलती है पर्यावरणीय अनापत्ति से छूट

उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली 1963 के नियम-3 के अंतर्गत 2 मीटर की गहराई तक सामान्य मिट्टी को निकालने को खनन के अंतर्गत नहीं माना गया है। इस कार्य पर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का भी पर्यवेक्षण रहता है। विभाग के द्वारा कई तरह के कार्यों के लिए पर्यावरणीय अनापत्ति से छूट प्रदान की गई है, जो इस प्रकार है…

▪️कुम्हारों द्वारा मिटटी के घडे, लैंप, खिलौने आदि बनाने के लिए मैनुअल खनन द्वारा साधारण मिट्टी या बालू की निकासी।

▪️मैनुअल खनन द्वारा मिट्टी की टाइल्स बनाने के लिए साधारण मिट्टी या बालू की निकासी।

▪️किसानों द्वारा बाढ़ के बाद कृषि भूमि से बालू के जमाव को हटाने और ग्राम पंचायत में अवस्थित स्रोतों से बालू और साधारण मिटटी को वैयक्तिक उपयोग या ग्राम में समुदाय कार्य के लिए प्रथा के अनुसार खनन की छूट।

▪️सामुदायिक कार्य जैसे ग्रामीण तालाबों या टैंकों से गाद हटाना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार और गारंटी स्कीम्स, अन्य सरकारी स्कीम्स, प्रायोजित तथा सामुदायिक प्रयासों द्वारा ग्रामीण सड़कों, तालाबों या बांधों का संनिमार्ण।

▪️सड़क, पाइपलाइन, आदि परियोजनाओं के लिए साधारण मिटटी की निकासी।

▪️बांधों, तालाबों, मेड़ों, बैराजों, नदी और नहरों की उनके अनुरक्षित तथा आपदा प्रबंधन के प्रयोजन के लिए तलमार्जन और गाद निकालना।

▪️पारंपरिक समुदाय द्वारा अंतर ज्वारीय क्षेत्र के भीतर चूने के गोलों, पवित्र स्थानों, आदि के मैनुअल निकासी।

▪️सिंचाई या पेयजल के लिए कुओं की खुदाई।

▪️ऐसे भवनों की नींव के लिए खुदाई जिनके लिए पूर्व पर्यावरणीय अनापत्ति अपेक्षित नहीं है।

▪️जिला कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी के आदेश पर किसी नहर, नाला, ड्रेन, जल निकाय, आदि में होने वाली दरार को भरने के लिए साधारण मिटटी या बालू का उत्खनन ताकि किसी आपदा या बाढ़ जैसी स्थिति से निपटा जा सके।

▪️ऐसे क्रियाकलाप, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा विधान या नियमों के अधीन गैर खननकारी क्रियाकलाप के रूप में घोषित किया गया है।

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