विदेश जाने के चक्कर में ठगी का शिकार हो रहे युवा, जानें क्या है द डंकी रूट, गैरकानूनी तरीके से विदेश जाने वालों की संख्या क्यों बढ़ी ?

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के लोगों में अमेरिका या कनाडा जाने का बहुत क्रेज है। इस कारण इन राज्यों में IELTS कोचिंग के नाम पर बड़ा व्यापार चल रहा है। हरियाणा, पंजाब, गुजरात के लोगों ने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन में अपनी अच्छी जगह बनाई है लेकिन हाल के सालों में बहुत सारे भारतीय गैर-कानूनी यात्रा के शिकार हुए है। कई बार लोग शिक्षा तो कई बार बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका और कनाडा जाना चाहते हैं। ऐसे में पंजाब और हरियाणा में बेतहाशा मौजूद वीजा एजेंट इसका फायदा उठाते हैं। ये एजेंट पहले तो लोगों से पैसा लेते हैं, फिर वीजा के लिए आवेदन करते हैं। लेकिन वीजा आमतौर पर रिजेक्ट हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान लोगों का विदेश जाने का सपना और प्रबल हो जाता है। इसके बाद लोगों को कोई रास्ता जब नहीं सूझता तो वीजा एजेंट लोगों को डंकी रूट का विकल्प देते हैं।

क्या डंकी रूट का मतलब?

Dunki शब्द Donkey (गधे) का एक क्षेत्रीय उच्चारण है। Dunki एक पंजाबी मुहावरे से बना है, जिसका अर्थ है एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना। आसान शब्दों में कहें तो जब लोगों को अलग-अलग देशों में रुकते-रुकाते हुए अवैध तरीके से किसी दूसरे देश में भेजा जाता है तो उसे डंकी रूट कहते हैं। पंजाबी में डंकी शब्द का अर्थ है कूद कर, फांद कर, फुदक कर अवैध तरीके से किसी स्थान पर जाना। अमेरिका, कनाडा और कुछ यूरोप के देशों में पहुंचने का यह एक खतरनाक रास्ता है जिसे अवैध इमिग्रेशन भी कहा जाता है। इन रास्तों के जरिए लोगों को अवैध रास्तों से होते हुए कनाडा, अमेरिका या यूरोप भेजा जाता है।

डंकी रूट कैसे करता है काम

दरअसल डंकी रूट का कुल खर्चा 20 लाख से लेकर करोड़ों रुपये तक का है। अमेरिका-कनाडा जाने की चाह में हर साल लोग इस जाल में फंस जाते हैं। इस रूट के तहत पंजाब, हरियाणा, गुजरात समेत कई इलाकों से लोग पहले तो दिल्ली पहुंचते हैं। इसके बाद इन्हें दिल्ली से विमान में बिठाकर किसी लैटिन अमेरिकन यानी दक्षिण अमेरिकी देश में भेजा जाता है जो कि कोलंबिया के करीब हो। इन देशों में इक्वाडोर, बोलीविया, गुयाना, ब्राजील और वेनेजुएला जैसे देश शामिल है। इसके बाद इन्हें यहां एक एजेंट अपने साथ लेकर बॉर्डर क्रॉस कराता है। जो अगले देश के बॉर्डर पर यात्रियों का साथ छोड़ देता है। इसके बाद अन्य देश में मिलने वाला एजेंट उन्हें कोलंबिया होते हुए पनामा देश में एंट्री कराता है। इसके बाद शुरू होता है खतरनाक मौत का सफर।

कैसे होते हैं डंकी रूट के शिकार?

दरअसल बहुत सारे छात्र 12वीं पास होने के बाद स्टडी वीजा के लिए आवेदन करते समय एजेंट या कंसल्टेंसी फर्म से संपर्क करते हैं। वे एजेंट को उनके शैक्षिक प्रमाण, आईईएलटीएस योग्यता प्रमाण पत्र और अपना फाइनेंशियल डॉक्यूमेट प्रदान करते हैं। इसके आधार पर कंसल्टेंट द्वारा एक फाइल तैयार की जाती है, जिसमें छात्र शैक्षणिक संस्थानों और पाठ्यक्रमों के लिए अपनी पसंद का उल्लेख करते हैं। कंसल्टेंसी कॉलेजों और पाठ्यक्रमों के चुनाव के लिए अपने इनपुट भी देती है। खास बात ये कि अधिकांश छात्र सरकारी कॉलेजों और कुछ प्रमुख निजी संस्थानों को पसंद करते हैं। लेकिन यात्रा के बाद आमतौर पर कंसल्टेंसी फर्म अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाता है। छात्र जिस देश में गये हैं अगर वहां के कानून के मुताबिक उनके स्टडी वीजा में कोई कमी पाई जाती है या दस्तावेज पूरे नहीं होते तो उन्हें अवैध मान लिया जाता है। यहीं पर वे डंकी रूट के शिकार हो जाते हैं।

डंकी रूट को इस तरह से समझिए

जानकारी के मुताबिक ट्रैवल एजेंट भारतीयों को दिल्ली से सर्बिया के लिए सीधी उड़ान भरते थे और बेलग्रेड में उतरते थे। इसके बाद उन्हें हंगरी और हंगरी से ऑस्ट्रिया ले जाते थे। ऑस्ट्रिया की सीमा इटली, स्विट्जरलैंड और जर्मनी के साथ लगती है, भारतीय अवैध तौर पर वहां पहुंच जाते थे. और इसी यात्रा को डंकी रूट कहा जाता है। साल 2022 में इटली के रास्ते में कुरुक्षेत्र के जिस युवक की हत्या कर दी गई थी, उसके बारे में अब चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस ने बताया है कि वह डंकी रूट विदेश की धरती पर पहुंच गया था।

क्यों बढ़ रही है गैरकानूनी विदेश यात्रा?

एक आंकड़े के मुताबिक कोविड19 में लगे लॉकडाउन से पहले हर रोज 350 भारतीय विदेश यात्रा करते थे। साल 2019 में 1 लाख 44 हजार लोगों ने विदेश यात्रा की थी। और ये आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। खास बात ये कि ये आंकड़ा सरकारी है। इनमें गैरकानूनी तौर पर जाने वालों की संख्या जोड़ दें तो ये आंकड़ा और बढ़ सकता है। आपको याद होगा पिछले साल फरवरी के माह में गुजरात के चार लोगों की अमेरिका में ठंड से मौत हो गई थी। उनके बारे में बाद में पता चला के वे अवैध तौर पर अमेरिका गये थे। जानकारी के मुताबिक कनाडा के रास्ते लोग अमेरिका में अवैध तौर पर घुसते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक 2021 से 2022 तक भारतीय मूल के 16,290 लोगों को मैक्सिको की सीमा पर अमेरिकी पुलिस ने पकड़ा था। जानकारी के मुताबिक गैरकानूनी तौर पर विदेश जाने वालों की कई वजहें हैं। रोजगार और शिक्षा सबसे बड़ी वजह है। कुछ देशों में तकनीकी तथा अन्य प्रोफेशनल शिक्षा पर भारत के मुकाबले कम खर्च होते हैं इसलिए भी छात्र विदेश जाना पसंद करते हैं। जिन्हें कम समय में अच्छी कमाई करके अच्छी लाइफ स्टाइल में जीने की ख्वाहिश होती है या फिर जो भारत में किसी क्राइम में शामिल होते हैं वे भी गैरकानूनी तरीका अख्तियार करते हैं।

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