Loksabha Election 2024: INDIA गठबंधन में सीटों के तालमेल की गाड़ी आगे बढ़ने की बजाय रिवर्स गियर में

नई दिल्ली, BNM News : Loksabha Election 2024: विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल दलों के बीच सीटों के तालमेल की सियासी गाड़ी पांच महीने पहले जहां से स्टार्ट हुई वास्तविक रूप में अब तक वहां से आगे नहीं बढ़ पाई है। कुछ एक प्रमुख घटक दल एकला चलो की राह पर चलने की घोषणा कर रहे हैं तो कुछ ने सत्तापक्ष की ओर छलांग मारते हुए पाला ही बदल दिया है। जदयू के आइएनडीआइए छोड़ने के बाद तृणमूल कांग्रेस के अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के एलान से साफ है कि विपक्षी गठबंधन के सीटों के तालमेल की गाड़ी आगे बढ़ना तो दूर रिवर्स गियर में दिखाई दे रही है। इस लिहाज से कांग्रेस के लिए उम्मीद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ही है जो अब भी आइएनडीआइए गठबंधन की मजबूती की पैरोकारी कर रही है। साथ ही कांग्रेस को करीब दर्जनभर लोकसभा सीटें देने के लिए भी तैयार है।
राहुल गांधी की न्याय यात्रा को लेकर ममता बनर्जी ने दिखाई बेरुखी
विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के अस्तित्व में आने के समय से ही कांग्रेस लगातार तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को साधने के लिए उन्हें तवज्जो देती आ रही है। लेकिन, दीदी ने सीटों के तालमेल से लेकर बंगाल में राहुल गांधी की न्याय यात्रा को लेकर जिस तरह से बेरुखी दिखाते हुए उनकी राजनीतिक पहल पर टीका-टिप्पणी कि है उससे साफ है कि तृणमूल सुप्रीमो अपने सूबे में कांग्रेस को एक सीमा से ज्यादा सियासी जगह देने का जोखिम नहीं उठाना चाहतीं। राजनीतिक वास्तविकता को भांपते हुए कांग्रेस बंगाल में छह लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सहर्ष तैयार है। लेकिन, ममता दो सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं हुईं और न्याय यात्रा के दौरान राहुल के माकपा नेताओं संग मंच साझा करने को आधार बनाते हुए अकेले चुनाव मैदान में जाने की घोषणा कर दी। जबकि, हकीकत यह भी है कि विपक्षी गठबंधन की बैठकों में सीताराम येचुरी और डी राजा जैसे वामपंथी नेताओं संग मंच साझा करने में दीदी को कोई दिक्कत नहीं रही थी। ममता का यह रुख कांग्रेस को इस लिहाज से भी आहत करेगा कि INDIA के गठन में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने के प्रस्ताव का उन्होंने विरोध किया तो कांग्रेस नेतृत्व ने उनके सुर में सुर मिलाया।
गठबंधन में आए नए दलों में केवल सपा ही कांग्रेस का ‘हाथ’ थामने को उत्सुक
नीतीश के खेमा बदलने की वजह चाहे जो भी हो, इसमें एक कारण यह भी रहा है। मुंबई में पिछले साल एक सितंबर को हुई INDIA की बैठक में ममता के साथ आम आदमी पार्टी प्रमुख दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीट बंटवारे के लिए 31 अक्टूबर की समय-सीमा तय की। पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस के व्यस्त रहने की वजह से यह पहल लगभग तीन महीने ठप रही और फिर 31 दिसंबर तक तालमेल को सिरे चढ़ाने की कसरत तेज की गई। इसके बाद मकर संक्राति और फिर 31 जनवरी की दो अन्य समय-सीमा भी पार हो चुकी है। इसी बीच नीतीश कुमार एनडीए के पाले में जा चुके हैं। ममता ने एकला चलो की बात कह दी है। आम आदमी पार्टी को लेकर भी तस्वीर अभी तक साफ नहीं हुई है। ऐसे में कांग्रेस के सामने फिलहाल गठबंधन का विकल्प बिहार में राजद, झारखंड में झामुमो, महाराष्ट्र में राकांपा और शिवसेना यूबीटी तथा तमिलनाडु में द्रमुक के साथ ही है। इन दलों से सीट बंटवारे की राह में पार्टी को बहुत दिक्कत इसलिए भी नहीं है कि इन सभी पार्टियों के साथ कांग्रेस का गठबंधन आइएनडीआइए के अस्तित्व में आने से काफी पहले से है। इससे साफ है कि INDIA में शामिल हुई पार्टियों में केवल अखिलेश यादव की सपा ही कांग्रेस का हाथ थामने के लिए अब भी तैयार है।
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