INS Sandhayak: भारतीय नौसेना को मिला देश का पहला सर्वे पोत, जानें कैसे हिंद महासागर में बढ़ेगी भारत की ताकत
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विशाखापत्तनम, एजेंसी: INS Sandhayak: देश का पहला और सबसे बड़ा सर्वे पोत आइएनएस सन्धायक शनिवार को औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना में शामिल हो गया है। इससे आत्मनिर्भरता के साथ भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ेगी। नौसेना को समुद्री आंकड़ों के विश्लेषण में सहायता मिलेगी। इसके अलावा जहाज कई प्रकार के नौसैनिक अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है।
आइएनएस सन्धायक का मुख्य काम बंदरगाहों, जहाजों के रास्तों, नौवहन क्षेत्रों, समुद्री रास्तों, तटीय इलाकों और गहरे समुद्रों का पूरा हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करना है। इससे जहाज सुरक्षित तरीके से समुद्र में चल सकेंगे। जहाज के बारे में कहा गया है कि यह जहाज समुद्र से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने में बहुत मदद करेगा। इससे न केवल भारत, बल्कि अन्य देशों की सुरक्षा में भी मदद मिलेगी।
समुद्री आंकड़ों के विश्लेषण में मिलेगी नौसेना को सहायता
आइएनएस सन्धायक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महाशक्ति के रूप में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा तथा शांति व सुरक्षा बनाए रखने में भारतीय नौसेना के लिए मददगार साबित होगा। यह हिंद महासागर में अवैध और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने को रोकने के साथ-साथ विभिन्न देशों के बीच नौपरिवहन, व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता बनाए रखने के भारत के दृढ़ संकल्प को मजबूत करेगा। इसका निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स कोलकाता में किया गया। 3,400 टन वजनी यह पोत 110 मीटर लंबा है। इसमें अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं।
सुरक्षा के मामले में हम पहले जवाब देने वाले बन गए
विशाखापत्तनम के नौसेना डाकयार्ड में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर मैं अपनी नौसैनिक ताकत की बात करूं, तो भारतीय नौसेना इतनी मजबूत हो गई है कि हिंद महासागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के मामले में हम पहले जवाब देने वाले बन गए हैं। वैश्विक व्यापार की बात करें तो हिंद महासागर को वैसे भी हाटस्पाट के तौर पर गिना जाता है। अदन की खाड़ी, गिनी की खाड़ी आदि कई संकरे रास्ते (चोक प्वाइंट) हिंद महासागर में हैं, जिसके जरिए से बड़ी मात्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है। इन चोक प्वाइंट्स पर कई खतरे बने हुए हैं। लेकिन सबसे बड़ा खतरा समुद्री डाकुओं का है।
राजनाथ सिंह ने कहा, समुद्री लुटेरे और तस्करी बर्दाश्त नहीं
सिंह ने चेतावनी दी कि समुद्री डकैती और तस्करी में शामिल लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने न केवल भारतीय जहाजों बल्कि मित्र देशों के जहाजों को भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की। इस मौके पर एडमिरल हरि कुमार ने कहा कि पिछले एक दशक में नौसेना ने अलग-अलग रेंज के अत्याधुनिक प्लेटफार्म को लांच किए हैं, चाहे वह शक्तिशाली विमानवाहक पोत विक्रांत हो, विशाखापत्तनम क्लास का डेस्ट्रोयर हो, बहुमुखी श्रेणी के फ्रिगेट, कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां हों या गोताखोरी के लिए विशेष जहाज हो, हम उभरते हुए भारत की सेवा में एक संतुलित और आत्मनिर्भर बल का निर्माण कर रहे हैं। आखिरी तीन युद्धपोत और पनडुब्बियां पिछले दस वर्षों में नौसेना में शामिल किए गए हैं। वे सभी भारत में बनाए गए हैं और सन्धायक भारत में बनने वाला 34वां पोत है। नौसेना के मुताबिक, कोलकाता के मैसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में चार बड़े सर्वेक्षण पोत निर्माणाधीन हैं। यह उनमें पहला है। आइएनएस सन्धायक का बंदरगाह और समुद्र दोनों में परीक्षण किया गया था। इसके बाद चार दिसंबर को इसे नौसेना को सौंप दिया गया था।
अत्याधुनिक उपकरणों से लैस आइएनएस सन्धायक
आइएनएस सन्धायक अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से लैस है। जिसमें गहरे पानी के मल्टीबीम इको-साउंडर्स, पानी के नीचे चलने वाले वाहन, दूर से संचालित होने वाले वाहन, उपग्रह आधारित स्थिति निर्धारण प्रणाली शामिल हैं। जहाज की आधारशिला 12 मार्च, 2019 को रखी गई थी और जहाज को पांच दिसंबर, 2021 को लांच किया गया था। यह बंदरगाह और समुद्र में कई परीक्षण से गुजर चुका है। इसके बाद इसे चालू किया गया। जहाज का विस्थापन 3,400 टन और कुल लंबाई 110 मीटर और बीम 16 मीटर है. इस परियोजना का संचालन भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा किया गया है।
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