Loksabha Election 2024: अखिलेश यादव ने दी लोकसभा की 7 सीटें, बीजेपी का ऑफर की 4, जानें क्यों सपा के साथ जयंत चौधरी की बिगड़ी बात ?

मेरठ, BNM News : Loksabha Election 2024: बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) इंडिया गठबंधन से पल्ला झाड़ने की तैयारी कर रहा है। ऐसी चर्चा है कि आरएलडी के सुप्रीमो जयंत चौधरी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ जा सकते हैं। आरएलडी प्रवक्ता पवन आगरी ने भी जयंत चौधरी चौधरी की मंशा पर मुहर लगा दी है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा ने आरएलडी को लोकसभा की चार सीट देने की पेशकश की है। इंडिया गठबंधन की पार्टनर समाजवादी पार्टी आरएलडी को सात सीटें देने का ऑफर कर चुकी है, मगर अखिलेश यादव ने एक ऐसी शर्त रख दी है जो जयंत चौधरी को हजम नहीं हो रही है। अखिलेश के ऑफर से आरएलडी के पहचान पर संकट आ सकता है।
विधानसभा चुनाव में हुई थी सपा और रालोद की दोस्ती
राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी की दोस्ती पुरानी है। जनता दल के जमाने में भी आरएलडी नेता अजित चौधरी सपा नेताओं के साथ थे। जनता दल टूटा तो वह कई मौकों पर सपा के करीब रहे। 2014 में मोदी लहर में आरएलडी हाशिये पर चली गई। खुद अजित सिंह बागपत से चुनाव हार गए। उनके बेटे जयंत चौधरी भी मथुरा से हेमामालिनी के खिलाफ उतरे, मगर जीत नहीं सके। 2019 में भी आरएलडी को एक सीट भी नसीब नहीं हुई। उत्तर प्रदेश मं 2022 के विधानसभा चुनाव में जयंत और अखिलेश एक मंच पर आए। आरएलडी को इसका फायदा भी हुआ और विधानसभा में 9 सीटें जीतकर पार्टी ने अस्तित्व बनाए रखा। गठबंधन पार्टनर होने के कारण समाजवादी पार्टी ने जयंत चौधरी को अपने कोटे से राज्यसभा भी भेज दिया। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले दोनों दलों के बीच तालमेल बेहतर था। जयंत चौधरी और अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन गए, मगर पेच सीट बंटवारे पर फंस गया।
सारा झगड़ा सिंबल का, आरएलडी के अस्तित्व पर संकट
अखिलेश यादव ने आरएलडी को सात सीटें तो दे दी, मगर एक शर्त रख दी। उन्होंने आरएलडी के कैंडिडेट को समाजवादी पार्टी के सिंबल पर उतारने की शर्त रखी। इस प्रस्ताव से जयंत असहज हो गए। उन्होंने सपा के सामने 12 सीटों पर कैंडिडेट उतारने का प्रस्ताव रख दिया, जिसे समाजवादी पार्टी ने मानने से इंकार कर दिया है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने सीधे तौर से 4 सीट देने का ऑफर दे दिया। बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में 8 सीटें गंवा चुकी है। इस बार एनडीए ने यूपी की 80 लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। जाटलैंड माने जाने वाले पश्चिम उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 27 सीटें हैं। इनमें 22 सीट जाट बहुल वाली मानी जाती है। पिछले लोकसभा चुनाव में इन 22 सीटों में 16 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। पूरे पश्चिमी यूपी में 27 में 19 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा किया था।
जयंत चौधरी ने अभी बंद नहीं किए हैं सपा के लिए दरवाजे
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले जयंत चौधरी अपने पिता अजित सिंह की तरह राजनीतिक कौशल का अनुसरण कर रहे हैं। भाजपा से गठबंधन की बात सार्वजनिक उन्होंने अखिलेश यादव को अपने इरादों के बारे में बता दिया है। उन्होंने अभी भी समाजवादी पार्टी के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं। अगर समाजवादी पार्टी सीधे तौर से ज्यादा सीटें देती है तो विपक्षी गठबंधन में बने रहेंगे। भाजपा को जाटलैंड में बड़े सहयोगी की जरूरत है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा का जो नुकसान हुआ, उसे पार्टी दोहराना नहीं चाहती है। जाट बिरादरी से जुड़े राकेश टिकैत और भारतीय किसान यूनियन ने भी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। हालांकि, चुनावी सर्वे में बीजेपी को पश्चिम यूपी की 27 सीटों में से 22 पर जीत मिलती दिख रही है। फिर भी भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
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