Basant Panchami 2024 : वसंत पंचमी पर आज ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और नियम

बुद्धि, ज्ञान, कला और विद्या की देवी मां सरस्वती प्रकट्य उत्सव
नई दिल्ली, BNM News:Saraswati Puja 2024 Puja Vidhi Muhurat Timing News in Hindi: हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के त्योहार का विशेष महत्व होता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में वसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है यानी इस तिथि पर हर तरह के शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है। वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस दिन देवी को पीला फूल और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाया जाता है।
हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ज्ञान, विद्या, बुद्धि और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित वसंत पचंमी का त्योहार मनाया जाता है। वसंत पचंमी का त्योहार विद्यार्थियों, कला और साहित्य के क्षेत्र जुड़े लोगों के लिए बहुत ही खास होता है। इस दिन घरों, शिक्षण संस्थानों और कला केंद्रों में सभी कलाओं से परिवपूर्ण मां सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वसंत पचंमी के दिन छोटे बच्चों से अक्षर लिखवाकर शिक्षा का शुभारंभ भी किया जाता है। इसके अलावा कला और साहित्य से जुड़े लोग देवी सरस्वती की विधि-विधान से पूजा करते हैं।
आज वसंत पंचमी पर बना खास योग
हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के त्योहार का विशेष महत्व होता है। इस दिन मां ज्ञान, कला और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा आराधना की जाती है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार 14 फरवरी को वसंत पंचमी पर बहुत ही शुभ योगों का निर्माण होने जा रहा है। इस दिन मकर राशि में मंगल, शुक्र और बुध ग्रह की युति हो रही है। चंद्रमा मेष राशि में होकर गुरु के साथ गजकेसरी योग का निर्माण भी हो रहा है। मंगल के उच्च राशि में जाने से रूचक योग का निर्माण हो रहा है। वहीं रवि योग और रेवती नक्षत्र का संयोग भी बना हुआ है।
वसंत पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त
वसंत पंचमी पर बुद्धि और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
वसंत पंचमी के दिन पीले रंग का महत्व
आज 14 फरवरी 2024 को पूरे देशभर में वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वसंत पंचमी के दिन बुद्धि, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का प्रगट हुईं थी। वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष रूप से पूजा-आराधना की जाती है और विशेष रूप से पीले रंग के पुष्प, पीले वस्त्र और पीले भोग अर्पित किए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं वसंत पंचमी पर पीले रंग का क्या महत्व होता है। दरअसल पीला रंग अहिंसा, प्रेम, आनंद और ज्ञान का प्रतीक है। श्रीविष्णु और उनके अवतारों को पीताम्बर धारण करवाने का यह प्रमुख कारण है। यह रंग सौंदर्य और आध्यात्मिक तेज को तो निखरता ही है, साथ ही पीले वस्त्र धारण करने से देव गुरु वृहस्पति भी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। पीला रंग व्यक्ति के स्नायु तंत्र को संतुलित व मस्तिष्क को सक्रिय रखता है। पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना गया है। इस दिन पीले रंग के प्रयोग से सौंदर्य और आध्यात्मिक तेज में वृद्धि होती है।
वसंत पंचमी पूजा विधि
- वसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें।
- पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।
- इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
- इस दिन सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं। साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
- इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें।
- आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं।
- आखिर में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें।
- फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें।
वसंत पचंमी पर जरूर करें यह काम
आज देशभर में वसंत पचंमी का त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाई जा रही है। सुबह से ही सभी पवित्र नदियों में स्नान और मंदिरों में पूजा अर्चना जारी है। शास्त्रों में वसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना गया है, यानी इस तिथि पर बिना शुभ मुहूर्त देखे कोई भी काम किया जा सकता है। इस दिन घर पर मां सरस्वती की मूर्ति और बांसुरी जरूर लानी चाहिए। साथ ही विधि-विधान के साथ देवी सरस्वती की पूजा और उन्हे पीले रंग के वस्त्र और भोग अर्पित करना चाहिए।
वसंत पंचमी पर करें सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना (Saraswati Vandana)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
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