Intuitive Machines: चंद्रमा की सतह पर उतरा निजी कंपनी का पहला अंतरिक्ष यान, ऐसा करने वाली दुनिया की पहली प्राइवेट कंपनी बनी
वाशिंगटन, एजेंसी : चंद्रमा की सतह पर पहली बार निजी कंपनी का अंतरिक्षयान उतरा। यह 1972 में अपोलो 17 मिशन के बाद चंद्रमा पर पहला अमेरिकी अंतरिक्षयान भी है। इंटुएटिव मशींस पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह पर अंतरिक्ष यान उतारने वाली दुनिया की पहली प्राइवेट कंपनी बन गई है। इंटुएटिव मशींस के छह पैरों वाले रोबोट लैंडर ओडीसियस ने गुरुवार को ईस्टर्न टाइम के अनुसार लगभग शाम 6:23 बजे और भारतीय समयानुसार शुक्रवार सुबह 4.53 बजे चंद्रमा का स्पर्श किया।
रोबोट लैंडर ओडीसियस को चंद्रमा पर उतारा
नेशनल एयरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के प्रशासक बिल नेल्सन ने इस उपलब्धि के बाद कहा, आज, आधी सदी में पहली बार अमेरिका चंद्रमा पर लौट आया है। इतिहास में पहली बार एक प्राइवेट अमेरिकी कंपनी ने चंद्रमा की यात्रा का नेतृत्व किया। लैंडर में नासा के कई वैज्ञानिक उपकरण के साथ अन्य वाणिज्यिक पेलोड हैं। कुछ प्रारंभिक संचार समस्याओं के बावजूद इंटुएटिव मशींस ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अपना लैंडर उतारा है। उड़ान निदेशक और मुख्य तकनीकी अधिकारी टिम क्रेन ने कहा, हम बिना किसी संदेह के पुष्टि कर सकते हैं कि हमारे उपकरण चंद्रमा की सतह पर हैं। उड़ान नियंत्रकों ने कहा है कि ओडीसियस ने डाटा भेजना शुरू कर दिया है। चंद्रमा की सतह से तस्वीरों को डाउनलिंक करने के लिए काम किया जा रहा है।
लैंडिंग गियर के निचले हिस्से पर कर्मचारियों के नाम लिखवाए
इंटुएटिव मशींस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन अल्टेमस ने लाइवस्ट्रीम के दौरान कहा, यह दिल की धड़कन बढ़ाने वाला रोमांचक क्षण था, लेकिन हम अब चंद्रमा की सतह पर हैं। चंद्रमा पर आपका स्वागत है। कहा कि उन्होंने लैंडिंग गियर के निचले हिस्से पर कंपनी के कर्मचारियों के नाम लिखवा दिए थे ताकि जब यह लैंडर चंद्रमा को छूए तो उनके नाम चंद्रमा पर अमिट रूप से अंकित हो जाएं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटुएटिव मशींस उन कई कंपनियों में से एक है, जिन्हें नासा ने कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज प्रोग्राम (सीएलपीएस) के तहत प्राइवेट चंद्र लैंडर बनाने के लिए मंजूरी दी थी, जिसका उपयोग एजेंसी अंतरिक्ष में उपकरण भेजने के लिए करेगी। वाल स्ट्रीट जर्नल ने कहा कि लैंडर 118 मिलियन अमेरिकी डालर के अनुबंध के तहत नासा के उपकरणों को लेकर गया है।
डाटा जुटाने के लिए है सात दिन का समय
एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार डाटा जुटाने के लिए लैंडर के पास सात दिन का समय है। क्योंकि सात दिन के बाद चंद्रमा पर रात हो जाएगी। चंद्रमा का एक दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है। चंद्रमा पर रात में तापमान अत्यधिक कम हो जाता है।
भारत ने चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग कर रचा था इतिहास
गौरतलब है कि अमेरिका के अलावा अब तक केवल भारत, रूस, चीन और जापान को चंद्रमा पर पहुंचने में सफलता मिली है। पिछले साल अगस्त में भारत ने चंद्रयान-3 मिशन के तहत विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग कराकर इतिहास रचा था। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश है।
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