वोट के बदले नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, पैसा लेने वाले सांसदों, विधायकों को नहीं मिलेगा कानूनी संरक्षण

नई दिल्ली, BNM News: सांसदों और विधायकों को विधायिका में भाषण देने या वोट डालने के लिए रिश्वत लेने पर कानूनी संरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों , विधायकों को कानूनी संरक्षण नहीं है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने फैसला सुनाया। सात जजों ने सहमति से यह फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सांसदों, विधायकों पर वोट देने के लिए रिश्वत लेने का मुकदमा चलाया जा सकता है। 1998 के पी वी नरसिम्हा राव मामले में पांच जजों के संविधान पीठ का फैसला पलट दिया है। ऐसे में नोट के बदले सदन में वोट देने वाले सांसद, विधायक कानून के कटघरे में खड़े होंगे। केंद्र ने भी ऐसी किसी भी छूट का विरोध किया था।
Seven-judge Constitution bench of the Supreme Court rules that an MP or MLA can’t claim immunity from prosecution on a charge of bribery in connection with the vote/speech in the Parliament/ Legislative Assembly.
Supreme Court’s seven-judge bench in its unanimous view overruled… pic.twitter.com/xJ4MRWvpoO
— ANI (@ANI) March 4, 2024
केंद्र सरकार ने मुकदमे से छूट के विरोध में दी थी दलील
संविधान पीठ ने 1998 के झामुमो रिश्वतकांड पर दिए अपने फैसले पर पुनर्विचार के संबंध में सुनवाई पूरी कर बीते साल 5 अक्तूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अक्तूबर में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिश्वत के बदले वोट के मामले में मिले विशेषाधिकार का विरोध किया था। सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि रिश्वतखोरी कभी भी मुकदमे से छूट का विषय नहीं हो सकती। संसदीय विशेषाधिकार का मतलब किसी सांसद-विधेयक को कानून से ऊपर रखना नहीं है।
VIDEO | “A seven-judge bench of the Supreme Court has unanimously said that accepting money to ask questions in Parliament or vote in the Rajya Sabha elections is against the constitutional values. That’s why no immunity would be given (to the Parliamentarians),” says advocate… pic.twitter.com/DYGviH6Oci
— Press Trust of India (@PTI_News) March 4, 2024
किस फैसले पर हो रहा पुनर्विचार
झारखंड की विधायक सीता सोरेन पर साल 2012 में राज्यसभा चुनाव में वोट के बदले रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। इस मामले में उनके खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है। इन आरोपों पर अपने बचाव में सीता सोरेन ने तर्क दिया था कि उन्हें सदन में कुछ भी कहने या किसी को भी वोट देने का अधिकार है और संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत उन्हें विशेषाधिकार हासिल है। जिसके तहत इन चीजों के लिए उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इस तर्क के आधार पर सीता सोरेन ने अपने खिलाफ चल रहे मामले को रद्द करने की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के घूसकांड पर 1998 में दिए पांच जजों की संविधान पीठ के एक फैसले की सात जजों की पीठ द्वारा समीक्षा करने का फैसला किया। समीक्षा इस बात की की जा रही है कि सदन में बोलने और नोट के बदले वोट के मामले में सांसदों-विधायकों को आपराधिक मुकदमों से छूट जारी रहेगी या नहीं?
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