भारत सरकार ने रूसी सेना से भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए बढ़ाया दबाव, एजेंटों के विरुद्ध भी हो रही कार्रवाई
नई दिल्ली
, BNM News: Indians In Russia: अच्छी नौकरी का झांसा देकर रूस की सेना में भर्ती कराने वाले गिरोहों के विरुद्ध देश के भीतर सीबीआइ की तरफ से कार्रवाई तो शुरू हो गई है, लेकिन इस बारे में भारत अपने पारंपरिक मित्र देश रूस पर लगातार दबाव बनाए हुए है। भारत एक तरफ तो नई दिल्ली में रूस के दूतावास के साथ इस मुद्दे को उठा रहा है तो दूसरी तरफ मास्को स्थित भारतीय दूतावास सीधे वहां के विदेश मंत्रालय के साथ संपर्क में है। अभी तक कई भारतीयों को रूस की सेना से बाहर निकालने में सफलता मिली है। समस्या यह है कि विदेश मंत्रालय को इस बात की पक्की सूचना नहीं है कि कितने भारतीय इस फर्जीवाड़े की वजह से रूस की सेना में फंसे हुए हैं। जिनकी सूचना सामने आ रही है उन्हें बाहर निकाला जा रहा है, लेकिन इस बात की भी संभावना है कि वहां फंसे भारतीयों की संख्या ज्यादा भी हो सकती है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, रूस सरकार के समक्ष बेहद कड़ाई से उठाया मुद्दा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘कई भारतीय नागरिकों को धोखे से रूस की सेना में काम करने के लिए ले जाने की सूचना मिली है। हमने इन भारतीयों की वापसी के लिए रूस सरकार के साथ बेहद कड़ाई से इस मुद्दे को उठाया है। लोगों को गलत सूचना देकर व नौकरी का लालच देकर ले जाने वाले एजेंटों व निर्लज्ज तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की शुरुआत हो गई है। एक दिन पहले ही सीबीआइ ने फर्जी तरीके से रूस की सेना के लिए भर्ती करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है और देशभर में कई जगहों पर छापेमारी की है। कई एजेंटों के विरुद्ध मानव तस्करी का मामला दायर किया गया है।’ जायसवाल ने कहा, ‘हम भारतीय नागरिकों से फिर अपील करते हैं कि वह रूस की सेना में नौकरी करने के झांसे में नहीं आएं। इसमें काफी खतरा है और जान जाने का जोखिम है। हम इन भारतीयों को जल्द से जल्द स्वदेश लाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।’
नौकरी देने के लालच में भारतीयों को धोखा दिया गया
इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि जिस स्तर पर नौकरी देने के लालच में भारतीयों को धोखा दिया गया है, वह काफी चिंतित करने वाला है। सरकार को अभी इसकी जानकारी नहीं है कि कितने लोगों को जाल में फंसाकर रूस की सेना के हवाले किया गया है। जो जानकारी सामने आ रही है, वह रूसी सेना के लिए काम करने वाले भारतीयों की तरफ से भेजे जाने वाले संदेश के आधार पर ही सामने आ रही है। कुछ वीडियो जो सामने आए हैं, उनके बारे में पूरी जानकारी अभी तक नहीं है कि वह रूस के किस क्षेत्र में कार्यरत हैं। लेकिन जहां जानकारी साफ तौर पर उपलब्ध हो रही है, उसे रूस की सरकार के साथ उठाया गया है और फिर उसके आधार पर भारतीयों को वहां से लाने का काम हो रहा है। एक समस्या यह भी है कि कुछ भारतीयों को बहुत ही दूर रूस-यूक्रेन सीमा पर जारी युद्धग्रस्त इलाकों में भेजा गया है। वहां संपर्क साधना भी आसान नहीं है। एक बार संपर्क साधने के बाद उन्हें वहां से वापस लाने की प्रक्रिया भी दुरूह है।
इराक के मोसल में 39 भारतीय गायब हो गए थे
यह पहला मामला नहीं है जब भारतीयों को नौकरी देने के लालच में फंसाकर किसी दूसरे देश में चल रहे युद्ध में इस्तेमाल किया गया हो। सबसे बड़ा उदाहरण इराक के मोसुल इलाके का है, जहां से जून, 2014 में 39 भारतीय गायब हो गए थे। इन भारतीयों को कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में नौकरी के लालच में और इनसे हजारों रुपये लेकर एजेंटों ने खाड़ी देशों से होते हुए इराक भेज दिया था। बाद में उस इलाके पर आतंकी संगठन आइएस का कब्जा हो गया था। वर्ष 2018 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में बताया था कि वर्षों से लापता 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है और इसकी पुष्टि उनकी डीएनए जांच से हो गई है। रूस की सेना में झांसा देकर भेजे गए दो भारतीयों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
रूस में मौजूद दो एजेंट सीबीआइ के रडार पर
भारतीयों को रूस की सेना में भेजने से जुड़े मानव तस्करी नेटवर्क में शामिल और रूस में मौजूद दो एजेंट क्रिस्टीना और मूल रूप से राजस्थान निवासी मोईनुद्दीन चिप्पा सीबीआइ के रडार पर हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन एजेंटों ने कथित तौर पर रूस पहुंचने वाले भारतीयों के पासपोर्ट अपने कब्जे में लिए थे और उन्हें सेना के लिए लड़ने पर मजबूर किया। सीबीआइ ने गुरुवार को इस नेटवर्क का पर्दाफाश किया था। जांच एजेंसी ने अपनी एफआइआर में 17 अन्य वीजा कंसल्टेंसी कंपनियों, उनके मालिकों एवं देशभर में फैले एजेंटों को सूचीबद्ध किया है। उनके विरुद्ध आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी व मानव तस्करी से जुड़ी आइपीसी की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद सीबीआइ ने दिल्ली, तिरुअनंतपुरम, मुंबई, अंबाला, चंडीगढ़, मदुरै व चेन्नई में 13 स्थानों पर तलाशी ली। सीबीआइ ने जिनके विरुद्ध मामले दर्ज किए हैं उनमें दिल्ली में 24×7 आरएएस ओवरसीज फाउंडेशन व उसके निदेशक सुयश मुकुट, मुंबई में ओएसडी ब्रास ट्रैवेल्स एंड वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड व उसके निदेशक राकेश पांडे, चंडीगढ़ में एडवेंचर वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड व उसके निदेशक मनजीत सिंह और दुबई में बाबा व्लाग्स ओवरसीज रिक्रूटमेंट सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड व उसके निदेशक फैसल अब्दुल मुतालिब खान उर्फ बाबा शामिल हैं।
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