क्या नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाने से नाराज हैं अनिल विज? नई कैबिनेट में भी नहीं मिली जगह, जानें- आगे क्या होगा

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) से पहले भाजपा ने हरियाणा (Haryana Government) में मंगलवार को बड़ा दांव चला। भाजपा ने अपनी सरकार भी बचा ली और विरोधियों को सरकार से बाहर भी कर दिया। लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर हुए अनबन के बाद दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) की जेजेपी के साथ भाजपा का गठबंधन टूट गया। ऐसे में मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khttar) ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद और प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी हरियाणा के 11वें मुख्यमंत्री बनाए गए। इस बीच खट्टर सरकार में गृहमंत्री रहे अनिल विज (Anil Vij) भी चर्चा में रहे। बताया जा रहा है सैनी को विधायक दल का नेता चुने जाने के फैसले से नाराज होकर अनिल विज मीटिंग से उठकर चले गए थे। नई कैबिनेट में उन्हें जगह भी नहीं दी गई।

खट्टर ने क्या कहा था?

मंगलवार को अनिल विज के नाराज होकर मीटिंग छोड़कर जाने के सवाल पर पूर्व सीएम खट्टर ने जवाब दिया था। खट्टर ने कहा था। मैं अनिल विज को 1990 से जानता हूं। वो कभी नाराज हो जाते हैं और फिर खुद से मान भी जाते हैं। जल्दी नाराज हो जाते हैं लेकिन जल्दी मान भी हो जाते हैं। उनका स्वभाव है। पहले भी ऐसे मामले आए हैं। वे परेशान हैं लेकिन हम उनसे बात कर रहे हैं। हमारे नए मुख्यमंत्री भी उनसे बात करेंगे। कैबिनेट में उनका भी नाम है, लेकिन उन्होंने कहा कि अब मेरा मन नहीं है। अब उनका मन नहीं है तो कोई दबाव देकर काम कैसे करवाए।

गठबंधन टूटने पर क्या बोले खट्टर?

खट्टर का कहना था, 2019 के चुनाव में हरियाणा की सभी 10 सीटें भाजपा ने जीती थीं। जेजेपी नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व से बात की होगी। आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं है लेकिन उन्होंने (जेजेपी) फैसला कर लिया है कि वे लोकसभा सीटें अलग से लड़ेंगे और उसके बाद आगे निर्णय किए गए हैं।

हरियाणा में आगे क्या?

नायब सिंह को सीएम बनने के बाद कुरुक्षेत्र सीट छोड़नी होगी। इस सीट पर मनोहर लाल खट्टर के लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना है। वहीं, अनिल विज के बारे में अभी कुछ साफ नहीं हो पाया है। कैबिनेट सहयोगियों के रूप में लगभग 10 साल तक एक साथ काम करने के दौरान खट्टर और विज के बीच मतभेद रहे थे।

अनिल विज विवादास्पद बयान देने के लिए जाने जाते हैं। एक बार उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी की फोटो करेंसी नोटों से हटा देनी चाहिए, उनका जगह लक्ष्मी-गणेश की फोटो छापनी चाहिए। विज ने ताजमहल को ‘सुंदर कब्रिस्तान’ भी बता दिया था। हालांकि, विवाद बढ़ने पर उन्होंने अपने बयानों के लिए माफी मांगी थी। 2019 में अनिल विज ने अंबाला में उनकी कार को घेरने वाले प्रदर्शनकारियों के साथ भी दुर्व्यवहार किया था। पूर्व मंत्री 6 बार अंबाला छावनी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रहे हैं। 2009 से वह लगातार तीन बार जीत हासिल कर चुके हैं।

भाजपा के 41 विधायक, निर्दलियों का भी समर्थन

बता दें कि 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 41 सदस्य हैं और उसे सात में से छह निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ हरियाणा लोकहित पार्टी के एकमात्र विधायक गोपाल कांडा का भी समर्थन प्राप्त है। सदन में जेजेपी के 10 विधायक हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। जबकि इंडियन नेशनल लोकदल के पास एक विधायक है। लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर मतभेद के बीच जेजेपी के साथ बीजेपी का गठबंधन लगभग टूट गया है।

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