Bhadohi Lok Sabha Seat: भदोही लोकसभा सीट पर गठबंधन ने ललितेश पति त्रिपाठी पर लगाया दांव, जानें- क्या है समीकरण

भदोही, BNM News: पूर्वांचल की बहुचर्चित भदोही लोकसभा सीट को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के खाते में दे दी। उसके तुरंत बाद ही तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने ललितेशपति त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर दी।  भदोही लोकसभा सीट को तृणमूल के खाते में देने से राजतीतिक विश्लेषक भी हतप्रभ थे। सपा ने सीट तृणमूल के खाते में देने की घोषणा की और उसके कुछ देर बाद ही पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर दी गई। भदोही लोकसभा सीट में पांच विधानसभा सीटे हैं। इसमें भदोही जिले की ज्ञानपुर, भदोही और औराई जबकि प्रयागराज की प्रतापपुर एवं हंडिया सीटें शामिल है। भदोही लोकसभा सीट पर ब्राह्मण मतदाता निर्णायक माने जाते हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी के कांग्रेस के टिकट पर मिर्जापुर की मड़िहान सीट से विधायक रह चुके हैं।

वाराणसी मे कांग्रेस की राजनीति का केंद्र औरंगाबाद हाउस (पं. कमलापति त्रिपाठी का आवास) माना जाता था। कांग्रेस के टिकट पर डॉ राजेश मिश्र के जीतने के बाद कांग्रेस की राजनीति का केंद्र औरंगाबाद के अलावा उनका घर (खजूरी) भी हो गया था। औरंगाबाद हाउस और खजुरी हाउस में खींचतान चलती रहती थी। पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा के भाजपा में चले जाने के बाद इस बात के कयास तेज हो गए थे कि उनको भाजपा भदोही से मैदान में उतार सकती है। इसको देखते हुए ललितेश पति त्रिपाठी की भदोही से चुनाव लड़ने की संभावना तेज हो गई थी। पं. कमलापति त्रिपाठी का परिवार भी तृणमूल कांग्रेस में चला गया था। ऐसे में जैसे ही सीट तृणमूल कांग्रेस के खाते में आई, ललितेश की उम्मीदवारी तय हो गई।

प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से आते हैं ललितेश
मिर्जापुर के मड़िहान के पूर्व विधायक व टीएमसी नेता ललितेश पति त्रिपाठी यूपी के प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से आते हैं। कद्दावर कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम कमलापति त्रिपाठी के परपौत्र ललितेश कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष भी रहे। 2021 में उन्होंने पार्टी पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दिया। ललितेश पति त्रिपाठी प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते थे। उन्होंने साल 2012 में मड़िहान विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। साल 2019 का लोकसभा चुनाव ललितेश पति त्रिपाठी हार गए थे।

भूतपूर्व सीएम, रेल मंत्री कमलापति त्रिपाठी की चौथी पीढ़ी ललितेश पति त्रिपाठी को औरंगाबाद हाउस का मुख्य चेहरा माना जाता है। वाराणसी स्थित औरंगाबाद हाउस में एक समय यूपी, बिहार और दिल्ली तक के नेताओं का जमावड़ा लगा रहता था। पंडित कमला पति त्रिपाठी 1973, 1978, 1980, 1985 और 1986 में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के सांसद भी बने। ललितेश के दादा लोकपति त्रिपाठी ने मझवां से विधायक रहे। वहीं उनके पिता राजेश पति त्रिपाठी विधानसभा और लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सके लेकिन वो एमएलसी जरूर रहे।

ब्राम्हण मतदाताओं को साधने का प्रयास
बहुचर्चित भदोही की सीट से टीएमसी प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी के नाम की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारों में चुनावी चर्चा तेज हो गई है। इंडी गठबंधन ने प्रत्याशी ललितेश को उतार ब्राम्हण वोटरों को साधने का प्रयास किया गया है। पांच विधानसभाओं की भदोही लोकसभा में करीब तीन लाख ब्राम्हण वोटर हैं।
सपा की गढ़ मानी जाने वाली सीट पर टीएमसी को मिलने के बाद कई लोग इसे राजनीतिक गलती मान रहे थे, लेकिन टीएमसी से ललितेश के नाम की घोषणा के बाद राजनीतिक विश्लेषण इसे मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं। ललितेश त्रिपाठी का परिवार चार पीढ़ियों से राजनीति में हैं और उनके परिवार का पूर्वांचल में अच्छा प्रभाव माना जाता रहा है।
ललितेश को पूर्वांचल में कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे के तौर पर भी देखा जाता था। माना जा रहा है कि ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए यह कदम उठाया गया है। भदोही सीट पर ब्राम्हण वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कालीन नगरी के नाम पूरी दुनिया में मशहूर भदोही लोकसभा सीट में कुछ पांच विधानसभाएं हैं। जिसमें भदोही, प्रतापपुर और हंडिया विस की सीट पर सपा का कब्जा है। ऐसे में इंडी गठबंधन से ललितेश के नाम की घोषणा के बाद अब सबकी नजरें भाजपा प्रत्याशी के नाम पर टिक गई हैं।

पांच में से तीन विधानसभा सीटों पर सपा का कब्जा

भदोही लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में इन पांच में से तीन सीटों पर सपा ने कब्जा जमा लिया। एक सीट पर भाजपा और एक सीट पर भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी ने जीत हासिल की है। प्रतापपुर विधानसभा सीट पर सपा की विजमा यादव को जीत मिली थी। हंडिया विधानसभा सीट पर भी सपा के ही हाकिम लाल बिंद और भदोही विधानसभा सीट पर सपा के जाहिद बेग को सफलता मिली है। ज्ञानपुर विधानसभा सीट पर निषाद पार्टी के विपुल दुबे जीते हैं। औराई (सुरक्षित) सीट पर भाजपा के दीनानाथ भाष्कर को जीत मिली है।

पिछले लोकसभा चुनाव में मिले वोटों की बात करें तो भाजपा को सपा-बसपा गठबंधन से कड़ी टक्कर मिली थी। भाजपा  रमेश चंद बिंद को 5 लाख 10 हजार 29 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा के रंगनाथ मिश्र को 4 लाख 66 हजार 414 वोट मिले। कांग्रेस के रमाकांत यादव को 25 हजार 604 वोट ही मिले थे। रमाकांत यादव अब सपा में है और आजमगढ़ की फूलपुर सीट से विधायक हैं। इससे पहले 2014 के चुनाव में भी भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त को 4 लाख 3 हजार 695 मत मिले थे। बसपाके राकेश धर त्रिपाठी को 2 लाख 45 हजार 554 और सपा की सीमा मिश्रा को 2 लाख 38 हजार 712 मत मिले थे।

2009 से पहले मिर्जापुर-भदोही के नाम से सीट

2008 में भदोही सीट अस्तित्व में आई। 2009 में यहां पहला लोकसभा चुनाव हुआ। इससे पहले यहां के लोग मिर्जापुर-भदोही के नाम से मौजूद सीट के प्रत्याशियों को वोट देते थे। मिर्जापुर-भदोही सीट पर सबसे पहले 1952 और 57 में कांग्रेस के जॉन एन विल्सन यहां से सांसद बने। 1962 में श्याम धर मिश्र ने सीट जीती। 1967 में जनसंघ के वंश नारायण सिंह को जीत मिली। अगले चुनाव में कांग्रेस के अजीज इमाम ने सीट छीन ली। इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में यहां भी जनता पार्टी ने जीत हासिल की और फकीर अली अंसारी सांसद चुने गए।

1980 में इंदिरा गांधी ने वापस की तो कांग्रेस की वापसी हुई और अजीज इमाम फिर से जीते। अगले साल उपचुनाव में कांग्रेस के ही उमाकांत ने सीट जीती। 1984 में उमाकांत दोबारा सांसद बने। वीपी सिंह की लहर में 1989 में जनता दल के युसूफ बेग सांसद चुने गए। राममंदिर आंदोलन में सीट भाजपा के पाले में आ गई और वीरेंद्र सिंह सांसद बने। 1996 में मुलायम सिंह यादव ने फूलन देवी को यहां से उतारा और वह सांसद बनीं।

दो साल बाद ही दोबारा चुनाव हुआ और भाजपा के वीरेंद्र सिंह ने यह सीट छीन ली। एक साल बाद 1999 में फूलन ने भी बदला लिया और सपा की झोली में दोबारा यह सीट आ गई। फूलन के बाद 2022 में रामरति बिंद सांसद बने। 2004 के चुनाव में बसपा के नरेंद्र कुशवाहा को लोगों ने चुनकर संसद में भेजा।

सबसे ज्यादा पिछड़ों की संख्या

भदोही जिला 1015 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस जिले की आबादी 1,578,213 है। कुल आबादी में 807099 पुरुष और 771114 महिलाएं हैं। भदोही लोकसभा क्षेत्र में पिछड़ों की संख्या सबसे अधिक है। उसके बाद ब्राह्मण, दलित, अल्पसंख्यक हैं। ऐसे में सभी दलों की नजर पिछड़ी जाति के वोटरों पर रहती है। अलग अलग जातियों की संख्या की बात करें तो ब्राह्मण 3 लाख 15 हजार, बिंद 2 लाख 90 हजार, दलित 2 लाख 60 हजार, मुस्लिम 2 लाख 50 हजार, यादव 1 लाख 40 हजार, ठाकुर एक लाख, मौर्या 95 हजार, पाल 85 हजार, पटेल 75 हजार, वैश्य एक लाख 40 हजार और अन्य करीब डेढ़ लाख हैं।

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