खत्म होता ईनेलो वर्चस्व स्टेट पार्टी का दर्जा बचाने की कवायद मे अभय,

लोकदल का संकट

नरेन्द्र सहारण चंडीगढ ।

 

देवीलाल के समय बनी पार्टी, 2018 में चौटाला परिवार में बिखराव से नुकसान

इनेलो का स्टेट पार्टी का दर्जा खतरे में !

• लोस चुनाव में 6% वोट व एक सीट या 8% वोट जरूरी,

 

देश को उप प्रधानमंत्री और हरियाणा को सीएम देने वाली इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) का स्टेट पार्टी का दर्जा खतरे में है। पार्टी का लंबा इतिहास रहा है। इसने लोकदल, जनता दल, समाजवादी जनता दल और हरियाणा लोकदल राष्ट्रीय से लेकर इनेलो तक का सफर तय किया है। पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवीलाल ने पार्टी का सफर शुरू किया था। 2018 में चौटाला परिवार बिखरा तो पार्टी इनेलो को बड़ा नुकसान हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में 1.89% और विधानसभा चुनाव में 2.44% ही बोट मिल पाए। लोकसभा में कोई सीट नहीं मिली। विधानसभा में सिर्फ पार्टी के प्रधान महासचिव अभय चौटाला अपनी सीट बचा पाए। इस बार भी कम से कम 6% वोट और एक सीट या 8% वोट नहीं मिले तो स्टेट पार्टी का दर्जा व चश्मे का चुनाव निशान तक छिन सकता है।

 

पिछले लोस व विस चुनाव में भी नहीं मिले थे। 6% वोट

 

इनेलो का स्टेट पार्टी का दर्जा बचाने के लिए अभय चौटाला पूरी ताकत लगा रहे है। वे खुद कुरुक्षेत्र सीट से चुनाव मैदान मैं उतर गए हैं। पार्टी के पुराने नेता रामपाल माजरा की वापसी कराकर प्रदेशाध्यक्ष बनाया है। अभय सिरसा से लेकर नूंह तक पूरे हरियाणा में घूम रहे हैं। पार्टी सिरसा और कुरुक्षेत्र सीट पर उम्मीद के साथ मैदान में है। हिसार व गुरुग्राम सीट पर भी बेहतर प्रदर्शन के लिए रणनीति बनाई जा रही है।

 

संकट से निकलने को बनाई जा रही रणनीति

 

इनेलो का सफर अब तक का ऐसा रहा

 

• 1998 में ताऊ देवीलाल के समय जन्मी इस पार्टी का इंडियन नेशनल लोकदल नाम पड़ा। 1999 में इसी नाम से चुनाव लड़ा गया। भाजपा के साथ गठबंधन किया और दोनों ने 5-5 सीटों पर चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की।

 

• 2000 में विधानसभा चुनाव इनेलो ने भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा। इनेलो ने 62, भाजपा ने 29 उम्मीदवार उतारे। इनेलो ने 47, भाजपा ने 6 सीटें जीती। ओम प्रकाश चौटाला ऽवीं बार सीएम बने। •• 2004 के चुनाव में भाजपा इनेलो का गठबंधन टूटा। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 9 और भाजपा ने एक सीट जीती। 2005 में विधानसभा चुनाव में इनेलो को

 

सिर्फ 9 सीटों पर जीत मिली। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी इनेलो कोई सीट नहीं जीत सकी। लेकिन विधानसभा चुनाव में 32 सीटों पर जीत हासिल की। इनमें एक सीट पर गठबंधन में अकाली दल का प्रत्याशी था। 2014 के लोकसभा चुनाव में

 

इनेलो ने 2 सीटें जीती। विधानसभा चुनाव में भी 19 सीटें जीत गई। 2018 में इनेलो बिखर गई। ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला व उनके बेटों ने अलग होकर जननायक जनता पार्टी बना ली। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में इनेलो को कोई सीट नहीं मिली। विधानसभा चुनाव में भी एक ही सीट मिली।

 

• लगातार दो बार ऐसा हुआ तो छिन सकता है चश्मे का निशान

 

 

 

 

 

लोस में 6% वोट व 1 सीट, विस में 6% वोट और 2 सीटें जरूरी

 

किसी भी पार्टी को लगातार दो चुनाव (लोकसभा व विधानसभा) में निर्धारित वोट नहीं मिलते हैं तो स्टेट पार्टी का दर्जा छिन जाता है। लोकसभा चुनाव में 6% वोट और एक सीट या 8% वोट की जरूरत होती है। विधानसभा में 6% वोट और दो सीटें होनी चाहिए। नियम के अनुसार अगर लगातार दो चुनाव (2 लोस व 2 विस) में ये सब नहीं होता है तो पार्टी का चुनाव चिन्ह भी छिन सकता है।

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