भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ने का बना चुकी हैं मन,कविता खन्ना

पठानकोट,बीएनएम न्यूजः गुरदासपुर लोकसभा सीट से चार बार भाजपा के सांसद रहे विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के साथ नजदीकियां बढ़ाने लगी हैं। कविता भाजपा से टिकट चाह रही थीं, लेकिन पार्टी ने यहां से सुजानपुर के तीन बार विधायक रहे दिनेश सिंह बब्बू को प्रत्याशी घोषित कर दिया।

टिकट न मिलने के बाद कविता पूरी तरह से आक्रामक हैं और दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ने का मन बना चुकी हैं। पहले आप में उनका टिकट पक्का माना जा रहा था, लेकिन बुधवार को उनके शिअद नेताओं के साथ एक कार्यक्रम में दिखने पर कयास लगाए जा रहे हैं कि वह शिअद की प्रत्याशी होंगी। शिअद को भी इस सीट से बड़े चेहरे की तलाश है। गठबंधन के चलते ढाई दशक से इस सीट पर भाजपा ही चुनाव लड़ रही थी। गठबंधन न होने के कारण पहली बार शिअद यहां से चुनाव लड़ेगा। वर्ष 2017 में विनोद खन्ना के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भी कविता को भाजपा से टिकट मिलने के कयास लगाए जा रहे थे। लंबी खींचतान के बाद पार्टी ने स्वर्ण सलारिया को मैदान में उतारा था। हालांकि, वह कांग्रेस के कद्दावर नेता सुनील जाखड़ से चुनाव हार गए थे।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कविता टिकट मांग रही थीं, लेकिन भाजपा ने अभिनेता सनी देओल को मैदान में उतारा था। पार्टी का यह निर्णय सही साबित हुआ और वह चुनाव जीत गए थे। इस बार पार्टी ने दिनेश बब्बू को टिकट देकर अभिनेता नहीं नेता पर दांव खेला है।

सलारिया ने भी की चुनाव लड़ने की घोषणा

वहीं, वीरवार को स्वर्ण सिंह सलारिया ने भी चुनाव लड़ने की घोषणा की। सलारिया ने पत्रकार सम्मेलन कर संकेत दिया है कि वे गुरदासपुर से किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। वे एक सप्ताह के भीतर इसकी घोषणा करेंगे। हालांकि, सलारिया ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे किस पार्टी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ऐसे में गुरदासपुर में मुकाबला इस बार रोचक होता दिख रहा है।

विनोद खन्ना ने तोड़ा था कांग्रेस का गढ़

अभिनेता से नेता बने विनोद खन्ना ने वर्ष 1998 में गुरदासपुर सीट जीतकर कांग्रेस का गढ़ तोड़ा था। इससे पहले कांग्रेस की सुखबंस कौर भिंडर यहां से लगातार पांच बार सांसद रहीं, लेकिन खन्ना ने उन्हें हरा दिया। विनोद खन्ना यहां से चार बार सांसद बने। वह वर्ष 1999 में दूसरी बार यहां से जीते और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में राज्य मंत्री भी बने। खन्ना 2004 में लगातार तीसरी बार गुरदासपुर से सांसद बने। इसके बाद 2009 में कांग्रेस ने प्रताप सिंह बाजवा को मैदान में उतारा। खन्ना ने उन्हें कड़ी टक्कर दी, लेकिन सिर्फ नौ हजार वोट से हार गए थे। वर्ष 2014 में बाजवा और खन्ना एक बार फिर आमने-सामने हुए। इस बार खन्ना ने बाजवा को हराकर अपना हिसाब बराबर कर लिया था।

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