Haryana News : लुवास में पशु चिकित्सकों ने किया बंदर के सफेद मोतियाबिंद का सफल ऑपरेशन, प्रदेश में पहली सर्जरी

लुवास में बंदर की आंख का ऑपरेशन करने वाली टीम। -

नरेन्द्र सहारण, हिसार : Haryana News : हिसार के लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने करंट से आंखें खो चुके एक बंदर को उसकी रोशनी लौटाई है। विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा महाविद्यालय के पशु शल्य चिकित्सा एवं रेडियोलाजी विभाग ने बंदर के मोतियाबिंद का आपरेशन किया है। यह आपरेशन विभाग में हाल ही में स्थापित पशु नेत्र चिकित्सा इकाई में किया गया। किसी बंदर के मोतियाबिंद की ये प्रदेश में पहली सर्जरी है।

करंट से चली गई थी बंदर की आंखें

मामले के अनुसार इस बंदर की करंट लगने के कारण एक आंख खत्म हो गई थी। दूसरी पर मोतियाबिंद का असर हो गया था। इससे वो अंधेपन का शिकार था। वहीं लुवास में लाए जाने के बाद बंदर के सभी प्रकार के टेस्ट किए गए। इसमें उसकी मोतियाबिंद वाली आंखे की सर्जरी होने पर रोशनी लौटने की संभावना बताई गई। इसके बाद पशु चिकित्सा महाविद्यालय हिसार के पशु शल्य चिकित्सा एवं रेडियोलाजी विभाग की टीम ने हाल ही में स्थापित पशु नेत्र चिकित्सा इकाई में इस आपरेशन का जिम्मा लिया। विभागाध्यक्ष डा. आरएन चौधरी ने बताया कि यह बंदर हांसी के मुनीष द्वारा बिजली के करंट से झुलसने के बाद बचाया गया। शुरू में उसके शरीर पर जलने के कई घाव थे। वह चलने फिरने में असमर्थ था। कई दिनों के सेवा व उपचार के बाद जब बंदर चलने लगा तो उन्होंने पाया कि बंदर अंधा है। इसके बाद तब बंदर के मालिक उपचार हेतु लुवास के सर्जरी विभाग में लाए।

बेहद कम खर्च में सुविधा

पशु नेत्र चिकित्सा इकाई में जांच के उपरांत डा. प्रियंका दुग्गल ने पाया कि बंदर के दोनों आंखों में सफेद मोतिया हो गया था। एक आंख में विट्रस भी क्षतिग्रस्त हो चुका था। अतः दूसरी आंख जिसमें मोतियाबिंद था उसकी सर्जरी की गई थी। इस सर्जरी के पश्चात बंदर देखने लग गया। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की सर्जरी में प्राइवेट संस्थान में 25 हजार रुपये तक खर्च आ जाता है। मगर लुवास में इलाज करवाने पर एक हजार रजिस्ट्रेशन फीस के अलावा दवाईयों का पैसा लगता है। पशु शल्य चिकित्सा एवं रेडियोलाजी विभाग में बंदर के अलावा कुत्तों की सर्जरी की जाती है। अभी तक पांच से छह कुत्तों के आपरेशन टीम कर चुकी है। इसके अलावा अन्य जानवरों के आंख का इलाज भी करवाया जा सकता है।

पहले ऐसे केस अन्य संस्थान में किए जाते थे रेफर

यदि किसी को अपने पशु की आंख का आपरेशन करवाना होता था तो पशु प्रेमी उसे लेकर पंजाब के गड़वासू या गुरुग्राम जाते थे। पंजाब में सरकारी रेट पर पशु का इलाज हो जाता था। मगर गुरुग्राम में निजी क्लीनिक में इसका इलाज होता था। इस लिए पैसा भी अधिक लगता था।

हांसी के मुनीश ने बचाई थी बंदर की जान

हांसी में पिछले दिनों बंदर को करंट लग गया था। उसे मुनीश ने बचाया और उसकी सेवा की। उसको आंखों की रोशनी जाने का पता चला तो वह उसे 28 मई को लुवास के चिकित्सकों के पास लेकर पहुंचे। बंदर की आंखों का अल्ट्रासाउंड हुआ और उसमें मोतियाबिंद की पुष्टि हुई। टीम ने अब उसका आपरेशन किया। मुनीश ही उसको अपने पास गोशाला में रखे हुए है।

सर्जरी के बाद बंदर की रोशनी लौटी

लुवास के कुलपति प्रो. (डा.) विनोद कुमार वर्मा ने कहा कि बंदर की आंख की सर्जरी के बाद उसकी रोशनी लौटी है। प्रदेश में सरकार चिकित्सा संस्थान में ये पहला ऐसा प्रयास था। लुवास अब जीव जंतुओं के लिए बेहतर चिकित्सा के आयमा स्थापित कर रहा है।

 

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