योगी सरकार का प्रयास: छोटी गण्डक नदी पुनर्जीवित, ग्रीष्म ऋतु में राप्ती नदी से 33 गांवों को लाभ

लखनऊ, बीएनएम न्यूजः  योगी सरकार द्वारा विलुप्त होती नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रयास सफल होते दिख रहे हैं, विशेषकर छोटी गण्डक नदी के मामले में। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सिंचाई विभाग ने गुर्रा नदी के ढाल को कम करके गर्मियों में राप्ती नदी में निरंतर प्रवाह बनाए रखा है।

जिससे गोरखपुर के 27 और देवरिया के 6 गांवों सहित कुल 33 गांवों की लगभग 60 हजार की आबादी और वहां के पशु-पक्षियों को लाभ मिल रहा है। प्रदेश में मृतप्राय हो चुकी नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए योगी सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है। इस दिशा में गाजियाबाद की हिंडन, मुरादाबाद की रामगंगा और वाराणसी की असि नदी को पुनर्जीवित करने के लिए कार्यवाही तेज कर दी गई है। लखनऊ में कुकरैल नदी को पुनर्जीवित करने के लिए हाल ही में सरकार ने अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने का कड़ा कदम उठाया है।

छोटी गंडक नदी का पुनर्जीवन, भूजल स्तर बढ़ाने की सफल पहल

प्रदेश सरकार में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप सिंचाई विभाग ने छोटी गंडक नदी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास किए हैं। इस क्रम में नदी के सेक्शन की पुनर्स्थापना का कार्य शुरू किया गया है। नदी को अपने मूल स्वरूप में लाने की प्रक्रिया के दौरान ही भूजल स्तर नदी में आने लगा, जिससे सिंचाई विभाग की पहल कारगर और सफल साबित हुई। उन्होंने बताया कि छोटी गंडक एक घुमावदार भूजल आधारित नदी है।

जो नेपाल के परसौनी जनपद-नवलपरासी से निकलकर भारत में महराजगंज जिले के लक्ष्मीपुर खुर्द ग्राम सभा में प्रवेश करती है। यह नदी महराजगंज, कुशीनगर, और देवरिया जिलों में 250 किमी की लंबाई में बहती हुई अंततः बिहार के सीवान जिले के गोठानी के पास घाघरा नदी में मिल जाती है। छोटी गंडक के भारत में प्रवेश करने के बाद के प्रारंभिक लगभग 10 किमी की लंबाई में इसका अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका था, जिसके कारण नदी का सेक्शन पूरी तरह से सिल्टेड और संकुचित होकर कृषि कार्य के लिए इस्तेमाल होने लगा था। इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए तेजी से कार्य किया गया है। छोटी गंडक नदी को पुनर्जीवित करने से भूजल स्तर को भी बढ़ाने में मदद मिली है।

गुर्रा नदी से बाढ़ नियंत्रण और जन-जीवन की सुरक्षा

इसके अलावा, गुर्रा नदी से बाढ़ के समय होने वाली क्षति को कम करके गोरखपुर के 20 और देवरिया के 6 गांवों सहित कुल 26 गांवों की 35 हजार आबादी को सुरक्षित करने का भी सराहनीय कार्य किया गया है। बता दें कि गुर्रा नदी का उद्गम स्थल गोरखपुर जनपद में स्थित राप्ती नदी से है, जो ग्राम रूदाइन मझगंवा (तहसील बाँसगांव) और ग्राम सेमरौना (तहसील चौरी चौरा) के पास है। चूँकि उद्गम स्थल से गुर्रा नदी का ढाल राप्ती नदी के ढाल से अधिक है, बाढ़ और ग्रीष्म ऋतु में पानी का बहाव समानुपातिक नहीं होता। इस कारण बाढ़ के समय गुर्रा नदी से भारी तबाही की सम्भावना रहती थी, जबकि ग्रीष्म ऋतु में राप्ती नदी के सूख जाने से आबादी, पशु-पक्षियों और जीव-जन्तुओं को कृषि कार्य और पीने का पानी नहीं मिलने से जन-जीवन प्रभावित होता था।

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