हाई कोर्ट ने कहा, शादी के बाद शारीरिक संबंध स्थापित न करना पति के साथ क्रूरता
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जबलपुर, बीएनएम न्यूज : पति- पत्नी के सबंधों को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। हाई कोर्ट ने कहा कि शारीरिक संबंध स्थापित न करना पति के साथ क्रूरता है। हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अमरनाथ केशरवानी की युगलपीठ ने सतना के कुटुम्ब न्यायालय द्वारा पारित तलाक के आदेश को उचित निरूपित कर, उसके खिलाफ महिला की ओर से दायर अपील निरस्त कर दी।
हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि पति-पत्नी दोनों पिछले कई वर्ष से अलग-अलग रह रहे हैं। यदि दंपती के मध्य अलगाव काफी समय तक अनवरत रहता है तो उस स्थिति में दोनों में से कोई एक तलाक की याचिका दायर करता है, तो तय हो जाता है कि वह विवाह टूट गया है।
विवाह के 3 दिन बाद सुसराल से मायके चली गई महिला
सीधी जिले की निवासी महिला की ओर से सतना के कुटुम्ब न्यायालय द्वारा जारी किए गए तलाक के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी। अपील की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की युगलपीठ ने पाया कि दोनों पक्षकारों का विवाह 26 मई, 2013 को हिंदू रीति-रिवाज से हुआ था। विवाह के तीन दिन बाद ही महिला सुसराल से मायके चली गई। ससुराल पक्ष वाले उसे लेने गए तो वह नहीं गई। पुलिस थाने में भी महिला ने ससुराल जाने से इन्कार कर दिया।
पति को पसंद नहीं करती है पत्नी
पति ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक के लिए कुटुम्ब न्यायालय सतना में आवेदन किया। पति की ओर से तर्क दिया गया कि शादी के बाद महिला ससुराल में सिर्फ तीन दिन ही रुकी। इस दौरान उनके बीच शारीरिक संबंध स्थापित नहीं हुए थे। महिला का कहना था कि वह पति को पसंद नहीं करती है, स्वजनों के दबाव में उसने शादी की। कुटुम्ब न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 17 अगस्त, 2021 को तलाक की डिक्री जारी कर दी। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद कुटुम्ब न्यायालय द्वारा पारित आदेश को उचित ठहराते हुए महिला की ओर से दायर अपील निरस्त कर दी।
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