Paris Olympics 2024: एक ओलिंपिक में तीसरा पदक जीतने से एक कदम दूर मनु भाकर को खाने में चाहिए यह व्यंजन

मनु भाकर पदक के साथ।

नरेन्द्र सहारण, झज्जर : Paris Olympics 2024: एक ओलिंपिक में तीसरा पदक जीतने से मात्र एक कदम दूर मनु भाकर पूरी तरह अपने लक्ष्य पर केंद्रित हैं। ओलिंपिक की शुरुआत से पहले उन्होंने कहा था, वह तीन इवेंट में हिस्सा ले रही हैं और सभी पर पूरा फोकस है। ऐसा ही उनके प्रदर्शन में देखने को भी मिला है। पहली दोनों स्पर्धाओं में कांस्य पदक जीत चुकी मनु का शुक्रवार को 25 मीटर एयर पिस्टल के प्रीसिजन और रेपिड राउंड में शानदार प्रदर्शन रहा। सभी को उम्मीद है कि शनिवार को वह अपने फाइनल राउंड में पदक का रंग बदलने के लिए निशाना साधेगी। अपने असाधारण कौशल और दृढ़ संकल्प के प्रदर्शन के साथ मनु को इन दिनों सबसे ज्यादा मां के हाथ का आलू का परांठा खाने का मन कर रहा है। बातचीत में मां सुमेधा भाकर बताती हैं कि मनु को आलू के परांठे पसंद हैं, जबकि पेरिस में ड्राई-फ्रूट, जूस, ब्रोकली, गोभी और दूसरी चीजें खानी पड़ रही हैं। पारंपरिक भारतीय भोजन के प्रति उनका प्यार ज्यादा है। मनु की नानी का भी कहना है कि वह ताजे घर के मक्खन के साथ बेटी को उसका मन पसंद भोजने परोसने का इंतजार कर रही है। वैसे जब वह पिछली दफा आई थी तो बाजरे की रोटी और मक्खन उसने शौक के साथ खाया था।

बड़े भाई की जिम्मेदारी, मनु को करवाएं स्ट्रेस फ्री

मनु भाकर अपने करियर में लगातार आगे बढ़ रही हैं और दुनिया भर के इन दिनों महत्वाकांक्षी एथलीटों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं। उनकी यात्रा कड़ी मेहनत, समर्पण और उत्कृष्टता के लिए उनके अदम्य जुनून का प्रमाण है। इस युवा स्टार के इस मुकाम तक पहुंचने के लिए परिवार जिस तरह से मेहनत करता है, वह इस बात से पता चलता है कि ला की परीक्षा दे रहे बड़े भाई अखिल की विशेष जिम्मेदारी यह कि वह मनु को रोजाना स्ट्रेस फ्री करवाएं। मां सुमेधा की तरफ से उसकी ड्यूटी लगाई गई है कि वह मनु से व्हाटसएप पर संपर्क में रहते हुए मनोस्थिति बेहतर बनाए रखने में योगदान दें। कारण कि दोनों भाई-बहन में काफी अच्छी बांडिंग है।

खेल को लेकर मनु से घर का कोई सदस्य बात नहीं करता

अपने करियर तक को दांव पर रखते हुए करीब तीन साल तक मनु के साथ प्रतियोगिताओं में जाने वाले पिता रामकिशन भाकर को पूरा विश्वास है कि बेटी नया इतिहास लिखेगी। पिता बताते हैं कि खेल को लेकर परिवार उससे कोई बातचीत नहीं करता और न ही किसी तरह की प्रतिक्रिया देते हैं। यह पूरा कार्य, कोच जसपाल राणा एवं अन्य टीम पर निर्भर है। परिवार तो सिर्फ मनोबल बनाए रखने और वास्तविक खेल दिखाने की बात कहता है। वे बताते हैं कि करीब साढ़े आठ साल की मेहनत और देश वासियों की शुभकामनाओं का यह परिणाम है, जो टोक्यो ओलिंपिक में मिली निराशा से आगे कदम बढ़ाते हुए मनु बेहतर प्रदर्शन कर रही है।

 

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