Haryana Assembly Election 2024: शहर में पिछड़ती है कांग्रेस, लेकिन गांवों में बढ़त लेकर बाजी मार ले जाती है

नरेन्द्र सहारण, गोहाना: Haryana Assembly Election 2024: विधानसभा चुनावों में गोहाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस शहर में पिछड़ जाती है, लेकिन गांवों में बढ़त लेकर बाजी मार ले जाती है। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां ऐसे ही राजनीतिक समीकरण बने। इस बार भी कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए गांवों के साथ शहर के मतदाताओं पर फोकस कर रही है। दूसरी तरफ भाजपा इस सीट को कांग्रेस से छीनने के लिए शहर के साथ गांवों से भी वोट लेने की फिराक में है।

भाजपा टक्कर देने लगी

वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने से पहले गोहाना विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक हालात अलग थे। पहले यहां पर कांग्रेस, इनेलो, हविपा, लोकदल के उम्मीदवारों के बीच टक्कर होती थी, जबकि भाजपा अपनी जमानत नहीं बचा पाती थी। अब तक यहां पर भाजपा का खाता नहीं खुला है। 10 वर्ष पहले केंद्र और उसके बाद हरियाणा में भाजपा की सरकार बनने के बाद यहां पर भाजपा टक्कर देने लगी है।

2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गोहाना विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग के बड़े चेहरे रामचंद्र जांगड़ा को मैदान में उतारा था। वे रोहतक जिले में महम के रहने वाले हैं। कांग्रेस से जगबीर सिंह मलिक और इनेलो से डा. केसी बांगड़ मैदान में उतरे थे। जांगड़ा इस चुनाव में 28,365 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। उनको अकेले गोहाना शहर से लगभग कांग्रेस व इनेलो के बराबर लगभग 12,500 वोट मिले थे, लेकिन वे गांवों में ज्यादा वोट नहीं ले पाए थे। इसके चलते वे चुनाव हार गए थे।

गांवों में बढ़त बनाकर जीती

कांग्रेस को गांवों से अच्छे वोट मिले थे, जिससे जगबीर सिंह मलिक 3,228 वोट के अंतर से जीते थे। इस चुनाव में इनेलो को भी गांवों से ठीकठाक वोट मिले थे, जिसके चलते डा. बांगड़ दूसरे स्थान पर रहे थे। 2019 में कांग्रेस से जगबीर सिंह मलिक, भाजपा से तीर्थ राणा, जजपा से कुलदीप मलिक व इनेलो से ओमप्रकाश गोयल मैदान में आए। राजनीतिक हालात भांप कर पिछड़ा वर्ग से बड़े चेहरे लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के सुप्रीमो राज कुमार सैनी भी यहां से मैदान में कूद पड़े थे। सैनी अंबाला के रहने वाले हैं लेकिन कुरुक्षेत्र से राजनीति करते हैं। वे कुरुक्षेत्र से सांसद भी रह चुके हैं।

सैनी पिछड़ते चले गए

 

सैनी को उम्मीद थी कि पिछले चुनाव में जिस तरह से रामचंद्र जांगड़ा को बाहरी होने के बाद गोहाना में पिछड़ों के अच्छे वोट मिले थे, उसी तरह से उनको भी वोट मिलेंगे और वे चुनाव जीत जाएंगे। इस चुनाव में सैनी गोहाना शहर से अकेले 13400 से अधिक वोट ले गए थे, जबकि कांग्रेस से मलिक को शहर में उनसे से आधे भी कम वोट मिले थे। मतगणना के समय सैनी लंबे समय तक आगे रहे। लेकिन जैसे-जैसे ग्रामीण क्षेत्र की ईवीएम खुलती गई वैसे-वैसे सैनी पिछड़ते चले गए और मलिक जीत की तरफ अग्रसर होते गए। अंत में कांग्रेस से मलिक ने 4,152 वोट के अंतर से चुनाव जीता था। 2014 व 2019 के चुनाव में कांग्रेस शहर से पिछड़ी लेकिन गांवों में बढ़त बनाकर जीती।

इस बार भाजपा की गांवों से अच्छे वोट लेने की कोशिश

 

भाजपा इस बार चुनाव में शहर में अपने वोट बैंक को बरकरार रखते हुए गांवों में भी अच्छे वोट लेने की कोशिश करेगी। भाजपा ऐसे ही चेहरे पर दांव लगाना चाहती है जो शहर के साथ गांवों से भी अच्छी वोट ले सके। भाजपा सभी तरह के समीकरणों को ध्यान में रखकर मजबूत प्रत्याशी को मैदान में लाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस भी इस बार शहर में अपने वोट बैंक को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को गोहाना शहर से ठीक वोट मिले थे।

2014 का चुनाव परिणाम

पार्टी—प्रत्याशी—प्राप्त वोट

कांग्रेस—जगबीर सिंह मलिक—41,393
इनेलो—-डा. केसी बांगड़— 38,165
भाजपा—रामचंद्र जांगड़ा—28,365

2019 का चुनाव परिणाम

कांग्रेस—जगबीर सिंह मलिक—39,531
लोसुपा—राजकुमार सैनी—35,379
भाजपा—तीर्थ राणा—26,972

 

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