जौनपुर में पंचायत में मृत्यु भोज के आयोजन का बहिष्कार, ज्यादातर लोगों के लिए बन गई मजबूरी
जौनपुर, बीएनएम न्यूज। Jaunpur News: जौनपुर के एक गांव से एक अजीबोगरीब खबर सामने आई है, जहां ग्रामीणों ने बैठक करके तेरहवीं भोज की परंपरा को समाप्त करने का फैसला किया है। इस निर्णय के पीछे का तर्क है कि यह परंपरा फिजूलखर्ची है और इससे मृतक की आत्मा को कोई लाभ नहीं मिलता, बल्कि यह मृतक के परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ा देती है।
मृत्युभोज का आयोजन नहीं होगा
यह मामला विकास खंड जलालपुर के रामपुर सोइरी गांव का है, जहां रविवार की सुबह ग्राम प्रधान के घर हुई बैठक में ग्रामीणों ने मृत्युभोज की परंपरा के बहिष्कार का निर्णय लिया। बैठक में उपस्थित सभी ने सहमति जताई कि अब से गांव में कोई भी परिवार मृत्युभोज का आयोजन नहीं करेगा और न ही ऐसे आयोजनों में शामिल होगा।
ग्रामीणों और समाज के हित में फैसला
गांव के लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया और उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय ग्रामीणों और समाज के हित में लिया गया है। कई वरिष्ठ नागरिकों का मानना है कि यह परंपरा बहुत पहले ही समाप्त हो जानी चाहिए थी। उनका कहना है कि मृत्युभोज शास्त्रसम्मत नहीं है और यह दिखावे की परंपरा बन गई है, जो गरीब परिवारों को कर्जदार बना रही है।
जरूरतमंदों की मदद में खर्च करें
गांव के कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि अगर किसी को दान या कुछ अच्छा करने की इच्छा है, तो वह मृत्युभोज में खर्च करने के बजाय गरीबों की बेटियों की शादी में या अन्य जरूरतमंदों की मदद में खर्च करें।
बैठक में प्रधान पति अजय पटेल, अवधेश पटेल, जयप्रकाश सिंह, श्याम किशोर शुक्ला, त्रिभुवन सिंह, विकास सिंह, दशरथ, श्रवण पटेल और गांव के सैकड़ों लोग उपस्थित थे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस निर्णय का गांव में परंपरा पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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