Sonia Doohan: जानें कौन हैं सोनिया दूहन, जो नरनौंद में हरियाणा कांग्रेस के मंच पर छेड़खानी शिकार हुईं

महिला नेता सोनिया दूहन
नरेन्द्र सहारण, नरनौंद : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) छोड़कर पिछले दिनों कांग्रेस में शामिल हुई महिला नेता सोनिया दूहन (Sonia Doohan) के साथ कांग्रेस उम्मीदवार जस्सी पेटवाड के कार्यक्रम में अभद्रता की गई। सोनिया दूहन नई दिल्ली में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हुई थी। जिस जस्सी पेटवाड के कार्यक्रम में सोनिया दूहन के साथ अभद्रता की गई, उन्हीं के समर्थकों ने पिछले दिनों कांग्रेस की वरिष्ठ दलित नेता कुमारी सैलजा के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणियां की थी, जिसके बाद सैलजा नाराज होकर चुनाव प्रचार करने नहीं निकली थी।
तब पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कहना पड़ा था कि सैलजा हमारी बहन और सम्मानित हैं। उनके बारे में आपत्तिजनक बातें बोलने वाले की कांग्रेस में कोई जगह नहीं है। सोनिया दूहन शरद पवार की पार्टी में थी लेकिन अब कांग्रेस में है और जस्सी की सगी भतीजी हैं। सोनिया दूहन ने कहा है कि अपने साथ हुई अभद्रता पर वह चुप नहीं बैठेंगी।
कांग्रेस के मंच पर अभद्रता
तीन अक्टूबर की वायरल वीडियो के मुताबिक जस्सी पेटवाल सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का अभिनंदन कर रहे हैं। तभी मंच पर मौजूद सोनिया दूहन सांसद का अभिनंदन करती हैं और सांसद उन्हें जवाब भी देते हैं। इसके बाद दीपेंद्र दूसरी तरफ किसी नेता से बात करने लगते हैं। तभी मंच पर खड़ा एक व्यक्ति अपना हाथ बढ़ाकर महिला नेता के साथ अभद्रता करता है। बगल में खड़ा दूसरा व्यक्ति पहले को ऐसी अभद्रता करने से रोकता है और नाराजगी जताता है।
एक किसान महिला कांग्रेस नेत्री के साथ कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के सामने, भरी सभा में, खुले मंच पर, छेड़छाड़ की जाती है और कांग्रेस के नेताओं ने इस पर चुप्पी साधी हुई है।
किसान संगठनों में इसको लेकर कांग्रेस के प्रति बहुत ग़ुस्सा है। pic.twitter.com/epDISso5Sw
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 5, 2024
दोनों आरोपियों की हुई पहचान
कांग्रेस नेत्री सोनिया दूहन ने कहा कि कार्यक्रम के मंच पर दो लोगों ने अभद्रता की थी। इनमें एक जस्सी पेटवाड का समर्थक और एक रिश्तेदार है। दोनों की पहचान हो चुकी है। उनके विरुद्ध कार्रवाई के प्रारूप पर कानूनविदों से चर्चा की जा रही है और साथ ही वे इस मामले को पार्टी में भी लेकर जाएंगी। उन्होंने कहा कि ऐसे तो पार्टी में कोई भी महिला सुरक्षित नहीं रह सकती। वह पार्टी प्लेटफार्म के साथ जरूरत पड़ने पर पुलिस में भी कार्रवाई के लिए आगे आएंगी। सोनिया के अनुसार वे पिछले तीन दिनों से सिर्फ इसलिए चुप थीं कि चुनाव का समय है और वे इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहती थी, लेकिन अब मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसलिए अपने साथ हुई अभद्रता को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं कर सकती।
एनसीपी में पावरफुल लेडी रही हैं सोनिया दूहन
बीएससी पास हिसार की सोनिया दुहन का पायलट बनने का सपना पिता की मौत के बाद अधूरा रह गया। पुणे में रहते हुए वह एनसीपी के संपर्क में आईं। वह एनसीपी के छात्रसंघ का हिस्सा रहीं। 21 साल की उम्र में राजनीति में आ गई। दिल्ली यूनिवर्सिटी से लेकर यूथ एनसीपी की पालिटिक्स कर रही सोनिया को शरद पवार ने दिल्ली में एनसीपी हेडक्वार्टर का चार्ज दे दिया था। दिल्ली विश्वविद्यालय में हुए दो चुनावों में एनसीपी छात्र शाखा का सफलतापूर्वक नेतृत्व करने के बाद सोनिया दुहन को उस भूमिका के लिए नियुक्त किया गया था।
सोनिया ने 2019 में महाराष्ट्र के एनसीपी के चार विधायकों को भाजपा से अलग करने का कारनामा किया था। अजित पवार को साथ लेकर भाजपा ने एनसीपी विधायकों को तोड़ने की कोशिश की थी। यह उस दौर की कहानी है जब अजित पवार बीजेपी से मिलकर सुबह-सुबह कुछ घंटों के लिए डिप्टी सीएम बन गए थे।
एनसीपी के लिए बनी थीं संकटमोचन
सोनिया दुहन सबसे ज्यादा चर्चा में 2019 में आई थीं। उन्होंने गुरुग्राम के ओबरॉय होटल से एनसीपी के चार विधायकों को निकाल लिया था। ये विधायक अजित पवार की बगावत के बाद बीजेपी के साथ जाने की तैयारी में थे। चार विधायकों दौलत दरोदा, नरहरि जिरवाल, नितिन पवार और अनिल पाटिल पर 150 बीजेपी कार्यकर्ता नजर रख रहे थे। इसके बावजूद वो अपने विधायकों को वहां से निकालने में कामयाब रहीं।
खेती-बाड़ी भी संभालती हैं सोनिया
सोनिया दुहन ज्यादातर गुरुग्राम में रहती हैं और अधिकतर दिल्ली की राजनीति से जुड़े रहते हैं। हिसार के पेटवाड़ गांव के किसान परिवार से आने वाली सोनिया खेती-बाड़ी भी संभालती हैं। इसके साथ ही गांव और आसपास के इलाके में वह बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम से भी जुड़ी हुई हैं। सोनिया हफ्ते में तीन दिन अपने गांव भी जाती हैं।
मुंह पर क्यों लगा ताला : नायब सैनी
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सोनिया दूहन के साथ हुई अभद्रता पर कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कभी दलितों, महिलाओं, ओबीसी व युवाओं का सम्मान नहीं किया है। जब किसी महिला कार्यकर्ता का अपमान होता है तो लड़की हूं, लड़ सकती हूं का नारा देने वाले इन कांग्रेस नेताओं के मुंह पर ताला लग जाता है।
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