Kashi Vishwanath Prasad: काशी विश्वनाथ में अब मिलेगा भोले बाबा का दिव्य प्रसादम, प्रसाद में होगा बेलपत्र का स्वाद, जानें- इसके बारे में

वाराणसी, बीएनएम न्यूजः  काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रसादम की नई व्यवस्था लागू कर दी गई है। अब बाबा विश्वनाथ पर चढ़ाए गए बेलपत्र और चावल के आटे से बने लड्डू भक्तों को प्रसाद स्वरूप में मिलेंगे। विजयादशमी के महापर्व से इसकी शुरुआत हो गई है। बाबा का यह प्रसादम अमूल बनास डेयरी द्वारा बनाया जा रहा है।

शनिवार को भोग आरती में पहली बार बाबा विश्वनाथ को यह खास प्रसाद चढ़ाकर इसकी शुरुआत की गई है। बाबा विश्वनाथ के इस नए प्रसाद की रेसिपी पूरी तरह से शास्त्रोक्त है। विद्वानों से चर्चा के बाद अलग-अलग मानकों पर इसकी जांच के लगभग 10 महीने में इस नए प्रसाद की रेसिपी को मंदिर ट्रस्ट ने फाइनल किया है।

40 से 50 सैंपलिंग के बाद हुआ तैयार

वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने बताया कि इस नए प्रसाद के 40 से 50 सैंपल्स तैयार किए गए थे। जिनकी टेस्टिंग के बाद सभी चीजों का उचित मिश्रण देखकर इस प्रसाद को फाइनल किया गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रसाद में बाबा विश्वनाथ पर चढ़ाए गए बेलपत्र के चूर्ण का भी प्रयोग किया गया है, जिसका रंग आपको इस लड्डू प्रसादम में भी दिखाई देगा।

इन सामग्रियों का हो रहा उपयोग

बेलपत्र के अलावा, काली मिर्च, लौंग, देशी घी और चावल के आटे से इस लड्डू प्रसादम को तैयार किया जा रहा है। खास बात यह है कि यह चावल बनास डेयरी द्वारा फार्मिंग किया जा रहा है। इसके अलावा, इसमें प्रयोग होने वाला शुद्ध घी यूपी के किसानों द्वारा उत्पादित किया गया है।

सख्त है प्रसाद बनाने का नियम

बताया जा रहा है कि बाबा विश्वनाथ के प्रसाद को बनाने का नियम काफी सख्त है। इसे बनाने के लिए मंदिर प्रबंधन ने कई शर्तें भी रखी हैं। जो शर्तें रखी गईं हैं उनमें साफ कहा गया है कि बाबा का प्रसादम सिर्फ हिंदू कारीगर ही बनाएंगे। साथ ही सभी धार्मिक मान्यताओं और नियमों को ध्यान में रखकर ही प्रसादम बनेगा। जो भी कारीगर प्रसादम बनाएंगे उनका स्नान करना अनिवार्य होगा। ऐसे वक्त में ये मामला सामने आया है, जब तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम की गुणवत्ता और उसमें मिलावट की खबरें सामने आईं। फिर उनकी सख्ती से जांच हो रही है।

महीनों पहले हुआ था ऐलान

वैसे मंदिर प्रबंधन ने ये फैसला तत्काल प्रभाव से नहीं लिया है, बल्कि करीब 10 महीने पहले श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने अपना प्रसादम बनाने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद काम शुरू हुआ और विद्वानों की प्रसादम बनाने की तैयारियों में जुट गई। प्रसादम बनाने के लिए पुराणों का अध्ययन किया गया। फिर चावल के आटे से प्रसादम बनाने का निर्णय लिया गया। इस फैसले पर विद्वानों का कहना है कि धान भारतीय फसल है। इसका जिक्र पुराणों में है। भगवान कृष्ण और सुदामा के संवाद में भी चावल का जिक्र है।

कैसे बना बाबा के लिए प्रसादम?

अध्ययन करने वाले विद्वानों की मानें तो भोलेनाथ को चावल के आटे का भोग लगता था। वहीं, शिव पूजन में बेल पत्र का भी अपना ही महत्व है, इसलिए बाबा विश्वनाथ को जो बेल पत्र चढ़या जाता है उसे जुटाया गया, फिर उस बेल पत्र को धुलकर साफ किया गया। जब ये बेल पत्र सूख गया तो इसके बाद बेलपत्र का चूर्ण तैयार किया गया। जब ये बेल पत्र का चूर्ण तैयार हो गया तो इसे प्रसादम में मिलाया गया।

किसे मिली प्रसादम की जिम्मेदारी?

अमूल कंपनी को बाबा विश्वनाथ के लिए प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिसके बाद मंदिर प्रबंधन के नियमों और शर्तों को ध्यान में रखकर कंपनी ने दस दिनों का प्रसादम बना दिया है। बाबा के इस प्रसादम को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्था से भी मंजूरी मिल गई है। जिसके बाद अब बाबा विश्वनाथ को अपना प्रसादम चढ़ने लगा है।

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