नेता विपक्ष के चुनाव से पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिखाई ताकत, अपने नई दिल्ली आवास पर जुटाए 32 विधायक
नरेन्द्र सहारण, नई दिल्ली/चंडीगढ़: Haryana Congress: हरियाणा विधानसभा चुनावों में अप्रत्याशित नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर अब विपक्ष के नेता के पद को लेकर घमासान मच गया है। पार्टी में नेता प्रतिपक्ष के चयन की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इससे पहले ही अंदरूनी खींचतान और शक्ति प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मसले पर अपनी मजबूत दावेदारी जताते हुए विधायकों का समर्थन जुटाने की कोशिश की है।
हुड्डा का शक्ति प्रदर्शन
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन करने के लिए बुधवार को नई दिल्ली स्थित अपने निवास पर एक बैठक बुलाई। इस बैठक में कांग्रेस के 37 विधायकों में से 32 विधायक शामिल हुए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी के अंदर हुड्डा का प्रभाव अब भी बरकरार है। इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान भी मौजूद थे, जिससे हुड्डा खेमे की स्थिति और मजबूत हो गई है।
बैठक में शामिल विधायकों में निर्मल सिंह, कुलदीप वत्स, गोकुल सेतिया, डॉ. रघुबीर कादियान, भारत भूषण बत्रा, जस्सी पेटवाड़, अशोक अरोड़ा, बलवान सिंह दौलतपुरिया, भरत बेनीवाल, मामन खान, मोहम्मद इलियास, आफताब अहमद, मोहम्मद इजरायल, रघुबीर सिंह तेवतिया, विकास सहारण, राजबीर फरटिया, शकुंतला खटक, विनेश फोगाट, गीता भुक्कल, पूजा चौधरी, मंजू चौधरी, रामकरण काला, मनदीप सिंह चट्ठा, देवेंद्र हंस, इंदुराज सिंह नरवाल, जरनैल सिंह, शीश पाल केहरवाला, चंद्र प्रकाश, नरेश सेलवाल और बलराम दांगी शामिल थे। इन विधायकों की उपस्थिति ने हुड्डा के समर्थन की ताकत को और स्पष्ट कर दिया।
#WATCH | Congress MLA from Julana, Vinesh Phogat leaves from the residence of party leader & former CM Bhupinder Singh Hooda, in Delhi after meeting him. pic.twitter.com/47mtqwRTpn
— ANI (@ANI) October 16, 2024
कुमारी सैलजा का विरोध
हुड्डा के समर्थन में विधायकों की बड़ी संख्या में मौजूदगी के बावजूद, पार्टी के अंदर विपक्ष के नेता पद को लेकर विरोध भी जारी है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और महासचिव कुमारी सैलजा, जो खुद भी इस पद की दावेदार हैं, अपने खेमे के विधायकों और कार्यकर्ताओं को लामबंद कर रही हैं। सैलजा के समर्थक माने जाने वाले विधायकों में आदित्य सुरजेवाला, रेणु बाला, शैली चौधरी, चंद्रमोहन बिश्नोई और अकरम खान शामिल हैं, जो हुड्डा की बैठक में शामिल नहीं हुए।
सैलजा अपने समर्थकों के साथ फील्ड में सक्रिय हैं और विधानसभा चुनाव में हार चुके नेताओं और कार्यकर्ताओं को सांत्वना देकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर रही हैं। उनका मकसद हुड्डा के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना और पार्टी के भीतर अपनी स्थिति को मजबूत करना है।
विधायक दल के नेता के चयन की प्रक्रिया
कांग्रेस विधायक दल के नेता का चयन शुक्रवार को चंडीगढ़ में होने वाली विधायकों की बैठक में होगा। इस बैठक की अध्यक्षता करने के लिए पार्टी ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वरिष्ठ नेता अजय माकन और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। ये पर्यवेक्षक विधायक दल के नेता के चयन की प्रक्रिया की निगरानी करेंगे और इस पर अंतिम फैसला लेंगे।
हालांकि, कांग्रेस में अभी भी अंदरूनी खींचतान जारी है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी के सामने इस्तीफे की पेशकश की थी, जिससे प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है। इसी तरह, भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी नेता प्रतिपक्ष के पद से दावेदारी न करने का दबाव है, हालांकि हुड्डा इस पद के लिए प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं।
किसके नाम की चर्चा?
विधायक दल के नेता के पद के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं। हुड्डा खेमे से गीता भुक्कल, आफताब अहमद और अशोक अरोड़ा के नाम चर्चा में हैं। दूसरी ओर, कुमारी सैलजा के खेमे ने चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे बढ़ाया है। इन दोनों खेमों के बीच हो रही खींचतान के कारण पार्टी आलाकमान पर भी दबाव बढ़ गया है कि वह इस मामले में उचित निर्णय लें।
अगली रणनीति
हुड्डा खेमे की ओर से ताकत का प्रदर्शन और सैलजा खेमे की ओर से चल रही सक्रियता से साफ है कि कांग्रेस के भीतर विपक्ष के नेता के चयन को लेकर एक सशक्त प्रतिस्पर्धा चल रही है। हालांकि, पार्टी आलाकमान को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस खींचतान के बावजूद पार्टी की एकता बनी रहे और विधानसभा में प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाई जा सके।
कांग्रेस के लिए यह समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि विपक्ष का नेता वही होगा जो पार्टी की अगुवाई कर राज्य में सरकार को चुनौती दे सकेगा। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और पर्यवेक्षक क्या फैसला लेते हैं और कौन नेता इस महत्वपूर्ण पद पर काबिज होता है।
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