Kaithal News: कैथल जिले में पराली जलाने पर प्रशासन की सख्ती, किसानों के विरोध के बीच जुर्माना और गिरफ्तारियां

नरेन्द्र सहारण, कैथल। Kaithal News: कैथल जिले में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ जिला प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। अब तक 68 किसानों के नाम रेड एंट्री में दर्ज किए जा चुके हैं और 16 किसानों को गिरफ्तार भी किया गया है। हालाँकि, पुलिस ने सभी किसानों को गिरफ्तारी के तुरंत बाद जमानत पर छोड़ दिया। जिले में पराली जलाने के कुल 127 मामले दर्ज हो चुके हैं और इसके तहत करीब 2 लाख 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

पराली जलाने के मामलों में गिरावट

 

जिले में प्रशासन की सख्ती के चलते पराली जलाने के मामलों में धीरे-धीरे गिरावट देखी जा रही है। सोमवार और मंगलवार को लगातार दूसरे दिन पराली जलाने का कोई नया मामला सामने नहीं आया। कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. बाबू लाल ने बताया कि प्रशासन लगातार किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक कर रहा है। इसके तहत 68 किसानों के नाम रेड एंट्री में दर्ज कर उन्हें पोर्टल पर चढ़ाया जा चुका है। इसके बावजूद कुछ किसान आदेशों का उल्लंघन कर पराली जला रहे हैं, जिसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।

किसानों के विरोध प्रदर्शन

 

रेड एंट्री के विरोध में मंगलवार को किसानों ने गुहला-चीका में तहसीलदार कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। किसानों का आरोप है कि प्रशासन उन्हें परेशान कर रहा है और खेती को लेकर उनकी परेशानियों की अनदेखी की जा रही है। भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान संगठनों ने इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और प्रशासन के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर किया। किसानों ने प्रशासन से फसल अवशेषों के निपटान के लिए वैकल्पिक उपाय उपलब्ध कराने की मांग की है ताकि वे पराली जलाने से बच सकें।

दो किसानों की गिरफ्तारी

 

पराली जलाने के मामलों में मंगलवार को दो और किसानों को गिरफ्तार किया गया। थाना पूंडरी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एचसी विनोद कुमार और पीएसआई दीपक कुमार की टीम ने गांव हजवाना और गांव हाबड़ी के किसानों को गिरफ्तार किया। इन किसानों पर आरोप था कि उन्होंने सरकारी आदेशों का उल्लंघन कर पराली जलाई थी। पुलिस ने अब तक 22 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, और इस संबंध में जांच जारी है। एसपी राजेश कालिया ने किसानों से अपील की है कि वे पराली न जलाएं, क्योंकि इससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।

कृषि विभाग में लापरवाही पर कार्रवाई

 

पराली जलाने के मामलों को लेकर प्रशासन न केवल किसानों पर बल्कि अपने कर्मचारियों पर भी सख्त हो गया है। कृषि विभाग में काम करने वाले तीन सुपरवाइजरों को लापरवाही बरतने पर निलंबित कर दिया गया है। सुपरवाइजर दीपक, हरप्रीत सिंह और यादविंद्र को निलंबित करते हुए विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी भी कर्मचारी ने आदेशों की अवहेलना की, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, विभाग ने 42 कर्मचारियों को नोटिस भी जारी किए हैं, ताकि पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।

वायु प्रदूषण की समस्या

 

पराली जलाने की घटनाओं के कारण जिले में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से जिले में घना स्मॉग छाया हुआ है, जिससे लोगों की आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायतें बढ़ गई हैं। मंगलवार को जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सुबह 266 और शाम को 277 दर्ज किया गया। हालांकि, यह पिछले दो दिनों की तुलना में कुछ बेहतर था, लेकिन फिर भी प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है। जिले में रविवार और सोमवार को AQI में थोड़ी गिरावट देखी गई थी, लेकिन स्थिति अब भी चिंताजनक है।

स्वास्थ्य विभाग की तैयारी

वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए जिला सिविल सर्जन डॉ. रेनू चावला ने अस्पतालों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि वे आंखों और सांस के मरीजों की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि अस्पतालों की ओपीडी में पिछले कुछ दिनों से ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। डॉक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मरीजों की गहनता से जांच करें और उन्हें सही उपचार दें। इसके अलावा, लोगों को सलाह दी गई है कि वे धूल-धक्कड़ वाली जगहों पर काले चश्मे का उपयोग करें और आंखों में जलन या अन्य समस्याओं की स्थिति में विशेषज्ञ से सलाह लें।

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एफआईआर के विरोध में ज्ञापन

 

किसान संगठनों ने प्रशासन द्वारा पराली जलाने के खिलाफ दर्ज की जा रही एफआईआर और किसानों को ब्लैकलिस्ट करने का कड़ा विरोध किया है। मंगलवार को गुहला-चीका में किसानों ने एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई है कि किसानों के खिलाफ दर्ज की जा रही एफआईआर को रद्द किया जाए और पराली जलाने को लेकर वैकल्पिक समाधान प्रदान किया जाए। किसानों का कहना है कि वे भी पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति और फसल अवशेषों के निपटान की उचित व्यवस्था न होने के कारण उन्हें मजबूरी में पराली जलानी पड़ती है।

कैथल जिले में पराली जलाने को लेकर प्रशासन की सख्ती जारी है, लेकिन किसानों और प्रशासन के बीच इस मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है। जहां एक तरफ प्रशासन पर्यावरण को बचाने के लिए कड़े कदम उठा रहा है, वहीं किसान संगठनों का कहना है कि उनके पास पराली जलाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। प्रशासन और किसानों के बीच बेहतर संवाद और समाधान की आवश्यकता है, ताकि पराली जलाने की समस्या का स्थायी हल निकल सके।

 

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