Kaithal News: कैथल जिले में सख्ती का हुआ असर, वायु प्रदूषण का घटा स्तर

नरेन्द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: कैथल जिले में पराली जलाने के मामलों में अब कमी देखी जा रही है। बुधवार को लगातार तीसरे दिन जिले में पराली जलाने का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। इसके बावजूद, प्रशासन की सख्ती जारी है और जिले में धान के अवशेष जलाने वाले किसानों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। जिला प्रशासन और कृषि विभाग के सख्त रवैये के बावजूद कुछ किसान अब भी पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं, जिस कारण प्रशासन उन्हें गिरफ्तार कर रहा है।

ढांड क्षेत्र में हुई गिरफ्तारी

 

ढांड संवाद के अनुसार, प्रशासन ने धान के अवशेष जलाने के दो अलग-अलग मामलों में बुधवार को दो किसानों को गिरफ्तार किया है। ये किसान पबनावा और जडौला गांव के रहने वाले हैं और इन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस प्रवक्ता के अनुसार, कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई थी। इन किसानों ने सरकारी आदेशों की अवहेलना करते हुए पराली जलाई थी। इन किसानों पर संबंधित धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।

अब तक दर्ज की गई एफआईआर और रेड एंट्री

 

पराली जलाने के मामलों को रोकने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। अब तक जिले में 22 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, और 18 किसानों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, 72 किसानों की “रेड एंट्री” की जा चुकी है। रेड एंट्री का मतलब है कि इन किसानों की उपज अगले दो सीजन तक मंडियों में नहीं खरीदी जाएगी। यह कदम किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उठाया गया है, ताकि वे भविष्य में इस अवैध गतिविधि से बच सकें।

प्रशासन की सख्ती और जुर्माना

 

पराली जलाने के मामलों पर सख्ती दिखाते हुए प्रशासन ने मंगलवार को तीन सुपरवाइजरों को लापरवाही बरतने के लिए निलंबित कर दिया था। इसके अलावा, जिले में पराली जलाने के कुल 127 मामले अब तक दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में दोषी पाए गए किसानों पर कुल दो लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया जा चुका है। जिला प्रशासन ने पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए जागरूकता अभियान भी शुरू किए हैं, ताकि किसान वैकल्पिक तरीकों का उपयोग कर सकें और पराली न जलाएं।

कृषि विभाग की पहल

 

कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. बाबू लाल ने बताया कि किसानों को लगातार पराली न जलाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। किसानों को समझाया जा रहा है कि पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि यह उनके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। उन्होंने कहा कि अब तक 72 किसानों की रेड एंट्री की जा चुकी है और इसे पोर्टल पर भी अपलोड किया गया है। डॉ. बाबू लाल ने यह भी बताया कि अब तक दो लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया है।

एसपी की अपील

 

कैथल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) राजेश कालिया ने किसानों से अपील की है कि वे पराली जलाने से बचें। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि इसके कारण आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे इस हानिकारक गतिविधि को छोड़कर वैकल्पिक उपायों को अपनाएं।

वायु प्रदूषण का स्तर

 

कैथल जिले में पराली जलाने के कारण वायु प्रदूषण का स्तर हाल ही में बहुत अधिक हो गया था। शनिवार को जिले में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 372 तक पहुंच गया था, जो पूरे देश में सबसे खराब था। हालांकि, बुधवार को यह स्तर 193 पर आ गया, जिससे कुछ हद तक राहत मिली है। वायु प्रदूषण का स्तर 200 से नीचे आने के कारण हवा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है, लेकिन इसे स्थायी रूप से नियंत्रित करने के लिए अभी भी कई कदम उठाने की जरूरत है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ प्रदूषण फैलाने वाले अन्य स्रोतों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर का सबसे अधिक असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। कैथल के जिला नागरिक अस्पताल में आंखों और सांस से संबंधित रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बुधवार को अस्पताल की आंखों की ओपीडी में 200 से अधिक मरीज पहुंचे, जिनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके अलावा, सांस के मरीजों की संख्या भी 50 से अधिक रही, जो प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों का संकेत है।

अस्पताल के जिला प्रधान चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. सचिन मांडले ने बताया कि अस्पताल में जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। इसके तहत मरीजों को जागरूक किया जा रहा है कि वे पराली जलाने से बचें, क्योंकि इससे आंखों और सांस की बीमारियां बढ़ती हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से निकलने वाले धुएं के कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

जागरूकता कार्यक्रम

पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। किसानों को बताया जा रहा है कि पराली जलाने से उनके खेतों की उर्वरता भी घटती है और इसका नकारात्मक असर लंबी अवधि तक रहता है। इसके अलावा, सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी और उपकरण भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि किसान इनका उपयोग कर सकें और पराली जलाने से बच सकें।

कैथल जिले में पराली जलाने के मामलों में कमी आना सकारात्मक संकेत है, लेकिन अभी भी प्रशासन को इस पर पूरी तरह से काबू पाने के लिए और कड़े कदम उठाने की जरूरत है। किसानों को जागरूक करना और उन्हें वैकल्पिक उपायों के लिए प्रेरित करना बेहद जरूरी है, ताकि वे पराली जलाने से बचें और वायु प्रदूषण को कम करने में सहयोग कर सकें। जिला प्रशासन की सख्ती और किसानों पर लगाए गए जुर्माने के साथ-साथ जागरूकता कार्यक्रमों का विस्तार ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।

 

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